बूंद-बूंद पानी को तरस रहा मेडिकल, लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज मेरठ में इन दिनों पानी का संकट गहराया हुआ है। यहां कैंपस में रहने वालों खासतौर से स्टूडेंट को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। पानी के किल्लत के चलते मेडिकल की पढ़ाई कर रहे बड़ी संख्या में स्टूडेंट पढ़ाई को बीच में ही छोड़कर घर लौट गए हैं। नाम न छापे जाने की शर्त पर कुछ न अपनी पहचान छिपाते हुए जानकारी दी कि इस जानलेवा गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत के चलते यहां रहना अब मुश्किल हो गया है। जून का महीना आसमान से आग बरस रही है ऐसे में दिन में दो से तीन बार नहाने की जरूरत होती है, लेकिन नहाता तो दूर की बात यहां की यदि नौबत की बात की जाए तो टॉयलेट जाने के बाद धोने तक के लिए पानी की किल्लत है। बताया गया है कि करीब सप्ताह भर से पानी के लिए मेडिकल कैंपस परेशान हैं। हालांकि मेडिकल प्रशासन के आग्रह पर नगर निगम के दो टैंकर पानी लेकर आते हैं। इनमें से टैंकर बायज हास्टल और दूसरा गर्ल्स हास्टल जाता है। बॉयज हास्टल में करीब साढे चार सौ और गर्ल्स हास्टल में करीब डेढ सौ स्टूडेंट हैं। उनका कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट होने के चलते चौबीस घंटे के लिए केवल एक टैंकर पानी नाकाफी है। ऐसे में यहां रहना अब मुश्किल हो गया है इसलिए पढ़ाई को ड्राप कर बड़ी संख्या में स्टूडेंट घर चले गए हैं।
कैंपस की हालत:
हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट पानी की कमी के चलते बेहाल हैं, लेकिन क्या मेडिकल कैंपस में रहने वाले तमाम डाक्टर व अन्य स्टाफ भी जून की गर्मी के इस मौसम में पानी की किल्लत काे फेस कर रहा हैं। बताया गया है कि जो ग्राउंड फ्लोर पर हैं उनका तो किसी तरह से गुजारा हो जाता है लेकिन फर्स्ट फ्लोर या दूसरे फ्लोर तक पानी नहीं पहुंच रहा है। इसकी वजह पानी के प्रेशर का काम होना बताया गया है। यदि नए सिरे से बारिंग करायी जाए तो पानी का प्रेशर बढ़ सकता है, भूगर्भ जल स्तर नीचे पहुंचने की वजह से पानी की कमी है और मांग पूरी नहीं हो पा रही है।
लाखों की टंकी हई बेकार
गर्ल्स हाॅस्टल के लिए एक पानी की टंकी करीब 11 साल पहले बनवाई गयी थी। लाखों रूपए की लागत से बनायी गयी है पानी की टंकी सफेद हाथी बनी हुई है। कुछ तकनीकि खामियों के चलते पानी की इस टंकी एक दिन भी यूज नहीं हो सका। लोगों ने बताया कि टंकी बनने के बाद जब इसमें पानी भरा गया तो वो पानी में इन्फेक्शन पाया गया। उसके बाद से आज तक इस टंकी का यूज नहीं किया गया। इसमें जो पानी भेजने के पाइप कनेक्शन थे वो काट दिए गए।
वर्जन
मेडीकल के मीडिया प्रभारी डा. वीडी पांडेय ने बताया कि गर्मी के मौसम में मांग अधिक बढ़ जाती है। लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था की गयी हैं।