CEO कैंट के बंगले का जेब्रा क्रासिंग दफन, करीब बीस लाख की लागत से सीईओ कैंट के बंगले के सामने लगवाया गया देश का पहला यूनिक भूमिगत जेब्रा क्रासिंग मेरठ कैंट बोर्ड ने ही दफन कर दिया। दफन भी ऐसा किया गया है कि नामोनिशान तक मिटा दिया। देश भर की 62 छावनियों में मेरठ छावनी के नाम का डंका बजाने वाले इस यूनिक जेब्रा क्रासिंग को साल 2016-17 में तत्कालीन सीईओ कैंट राजीव श्रीवास्तव के कार्यकाल में तैयार करा गया था। एक अनुमान के तहत इसको तैयार करने में करीब पंद्रह से बीस लाख सरकारी खजाने से खपा दिए। कैंट बोर्ड प्रशासन ने इसको लेकर खूब वाहवाही लूटी थी। देश भर की तमाम छावनियों में इसका प्रचार किया गया था। माल रोड स्थित सीईओ कैंट के सरकारी बंगले के बाहर भूमिगत स्वचालित जेब्राक्रासिंग की जानकारी लोगों को देने के लिए लगाया गया कैंट बोर्ड हालांकि अब उखाड़ कर बोर्ड के गोदाम में फैंक दिया है। तब रक्षा मंत्रालय के जो भी अफसर आया करते थे, कैंट बोर्ड के आला अधिकारी इस जेब्राक्रासिंग का दीदार कराना नहीं भूलते थे। जानकारों की मानें तो यह कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन के एई पीयूष गौतम का अलाभकारी प्रयोग था, इस प्रयोग को कराने के करीब पंद्रह बीस लाख रुपए कैंट बोर्ड के ही सरकारी खजाने से खपा दिए गए, जैसा की कैंट बोर्ड के स्टाफ में भी सुगबुगाहट है। हालांकि यदि भूमिगत स्वचालित जेब्राक्रासिंग प्रोजेक्ट की निष्पक्ष जांच हो जाए तो यह भी साफ हो जाएगा कि सरकारी खजाने को कितना बड़ा और कैसे यह चूना लगाया गया। बात यही खत्म नहीं होती। जिस भूमिगत जेब्राक्रासिंग को लेकर कैंट बोर्ड के एई वाह-वाही लूट रहे थे, वह अलाभकारी माना जा रहा है। यह बात पहले से ही सभी जनते थे। शायद यही करण रहा कि सीईओ कैंट के बंगले के सामने बनाए अनुपयोगी माडल को लेकर किरकिरी से बचने के लिए ही इस पर सड़क बनाकर दफन कर दिया। क्या सरकारी धन की बर्बादी की रिकबरी एई से निजी तौर पर नहीं की जानी चाहिए।