बीएसए की जांच में गुनाह साबित, बेसिक शिक्षा अधिकारी की जांच में शिक्षा मित्र मनीषा तिवारी को गुनाहगार पाया गया है। उनका गुनाह साबित हो गया है। इसके साथ ही यह सवाल पूछा जा रहा है कि जब गुनाहगार साबित कर दिया है तो बीएसए उनके खिलाफ क्या विभागीय कार्यवाही करेंगी और गुनाहगार साबित कर दिए जाने के बाद मनीषा तिवारी अपने बचाव के लिए अब क्या करेंगी।
यह है पूरा मामला
ब्रह्मपुरी के माधवपुरम निवासी मधुसूदन कौशिक ने 3 अप्रैल 2023 को सूबे के सीएम, प्रशासन व बीएसए कार्यालय में दिए गए अपने शिकायती पत्र में उत्तर प्राथमिक (कंपोजिट) विद्यालय कृष्णापुरी मेरठ की शिक्षा मित्र मनीषा तिवारी पर कार्यरत रहते हुए अवैधानिक रूप से स्नातक की संस्थागत डिग्री प्राप्त करने व उसके आधार पर शिक्षक की नौकरी हासिल करने के आरोप लगाते हुए जांच कर कार्रवाई की मांग की थी। इसका संज्ञान लेते हुए 7 जून 2023 को विनाेद वर्मा खंड शिक्षा अधिकारी रोहटा को जांच अधिकारी नामित किया गया था।
जांच आख्या
आरोपों को लेकर जो उत्तर दिया गया उसके आधार पर जांच अधिकारी की आख्या में कहा गया है कि आराेपी की शैक्षिक योग्यता इंटर थी इस बात से सहमत हुआ जा सकता है, परंतु बगैर विभाग की अनुमति लिए स्नातक की संस्थागत डिग्री हासिल करना विभागीय नियमों का उल्लंघन है। मनीषा तिवारी द्वारा बगैर विभाग की अनुमति के स्नातक द्वितीय व तृतीय वर्ष की परीक्षा संस्थागत रूप में की है एवं उस अवधि का मानदेय भी प्राप्त किया है। इसी योग्यता के आधार पर सहायक अध्यापिका की नौकरी प्राप्त की है।
न्यायालय के आदेश से भी नहीं बनी बात
जांच आख्या में कहा गया है कि आरोपी द्वारा प्रस्तुत न्यायालय के आदेश का अवलोकन करने के पश्चात यह संज्ञान में आया कि उक्त याचिका में मनीषा तिवारी का नाम नहीं है अत: उन पर लगाए गए आरोप सत्य प्रतीत होते हैं। बिना विभागीय अनुमति के संस्थागत रूप से स्नातक किया, इसी आधार पर शिक्षक पद पर चयन पाया, जो नियम विरूद्ध प्रतीत होता है। क्योंकि इनके द्वारा नियमित मानदेय प्राप्त करते हुए स्नातक की उपाधि संस्थागत रूप से प्राप्त की गयी है, आरोपी द्वारा संलग्न शासनादेश से यह प्रतीत होता है कि इसमें संस्थागत/व्यक्तिगत मानदेय सहित स्नातक की उपाधि प्राप्त करने का उल्लेख नहीं है। अत आरोप सत्य प्रतीत होता है।
दोनों फरीक हुए थे पेश
आरोप लगाने वाले मधु सूदन कौशिक व आरोपी बनायी गयी शिक्षा मित्र विगत 7 जुलाई 2023 को जांच अधिकारी के कार्यालय में उनके समक्ष प्रस्तुत हुए थे और उन्होंने अपना-अपना पक्ष उपलब्ध कराया। दोनों ने अपने बयान में क्या कहा वो नीचे दिया गया है।
मनीषा तिवारी:- मेरी नियुक्ति वार्ड शिक्षा समिति द्वारा की गयी। उस समय यह प्रावधान था कि उस समय शिक्षा मित्रा को अनुमति का अधिकारी विद्यालय के प्राध्यापक व वार्ड समिति को होता था। इसलिए मेरे द्वारा विद्यालय की प्रधानाध्यापिका स्वदेश (सचिव) व वार्ड समिति के अध्यक्ष से अनुमति ली गयी थी। संस्थागत रूप से स्नातक करने वाले सभी शिक्षा मित्रों को सुनील कुमार प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन के आदेशानुसार दूरस्थ बीटीसी करायी गयी थी और बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा समस्त अभिलेखों की जांच उपरांत ही प्रशिक्षण बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रदान किया गया था। मधु सुदन कौशिक के तमाम आरोपों को ठोस साक्ष्य के आधार पर खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा एक पक्षीय कार्रवाई कर मधु सूदन कौशिक के गलत कार्यों का बढ़ावा दिए जाने का कार्य किया जा रहा है।
मधु सूदन कौशिक: बगैर विभागीय अनुमति के शैक्षिक योग्यता बढ़या जाना नियम विरूद्ध है। इसके अलावा मानदेय का भी लेना यह और भी ज्यादा वित्तीयअपराध है। मनीषा तिवारी की सेवाएं समाप्त कर उनसे रिकबरी की जानी चाहिए।
निष्कर्ष:
जांच अधिकारी ने अपने निष्कर्ष में कहा है कि शिक्षा मित्र को संविदा पर शिक्षण कार्य के लिए रखा जाता है। उन्हें अपनी शैक्षिक योग्यता बढाने के लिए कोई भी नियमित मानदेय सहित या बिना मानदेय अवकाश देय नहीं होता। परंतु यदि वह चाहें तो पत्राचार कोर्स द्वारा अन्य शैक्षिक डिग्री प्राप्त कर सकते हैं। पत्राचार पाठयक्रम हेतु आवश्यक मात्र परीक्षा में सम्मलित होने हेतु बिना सूचना के अथवा सूचना देकर अवकाश लेता है तो सक्षम अधिकारी द्वारा तत्काल किसी नए शिक्षा मित्र का चयन कर लिया जाएगा। मनीषा तिवारी शिक्षा मित्र उत्तर प्राथमिक (कंपोजिट) विद्यालय कृष्णापुरी मेरठ द्वारा शिक्षा मित्र के पद पर रहते हुए बगैर विभागीय अनुमति प्राप्त किए संस्थागत रूप से स्नातक उत्तीर्ण किया है। शिक्षा मित्र पद का मानदेय भी लिया है जो गलत है।
कार्रवाई/आदेश
जांच रिपोर्ट के आधार पर बेसिक शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर से 2 फरवरी 2024 को आदेश में कहा है कि मनीषा तिवारी शिक्षा मित्र उत्तर प्राथमिक (कंपोजिट) विद्यालय कृष्णापुरी मेरठ संस्थागत रूप से स्नातक करने के दौरान जो मानदेय लिया है, को राजकोष में एक माह में जमा करें, जमा न करने की स्थिति में आगामी उक्त धनराशि का आगणन कर आगामी मानदेय से कटौती की जाए।
टिप्पणी: इस प्रकरण से जुड़े सभी पक्षों की टिप्पणी का लबोलुआब यह है कि चलो कोई बात नहीं जांच हो गयी। जांच खिलाफ भी चली गयी लेकिन कम से कम चलो नौकरी तो बच गयी।