कैंट बोर्ड: हादसों से सबक नहीं

कैंट बोर्ड: हादसों से सबक नहीं
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कैंट बोर्ड: हादसों से सबक नहीं, दिल दहला देने वाला लखनऊ के एक होटल का हादसा जिसमें चार शख्स आग में जिंदा जल गए। इस हादसे से सूबे की योगी सरकार भले ही आग हादसों को लेकर खासतौर से पब्लिक पैलेस के आग हादसों को लेकर गंभीर नजर आती हो, लेकिन लगता है कि अभी मेरठ कैंट बोर्ड प्रशासन की नींद टूटनी बाकि है। ऐसा नहीं है कि मेरठ के छावनी क्षेत्र में ऐसी इमारत नहीं है जिनके लिए फायर एनओसी की जरूरत हो। बल्कि छावनी क्षेत्र में तो ऐसी इमारतों की भरमार है। कैंट बोर्ड इंजीनियरिंग सेक्शन की छत्रछाया में जितनी भी इमारतें अवैध रूप से बनी हैं, उनमें से किसी ने भी फायर एनओसी नहीं लिए जाने की जानकारी सूत्रों ने दी है। नियमानुसार एक हजार स्कवायर फिट में बनी एक मंजिल से ऊपर की बिल्डिंग व ओपन टू पब्लिक एरिया जहां अधिक भीड़भाड़ रहती हो, ऐसे भवनों के लिए पुलिस महकमे की फायर एनओसी अनिवार्य है। इसके बगैर कैंट बोर्ड प्रशासन किसी भी भवन या एक से अधिक मंजिल वाली दुकान का नक्शा स्वीकृत नहीं कर सकता है। न ही वहां पर 22बी की तर्ज पर ट्रेड लाइसेंस दिया जा सकता है। इसके अलावा कैंट क्षेत्र में जितने भी सरकारी व प्राइवेट स्कूल चल रहे हैं, उन सभी के लिए पुलिस की फायर एनओसी का लिया जाना बेहद जरूरी है। दरअसल लखनऊ के होटल हादसे के बाद यूपी के पुलिस प्रमुख ने प्रदेश भर के पुलिस प्रमुखों को मंगलवार को एक पत्र भेजा है। जिसमें अन्य विभागों के साथ मिलकर ऐसे भवनों को ट्रेस करने के निर्देश दिए गए हैं जहां फायर एनओसी नहीं ली गयी है तथा ऐसे भवनों पर विधि संवत कार्रवाई को कहा गया है। छावनी क्षेत्र की यदि बात की जाए तो प्रमुख बिल्डिंग जिनमें ज्यादातर अवैध हैं, उनमें शामिल रजबन करई गंज का गोल्डन सपून या फिर पंजाबी तड़का, आबूलेन का होटल राजमहल व होटल नवीन समेत अन्य होटल इसमें  में शुमार किए जाते हैं। जिनकों लेकर डीजीपी ने चिंता जताई है।

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