भर्ती घोटाला बस जांच दर जांच, मेरठ नगर निगम के भर्ती घोटाले में चालिस शिकायत, जांच दर जांच और कार्रवाई के नाम पर नतीजा सिफर। हैरानी तो इस बात की है कि निगम के इस भर्ती घोटाले का भंड़ाफोड़ भी किसी अन्य नहीं बल्कि मेरठ नगर निगम के पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. प्रेम सिंह ने ही किया था। भंड़ाफोड़ इतना धमकेदार था कि जिन अफसरों के हाथ घोटाले में सने थे, उनकी चूलें बुरी तरह से हिल गयीं। मेरठ से लखनऊ तक हड़कंप मच गया। शासन के सचिव में स्थानीय स्तर पर मंडलायुक्त सरीखें अफसरों ने जांच के आदेश दे दिए। मामले की गंभीरता को इसी बात से समझा जा सकता है कि निगम के कुछ पूर्व नगरायुक्तों ने भी भर्ती घोटाले को लेकर तलख टिप्पणी फाइलों पर अंकित की। घोटाले से भर्ती हुए तमाम कर्मचारियों के वेतन आहरण पर रोक के आदेश जारी कर दिए गए। (यह बात अलग है कि इन आदेश को निगम प्रशासन ने कभी भी गंभीरता से नहीं लिया और लगातार वेतर आहरण किया जाता रहा।) मामला इतना हाईफाई हो गया कि सीबीसीआईडी आगरा की यूनिट को इसकी जांच सौंप दी गयी। देश का यह अकेला ऐसा घोटाला होगा जिसमें जांच-दर-जांच की चलती रहीं और नतीजा सिफर है। मामला का भंड़ाफोड़ करने वाले निगम के पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी जिस प्रकार से जांच के नाम पर इस घोटाले को हर बार मैनेज किया जाता रहा, उससे खासे निराश भी हैं। उनका कहना है कि चार साल से सूबे का जिम्मा देश के सबसे ईमानदार सीएम के योगी के कंधों पर है, लेकिन लगता है कि घोटालेबाजों ने सीएम कार्यालय तक शिकायत की आंच पहुंचने ही नहीं दी। वर्ना कोई वजह नहीं कि सीएम इसमें कार्रवाई न करते। इसको लेकर सीएम को सीधे एक पत्र डा. प्रेम सिंह ने विगत 18 नवंबर 2022 को भेजा है और तमाम कारगुजारियों का चिट्ठा जो जांच के नाम पर की गयीं, उसे खोल कर रख दिया है। उनका कहना है कि पूरा यकीन है कि संत सीएम योगी आदित्यनाथ घोटाले में कार्रवाई अवश्य कराएंगे।
ये हैं भर्ती घोटाले के किरदार:– प्रथम चरण जावेद पुद्ध युूनुस ड्राइवर, द्वितीय चरण महमूद अली पुत्र शमीम उर रहमान, मनोज कुमार गौड पुत्र शिव कुमार, सुनील कुमार पुत्र सोती सिंह, दिनेश कुमार पुत्र रधुवीर सिंह,मो. परवेज पुत्र मो. युनुस, धर्मेन्द्र उर्फ धर्मेश पुत्र पारसनाथ, तृतीय चरण आलोक पुत्र नरेन्द्र शर्मा, सुनील शर्मा पुत्र नरेन्द्र शर्मा व सुनील दत्त शर्मा, चतुर्थ चरण राजकुमार पटवारी व रूद्रेश पुत्र नानक चंद पटवारी, पंचम चरण मनोज कुमार पुत्र बुद्ध प्रकाश ड्राइवर, संजय पुत्र सुरेश, शम्स आरिफ पुत्र अब्दुल हकीम, सतीश कुमार पुत्र निर्मल सिंह, राजेश कुमार पुत्र पारस नाथ, नौशाद अहमद अनुचर, नकुल वत्स पुत्र योगेन्द्र शर्मा, हरबीर सिंह पुत्र राम कला, शाकेब खान व राजेन्द्र कुमार कोरी शामिल हैं।
वर्जन
यह मामला बेहद गंभीर है। सरकार को राजस्व हानि से जुड़ा है। इसके केवल वेतन के नाम पर जो धन दिया गया है, उसकी रिकबरी के अलावा इसके लिए जिम्मेदार खासतौर से जिन्हाेंने समय समय पर शासन से आयीं जांचों को लटकाया है, उन अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई अनिवार्य है।
– डा. प्रेम सिंह पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम मेरठ