छापों के खिलाफ प्रदर्शन, उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तर प्रदेश पंजीकृत ने सभी प्रकार के जी.एस.टी. सर्वे छापे की कार्यवाही को तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है। प्रांतीय अध्यक्ष श्री लोकेश कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में व्यापारियों ने मेरठ में जीएसटी कार्यालय पर प्रदर्शन किया और एडिशनल कमिश्नर को अपना ज्ञापन सौंपा। लोकेश अग्रवाल ने कहा कि वाणिज्यकर विभाग के अधिकारियों द्वारा बाजारों में जाकर शासन से प्राप्त लिस्ट बताकर 40 लाख से कम टर्नओवर का व्यापार करने वाले व्यापारियों के यहॉ सर्वे छापे के नाम पर दंडात्मक कार्यवाही की जा रही है। इस कार्यवाही से व्यापारियों में भय व्याप्त है। मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में मांग की गई है कि जी.एस.टी लागू होने के बाद दो साल लगातार लॉकडाउन का प्रभाव रहा है, जिससे व्यापार जगत में भारी अस्थिरता का माहौल है। अब किसी प्रकार व्यापारी सम्भलना शुरू हुआ है। जी.एस.टी. अधिकारियों द्वारा पंजीयन बढ़ाने के नाम पर की जा रही कार्यवाही बिलकुल गलत है, क्योंकि वैट में 5 लाख तक का व्यापार करने वाले व्यापारी को ही रजिस्ट्रेशन से छूट प्राप्त थी, परन्तु जी.एस.टी. में 40 लाख तक का व्यापार करने वाले व्यापारियों को रजिस्ट्रेशन से छूट प्राप्त है, परन्तु वैट के मुकाबले जी.एस.टी. में पंजीकरण भारी संख्या में बढ़े हैं तथा सरकार को भी प्रतिमाह 1.5 लाख करोड़ के आस-पास राजस्व प्राप्त हो रहा है। इससे स्पष्ट है कि व्यापारी देश हित में बढ़-चढ़ कर राजस्व में योगदान दे रहा है। ज्ञापन में कहा गया कि जी.एस.टी. में रजिस्टर्ड व्यापारी के प्रतिष्ठनों पर पुलिस बल को साथ में लेकर सर्वे, छापे की कार्यवाही के नाम पर व्यापारियों में भय का वातावरण बनाया जा रहा है तथा मानवीय भूलों को आधार बनाकर लाखों रूपये जुर्माना आरोपित कर जेल भेजने का भय दिखाकर जबरजस्ती जमा करवाया जा रहा है। इन सबसे व्यापारी अनावश्यक मुकदमों के जाल में फंस जाएगा तथा व्यापारी उत्पीड़न को बढ़ावा मिलेगा। व्यापार नष्ट होने से सरकार को राजस्व का नुकसान होगा तथा व्यापारियों में सरकार की छवि भी खराब होगी।