कालोनी अवैध-रास्ते के लिए कब्जा

कालोनी अवैध-रास्ते के लिए कब्जा
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कालोनी अवैध-रास्ते के लिए कब्जा, मेरठविकास प्राधिकरण के जोन ए-4 हापुड़ बाईपास पर तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर एमडीए से नक्शा पास कर काटी गयी अवैध कालोनी ग्रीन वैली के लिए रास्ता बनाने के लिए भू-माफिया ने नगर निगम और वन विभाग की की जमीन का एक बड़ा हिस्सा कब्जा लिया। कालौनी भले ही अवैध है, लेकिन अब पूरी तरह से तैयार है और इसमें बड़ी संख्या में लोग प्लाट आदि लेने के लिए पहुंचने शुरू भी हाे गए हैं। ये तमाम लोग इस बात से अंजान हैं कि जिस ग्रीन वैली में प्लाट लेने के लिए वह अपनी जीवन भर की कमाई को दाव पर लगाने को तैयार है, उस कालोनी में एंट्री यानि आने जाने के लिए जो रास्ता बनाया गया है वह कथित तौर पर नगर निगम मेरठ और वन विभाग की जमीन को कब्जा कर बनाया गया है। यदि कभी किसी सख्त मिजाज अफसर ने मेरठ में आकर या फिर नगर निगम अथवा वन विभाग के अफसरों की नींद टूटी और उन्होंने अपनी जमीन की पैमाइश करा डाली तो इस कालोनी में आने जाने का रास्ता दोनों ही विभाग छीन भी सकते हैं। वहां जेसीबी को लगाकर बुलडोज की कार्रवाई की जा सकती है।

कालोनी है अवैध:

हापुड़ रोड बिजली बंबा बाईपास निकट शाप्रिक्स माल स्थित जिस ग्रीन वैली कालोनी की यहां बात की जा रही है, मेरठ विकास प्राधिकरण में जब इसको लेकर तफ्तीश की गयी तो वहां से पता चला कि हापुड़ बाईपास स्थित किसी ग्रीन वैली नाम की कालोनी का नक्शा पास नहीं किया गया है ना ही इस नाम से किसी कालोनी का नक्शा स्वीकृत कराने को कोई प्रस्ताव किसी बिल्डर की ओर से आवेदन किया गया है। इसके बाद यह तो साफ हो गया है कि ग्रीन वैली पूरी तरह से अवैध है। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं कि इस अवैध कालोनी को लेकर प्राधिकरण प्रशासन के अफसरों ने किसी प्रकार की कार्रवाई की है या नहीं। मसलन नोटिस का दिया जाना, ग्राउंड जीरो पर जाकर सील की कार्रवाई का किया जाना। या फिर यह मान लिया जाए कि अवैध कालोनियों और निर्माणों को लेकर तमाम बातें करने वाले प्राधिकरण के अफसर ग्रीन वैली को लेकर अभी नींद में हैं। उन्हें अवैध रूप से काटी जा रही ग्रीन वैली कालोनी नजर नहीं आ रही है। हालांकि इस कालोनी के गेट की बात की जाए तो उसको भव्यता प्रदान करने में कालोनी काटने वाले ने कोई कोर कसर नहीं रख छोड़ी है।

क्या हुआ ड्रोन व सर्वे:

अवैध कालोनियों को लेकर जब जब सूबे की योगी सरकार का चाबुक चला है तब-तब प्राधिकरण प्रशासन ने अवैध कालोनियों को चिन्हित किए जाने, उनके खिलाफ बुलडोजर सरीखी कार्रवाई करने के दावे किए जाते रहे हैं। इसके लिए भाड़े पर मंगाकर ड्रोन उड़ाने व सर्वे की जानकारी कुछ माह पूर्व एमडीए सचिव चंद्रकांत तिवारी ने बाकायद मीडिया को आन रिकार्ड दी थी। लेकिन हापुड़ रोड बिजली बंबा बाईपास की जब बात आती है तो सवाल तो पूछा ही जाएगा कि क्या ग्रीन वैली कालोनी एडीएम अफसरों द्वारा उड़वाए गए ड्रोन को नजर नहींं आयी। बड़ा सवाल यही कि क्या यह अवैध कालोनी सर्वे का हिस्सा या सूची में है। यह बात इसलिए की जा रही है क्योंकि जब प्राधिकरण में इसको लेकर तफ्तीश की गयी तो कोई जानकारी इस संबंध में नहीं मिली। या कहें अनभिज्ञता जाहिर कर दी गयी।

लंबी है फेरिस्त:

हापुड़ रोड बिजली बंबा बाईपास पर काटी गयी अवैध कालोनी ग्रीन वैली को लेकर जब आसपास पड़ताल की गयी तो जानकारी मिली कि किसी मनीष प्रजापति नाम के शख्स ने यह कालोनी काटी है। यह भी पता चला है कि प्राधिकरण के बागपत रोड क्षेत्र जोन के अलावा उससे सटे आसपास के इलाकों में भी ग्रीन वैली कालोनी काटने वाले मनीष प्रजापति ने कई अन्य कालोनियां भी काटी हैं सभी को अवैध बताया गया है। लेकिन अब तक जितनी भी कालोनी काटी गयी हैं पता चला है कि ग्रीन वैली का आकार उन सबमें काफी बड़ा है। यह करीब चालिस से पचास हजार वर्ग गज में काटी गयी बतायी जाती है। इसकी भव्यता का अंदाजा इसके कालोनी के एंटरेंस पर बनाए गए गेट से ही लगाया जा सकता है।

ऊंचे पॉलटिकल कनेक्शन:

ग्रीन वैली अवैध कालोनी काटने वाले मनीष प्रजापति के बारे में यह भी जानकारी मिली है कि उनके ऊंचे पॉलटिकल कनेक्शन हैं। उन्हें अक्सर सत्ताधारी दल के कार्यक्रमों में अगली पांत में नजर आने वाले वीवीआईपी की बगल में देखा जाता है। सत्ता व संगठन में उनका खासा दखल भी हैं। इसके अलावा एक बात और वो यह है कि आमतौर पर धारणा है कि जो भी लोग अवैध कालोनी के काम में हाथ आजमाते हैं उनके केवल ऊंचे पॉलटिकल कनैक्शन भर नहीं होते, प्राधिकरण समेत तमाम महकमे के अफसरों तथा माफिया प्रवृत्ति के लिए बदनाम तत्वों से भी कनैक्शन की बात कही जाती है। यह बात ग्रीन वैली कालोनी काटने वालों पर कितनी लागू होती है या नहीं, यह तो शासन व प्रशासन की जांच का विषय है। लेकिन जिस प्रकार से ग्रीन वैली का काम चल रहा है उसके चलते तो यही कहा जा सकता है कि फिलहाल कोई विभाग व या अफसर अवैध कालोनी या उसको काटने वाले पर हाथ डालने की हिमाकत करता नजर नहीं आ रहा है। ऐसा कहने के पीछे या अनुमान व्यक्त करने की ठोस वजह भी है। पूर्व में काटी गयीं जिन कालोनियों से अब तक मनीष प्रजापति नाम के शख्स का नाम जुड़ता रहा है, प्राधिकरण प्रशासन ने उसमें से किसी पर भी कोई कार्रवाई की हो ऐसा याद नहीं पड़ता।

सिस्टम पर भारी है नेक्सस:

इसमें कोई दो राय नहीं कि अवैध कालोनी के धंधे की काली कमाई में जो पैसा इन्वेस्ट किया जाता है वो भी काली कमाई होती है। जानकारों का कहना है कि व्हाइट मनी इन्वेस्ट कर यदि कोई बिल्डर कालोनी काटेगा तो फिर कायदे कानून की बात पहले करेगा। ऐसी कालोनी का प्राधिकरण से नक्शा भी पास कराया जाएगा और कालोनी में सीवरेज सिस्टम, वोटर स्टोरेज के लिए पानी की टंकी, रेन वाटर हॉवेस्टिंग, तमाम विभागों की एनओसी सरीखे तमाम औपचारिकताएं पूरी होंगी, लेकिन यदि ग्रीन वैली की तर्ज पर अवैध कालोनी काटी जाती है तो फिर किसी भी कायदे कानून की बात का किया जाना बेमाने होगा। दरअसल ऐसा इसलिए होता है कि अवैध कालोनी काटने वालों का पूरा एक नेक्सस काम करता है। इसमें कुछ भ्रष्ट अफसर, बिल्डर या कहें भूमाफिया, ऊंची पॉलटिकल हैसियत रखने वालों तथा अपराधिक प्रवृत्ति के तत्व शामिल होते हैं। यह नेक्सस पूरे सिस्टम पर भारी होता है। शायद यही कारण है जो ग्रीन वैली सरीखी अवैध कालोनी को बुलडोज करने कीा हिम्मत नहीं जुटायी जा रही है।

कार्रवाई के बजाए पैरवी:

अवैध कालोनी ग्रीन वैली हापुड़ रोड बिजली बंबा बाईपास मेरठ को लेकर जब प्राधिकरण के जोन ए-4 अवर अभियंता संजीव तिवारी से कार्रवाई को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बजाए सफाई देने के अवैध कालोनी का जमकर बचाव व पैरवी की। उल्लेखनीय है कि अवर अभियंता संजीव तिवारी का कार्यकाल तमाम जोन में अवैध कालोनियों व निर्माणों को लेकर खासा चर्चित रहा है। इनकी सबसे ज्यादा चर्चा बागपत रोड पर एक मकान में तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर अवैध रूप से एक हास्पिटल बनवा दिए जाने को लेकर हुई थी।

वर्जन

जोन ए-4 के जोन अधिकारी व मेरठ विकास प्राधिकरण के ओएसडी से जब ग्रीन वैली को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि जानकारी दी गयी है, इसको दिखवाते हैं क्या मामला है।

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