भर्ति घोटाला-निगम अफसरों पर शिकंजा, नगर निगम मेरठ में 23 कर्मचारियों की भर्ति मामले को लेकर अंजाम दिए गए घोटाले में नगर निगम मेरठ में पूर्व में तैनात रहे कई अफसरों पर शिकंजा कसने के पूरे आसार नजर आ रहे हें। दरअसल पीएमओ द्वारा इस पूरे मामले का संज्ञान लिए जाने और क्राइम ब्रांच आगरा के मामले की जांच को नए सिरे से शुरू किए जाने के बाद घोटाले की फाइलों पर लगातार गर्त जमाते रहे अफसरों पर भी शिकंजा कसने के आसार नजर आ रहे हैं। क्राइम ब्रांच आगरा के हेड ने नगरायुक्त मेरठ नगर निगम को 24 अप्रैल को भेजे पत्र में भर्ति घोटाले से जुड़ी तमाम फाइलें तलब कर ली हैं। इससे पहले क्राइम ब्रांच के एक बड़े अधिकारी होशियार सिंह मेरठ नगर निगम आकर भर्ति घोटाले के कुछ आराेपियों के बयान भी दर्ज कर चुके हैं। क्राइम ब्रांच ने नगरायुक्त से फाइलें तलब की हैं उनमें सितंबर 2005 एफसी के पत्र की कापी, जनवरी 2009 के डा. सुरेश कुमार मिश्र लेखाधिकारी व ड्राइवर मनोज व राजेश के समायोजन संबंधी पत्रावली, तत्कालीन नगरायुक्त डीके सिंह के साल 2010 के अवैध नियुक्ति संबंधित आख्या की पत्रावली, साल 2011 में 11 कथित आरोपियों के वेतन संबंधित आदेश की पत्रावली, साल 2011 में नगरायुक्त मणि प्रसाद के सूरज कुंड वाहन डिपो के धर्मेन्द्र कुमार पुत्र पारस नाथ को कारण बताओ नोटिस, लिपिक धर्मेन्द्र कुमार की नियुक्ति संबंधित आदेश की पत्रावली, लिपिक धमेन्द्र की लिपिक जगदीश के पद पर कथित फर्जी नियुक्ति, नकुल वत्स की विनियमितिकरण की पत्रावली व सबसे महत्वपूर्ण 13 कर्मचारियों की नियुक्त व विनियमितिकरण संबंधित पत्रावली भी शामिल हैं। बताया जाता है कि क्राइम ब्रांच केवल भर्ति घोटाले की जांच ही नहीं कर रही, बल्कि इस इतने साल पुराने इस मामले की जांच में अडंगा लगाने वाले अफसराें की भूमिका की भी जांच की जा रही है। मामले में पीएमओ के दखल के बाद सीएम कार्यालय भी पूरे मामले पर नजर रखे हुए हैं। पता चला है कि जो अधिकारी अब तक फर्जी घोटाले की परतों को दबाने में लगे थे वो अधिकारी अब अपनी गर्दन निकलने का रास्ता तलाश रहे हैं। वहीं दूसरी ओर तमाम आरोपी कर्चारियों से रिकबरी के भी आसार हैं।