कैंट बोर्ड: बहुत देर की मेहरबां आते-आते

कैंट बोर्ड: CBI खंगालेगी फाइल
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कैंट बोर्ड: बहुत देर की मेहरबां आते-आते, बीते आठ से नौ माह के दौरान छावनी क्षेत्र में भारी संख्या में हुए अवैध निर्माणों पर कार्रवाई के नाम पर देर से ही सही आखिरकार सीईओ कैंट की नींद टूट ही गयी और अवैध निर्माण मामलों में नोटिस भेजना शुरू कर दिया गया है, मगर अवैध निर्माणों पर कार्रवाई के नाम पर नोटिस भेजने में अब इतनी देर हो चुकी है कि नोटिस भेजा जाना महज रस्म अदायगी भर माना जा रहा है।  नियमानुसार छावनी क्षेत्र में होने वाले अवैध निर्माणों को लेकर सीजेएम की कोर्ट में प्रोसिक्यूशन अधिकतम छह माह के भीतर हो जाना चाहिए, लेकिन अवैध निर्माणों के जिन मामलों में नोटिस भेजे जा रहे हैं, उनमें बड़ी संख्या उन मामलों की है, जिनमें छह माह की मियाद पूरी हो चुकी है। जिसके चलते  इन नोटिसों का अब कोई अर्थ नहीं रह जाता, इसलिए कैंट बोर्ड प्रशासन को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं। अवैध निर्माणों की यदि बात की जाए तो देश भर के 62 छावनियों में मेरठ कैंट बोर्ड का ट्रेक रिकार्ड सबसे ज्यादा खराब व बदनाम माना जाता है। अवैध निर्माणाें को लेकर कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन के एई पीयूष गौतम अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। छावनी क्षेत्र में अंधाधुंध अवैध निर्माण हुए हैं,  इसमें इफ बट जैसी कोई गुंजाइश नहीं, लेकिन एई ने यदि समय रहते कार्रवाई की होती तो कैंट प्रशासन को फजीहत से बचाया जा सकता था। इंजीनियरिंग सेक्शन की ओर से कार्रवाई करना तो दूर की बात रही,  जानकारों की मानें तो जिन अवैध निर्माणों की रिपोटिंग सेनेट्री सेक्शन ने की उनमें से भी महज बीस से पच्चीस फीसदी ऐसे हैं जिनका संज्ञान इंजीनियरिंग सेक्शन ने लिया। इनमें भी ज्यादातर वो बताए जाते हैं जहां लेनदेन नहीं हो सकता था। अब जिन्हें नोटिस भेजे गए हैं उनमें बड़ी संख्या उनकी है जो अवैध निर्माण की कीमत इंजीनियरिंग सेक्शन को चुका चुके हैं। पता चला है कि कीमत चुकाए जाने के बाद भी नोटिस मिलने से खार खाए बैठे कुछ लोग इंजीनियरिंग सेक्शन की इस अवैध कमाई की शिकायत खुफिया एजेंसी को  बाकायदा अपना शपथ पत्र लगाकर भेजने की तैयारी में हैं और कुछ  भेज भी  चुके हैं। यह भी सुूनने में आया है कि अवैध निर्माणों को लेकर मंत्रालय की त्यौरियों के बाद ही नोटिस भेजने का ख्याल आया है, लेकिन उसमें काफी देर हो चुकी है।अब पछताए होत क्या जब चीड़िया चुग गई खेत।

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