कैंट बोर्ड: चुनाव टलने की आहट, कैंट बोर्ड के चुनाव एक बार फिर टाल दिए जाने की आहट सुनाई दे रही है। हालांकि जानकारों की मानें तो चुनाव टाल दिए गए हैं, लेकिन न्यूज ट्रेकर के पास अभी इस आश्य के आदेश की कापी नहीं मिली है। लेकिन चुनाव टल जाने की आहट साफ सुनाई दे रही है। बगैर कोई कारण बताए एकाएक चुनावी प्रक्रिया पर रोक को सबसे बड़ा झटका उन्हें माना जा रहा है जो खुद को कैंट बोर्ड सदस्य माने बैठे थे और चुनाव जीतने के लिए अब तक भारी भरकम रकम भी वार्ड के मतदाताओं पर डोरे डालने में खर्च भी कर चुके हैं। वहीं दूसरी ओर यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि ऐसा क्या हुआ जो एकाएक चुनावी प्रक्रिया रोक दी गयी। चुनावी प्रक्रिया रोके जाने की खबर के बाद कहीं खुशी कहीं गम सरीखा है। मेरठ छावनी की बात की जाए तो इस खबर को भाजपा संगठन के लिए राहत भरी खबर माना जा रहा है। दअरसल भाजपा के महानगर संगठन के लिए कैंट बोर्ड के तमाम वार्डों में दावेदारों में से किसी एक को टिकट के लिए चयनित करना मुश्किल भरा हो रहा था। जिनका टिकट तय माना जा रहा था, उनके लिए कैंट बोर्ड का चुनाव एक बार फिर टाल दिया जाना किसी झटके से कम नहीं, वहीं दूसरी ओर संगठन ने जिनका टिकट इस बार काट दिया था, वो जश्न के मूड में आ गए हैं। उनके समर्थक चुनाव टल जाने की खबर से फूले नहीं समा रहे हैं। इसके अलावा इनसे ज्यादा खुश वो नजर आ रहे हैं जिनके खिलाफ कैंट एक्ट की धारा 34 की तहत कार्रवाई कर उनका नामांकन अवैध घोषित कर दिया जाना था। ऐसे तमाम लोगों को मजबूत दावेदार भी माना जा रहा था, लेकिन चुनाव टलने की आहट के बाद तमाम मनसूबे धरे के धरे रहे गए हैं। चुनावी दावेदारों की यदि बात की जाए तो भाजपा संगठन ने इस बार वार्ड तीन को यदि अपवाद मान लिया जाए तो तमाम वार्ड में नए चेहरों पर दांव लगाने की ठान ली है। हालांकि संगठन के लिए यह कोई आसान निर्णय भी नहीं माना जा रहा है। लेकिन चुनाव टलने की आहट ने सबसे बड़ी मदद भाजपा के उन नेताओं की है जिन पर आठ वार्ड में प्रत्याशी तय करने की जिम्मेदारी थी।