सल्तनत को मंदिर समिति का विरोध क्यों

सल्तनत को मंदिर समिति का विरोध क्यों
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सल्तनत को मंदिर समिति का विरोध क्यों, मेरठ के सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्री 1008 भगवान दिगंबर जैन पंचायती मंदिर के महज धार्मिक आयोजनों व अन्य कार्यक्रमों के लिए महज खुद की सल्तनत को बचाने के लिए विरोध की मुहिम चलाना कहां तक उचित कहा जा सकता है। सदर जैन समाज में यदि पारदर्शिता लाने के लिए कोई नयी पहल की जाती है तो उसका इसलिए विरोध किया जएगा कि कहीं  श्री पाश्र्व  जिनेन्द्र शिक्षा परिषद के आधीन शिक्षण संस्था पर चल रही बादशाहत को कोई चुनाैती न दे दे। मंदिर के संविधान की जानकारी रखने वालों का कहना है कि ऋषभ के संचालन की कमेटी में श्री 1008 भगवान दिगंबर जैन पंचायती मंदिर द्वारा नामित करीब 11 सदस्यों के होने का प्रावधान है। ये तमाम सदस्य शिक्षा परिषद के आधीन संचालित होने वाली ऋषभ एकाडेमी के संचालन में सहयोग कर सकते हैं। ऋषभ एकाडेमी में जो आए दिन कभी पुलिस कभी हंगामा सरीखे घटनाक्रम से बचने के लिए यदि कुछ करते हैं तो उसका विरोध किया जाना कैसे उचित कहा जा सकता है। कोई चुनौती न बजाए इसलिए महज इसलिए श्री 1008 भगवान दिगंबर जैन पंचायती मंदिर के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था के जो प्रयास किए जा रहे हैं, उसके खिलाफ मुहिम को कैसे सही माना जा सकता है। बेहतर तो यह होता कि इस प्रकार के प्रयास जो भी कर रहे हैं उनमें सहयोग करते, उन्हें आगे बढ़ाते। यह मंदिर और ऋषभ दोनों के लिए बेहतर स्थिति व अवसर पैदा करता। कुटिलता पूर्ण साजिशन भीतर ही भीतर बिखराव पैदा कर इस प्रकार के प्रयासों को पलीता लगाना कदापि उचित नहीं। वक्त आ गया है कि ऐसे मामलों में मैंबर अनिल जैन व सदर जैन समाज के कुछ प्रबुद्ध लोग आगे आकर एक सकारात्मक शुरूआत करें ताकि कम से कम मंदिर के काज के लिए तो स्थानीय व्यवस्था होने तक एक समिति बना दी जाए। कुटिल चालों व अनर्गल व प्रलाप से इसका विरोध सदर के जैन समाज में कदापि स्वीकार्यकता नहीं पा सकेगा। अब समाज मैंबर अनिल जैन से उम्मीद लगाए है। वो आगे बढ़कर समिति का एलान करें। सल्तनत की इससे चूलें हिल जाएंगी ऐसी सोच बचकानी मानी जाएगी।

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