कैंट बोर्ड अफसर खौफ के साए में, इसे सीबीआई के छापे का साइड इफैक्ट कहें या फिर छापे के बाद सेनेट्री सेक्शन के सुपरवाइजर द्वारा भर्ती घोटाले के किरदारों के नाम के खुलासे और संजय के जेल जाने के बाद से मेरठ कैंट बोर्ड के अधिकारी खौफ के साए में नजर आते हैं। हालत यहां तक आ गयी है कि भर्ती घोटाले को लेकर जिनके नाम लिए जा रहे हैं, उन्होंने अब कैंट बोर्ड दफ्तर से किनारा करना शुरू कर दिया है। हालांकि पक्की तौर पर कारण तो नहीं बताया जा सकता, लेकिन पता चला है कि इसी खौफ ने बोर्ड के बड़े साहब को संगम तट पर स्नान तक को मजबूर कर दिया। स्टाफ में भी इसको लेकर खासी सुगबुगाहट है। गाड़ी जो नवेन्द्र नाथ के कार्यकाल में खरीदी गयी थी , वह भी लंबे रूट का आनंद ले चुकी है अब। इलाहाबाद संगम तक की यात्रा ने इस गाउ़ी को रवा कर दिया। यह तो बात हुई बोर्ड के बड़े साहब की। उनके अलावा भी जो अन्य किरदार जिनका नाम सेनेट्री सुपरवाइजर द्वारा लिए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं, उनमें से भी किसी का मन इन दिनों मेरठ कैंट बोर्ड में सरकारी काम करने में नहीं लग रहा है। सीबीआई के खौफ का आलम यह है कि सीबीआई के सामने दो बार की पेशी के बाद सेनेट्री सेक्शन हैड का दिल भी कमजोर सा हो गया। दरअसल हो यह रहा है कि सीबीआई के छापे से पूर्व जो लोग दिन भर बोर्ड दफ्तर में कुर्सी से चिपके रहते थे, उन्हें अब दफ्तर की कुर्सी में कांटे नजर आते हें। आने का कोई टाइम नहीं है और यदि आ जाते हैं तो फिर दफ्तर से उन्हें जाने की जल्दी रहती है। बड़े साहब के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं, बडे़ साहब का पहले आगमन होता था सुबह 10.30 बजे फिर 11.15 बजे और अब आगमन हो गया 12.15 बजे और लंच के बाद दफ्तर में आने कोई गारंटी नहीं होती। वहीं स्टाफ भी मान रहा है कि सीबीआई की आमद के मददे नजर यह सब हो रहा है।