भू-माफियाओं से यारी-गरीबों पर क्यों भारी

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भू-माफियाओं से यारी-गरीबों पर क्यों भारी, मेरठ छावनी परिषद के अफसर अवैध निर्माण और अवैध कब्जों पर जब कार्रवाई की बारी आती है तो जो भू-माफिया की तर्ज पर बदनाम हैं उनके साथ पूरी रियायत से पेश आते हैं। भू-माफियाओं के तो अवैध निर्माणों भी नजर नहीं आते, लेकिन यदि कोई गरीब शख्स छोटा सभी निर्माण कर लेता है तो कार्रवाई के नाम पर न तो कोई नोटिस दिया जाता है ना ही सफाई रखने का मौका दिया जाता है, कोई भी कारण बताकर गरीब का आशियाना हो या फिर कोई अन्य निर्माण ध्वस्त कर दिया जाता है। ऐसे ही कारगुजारी का शिकार हुआ बिनीत डोसे वाला आज भी परेशान हैं। यह कोई इकलौता मामला नहीं है। पूरा कैंट ऐसे ही अवैध निर्माणों से गुलजार है। आबूलेन स्थित बंगला 182 जहां चेज आफ परपज, सब डिविजन ऑफ साइट, अवैध निर्माण यानि की तमाम खामियां है यही नहीं वहां हरा पेड़ तक काट दिया गया। इससे भी आबूलेन 182 जय प्लाजा में लगातार अवैध निर्माण का जारी होना और कार्रवाई के नाम पर केवल और केवल किसी न किसी तरीके से रास्ते के काटे हटाने का काम कैंट बोर्ड का स्टाफ कर रहा है। हैरानी तो इस बात की है कि जय प्लाजा के जिस अवैध निर्माण की गूंज रक्षा मंत्रालय, डीजी डिफैंस और पीडी मध्य कमान तक सुनाई दी और जिसकी जांच के लिए मध्य कमान लखनऊ से डायरेक्टर स्तर के अफसर को भेजा गया, वहां कार्रवाई के नाम पर नोटिस से आगे कैंट प्रशासन नहीं बढ़ पाया। गरीब के अवैध निर्माण का ध्वस्त करने में पल भर की देरी नहीं की जाती और यदि किसी भूमाफिया का अवैध निर्माण हो तो वहां कार्रवाई के नाम पर नोटिस से आगे नहीं बढ़ते। सवाल यही है कि अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर मेरठ छावनी परिषद के अफसरों की यह दोहरी नीति किस लिए। गरीब का निर्माण केवल इसलिए गिराया जा रहा है क्योंकि वह गरीब है और भूमाफियाओं को उनके अवैध निर्माणों को बचाने के रास्ते इसलिए बताए और निकाले जाते हैं क्योंकि वो दोनों हाथों से लुटाते हैं।  वो पैसे वाले हैं। तो फिर यह मान लिया जाए कि मेरठ छावनी प्रशासन केवल अमीरों के लिए हैं गरीबों के साथ रवैया ब्रिटिश हुकूमत सरीखा है। माल रोड से सटे बीआई लाइन स्थित ओल्डग्रांड के डीईओ के बंगले नंबर 45 में अवैध निर्माण कर लिया जाता है, मेरठ छावनी परिषद के अफसरों को वो नजर नहीं आता। सुनने में  तो यहां तक है कि उस बंगले में कुछ बड़े अफसरों का शाम ढलते ही आना जाना शुरू हो जाता है। वहां सजने वाली महफिलो में शहर के नामी भू-माफिया और उनके मददगार भी शामिल होते हैं। वहीं दूसरी ओर जब आबूलेन स्थित बंगला 182 को लेकर सीईओ कैंट से जानकारी की गयी तो उन्होंने वहां किए गए तमाम निर्माण को अवैध बताया और जानकारी दी कि विधिक कार्रवाई भी की गयी है। आबूलेन स्थति बंगला 182 या फिर बंगला 45 ही मात्र अपवाद नहीं है। एक अनुमान के तहत पांच सौ से ज्यादा ऐसे ही अवैध निर्माण हैं जो जांच के दायरे में हैं। जिनकी जांच चल रही है। ये अवैध निर्माण पूरी छावनी में चिन्हित किए गए हैं। 22बी सरीखे कुछ अवैध निर्माणों को लेकर मेरठ छावनी प्रशासन की जमकर किरकिरी भी हुई। व्हाईट हाउस और शिव चौक पर नक्शे के विपरीत निर्माण कर लिया जाता है, लेकिन उसको ध्वस्त नहीं किया जाता। ऐसा नहीं कि अवैध निर्माणो का यह सिलसिला रूक गया हो, यह सिलसिला सदर बाजार में चुन्नी हलवाई वाले चौराहे पर आज भी जारी है। वहां हरे पर्दे की आड़ में नक्शे के विपरीत निर्माण की बात सुनने में आयी है। पूरे छावनी क्षेत्र में ऐसे तमाम अवैध निर्माण इन दिनों मेरठ छावनी परिषद के स्टाफ की छात्रछात्रा में कराए जा रहे हैं।

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