ब्रिटिश पीएम ने जलियावाला को माना शर्मनाक, पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल 1999 बैसाखी के दिन रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे। दो हजार से ज्यादा जख्मी हुए।अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए। यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था। माना जाता है कि यह घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी। १९९७ में महारानी एलिज़ाबेथ ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। २०१३ में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि “ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी। पूरा देश आज जलियावाला के शहीदों के लिए दुखी है।
भाजपा नेता बीना वाधवा ने लालकुर्ती स्थित कैंप कार्यालय पर समर्थकों के साथ जलियावाला बाग के शहीदों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि शहीदों के लिए कुछ भी कहना बहुत कम है। मुल्क को अंग्रेजी हुकुमत से आजादी दिलाने की कीमत हमारे शहीदों ने अपने सिरों को कुर्बान कर चुकाई है। हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि शाहदत का कहीं भी अपमान न होने दें। इनके अलावा भाजपा नेता सुनील वाधवा पूर्व उपाध्यक्ष कैंट बोर्ड, कांग्रेस पीसीसी के पूर्व सचिव चौधरी यशपाल सिंह, जिला कांग्रेस प्रवक्ता हरिकिशन आंबेडकर, नगर निगम उपाध्यक्ष रंजन शर्मा प्रभाकर, पार्षद गफ्फार अहमद आदि ने भ जलियावाला बाग के शहीदों को नमन किया है।