कांप्लैक्स पर लगायी सील दी तोड़, मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन डी-वन पीएम शर्मा रोड पर किंग बेकरी के बताए जा रहे अवैध रूप से बनाए गए जिस कांप्लेक्स पर सील लगायी गयी थी वह अब वहां नहीं है, इस बात को सब जानते हैं, लेकिन जिन्होंने यह सील लगायी थी वो इस हिमाकत से पूरी तरह से बेखबर हैं। किंग बेकरी के बताए जा रहे जिस अवैध कांप्लैक्स की यहां बात की जा रही है वहां एक-एक दुकान की कीमत जो इस कांप्लैक्स में बनायी गयी हैं करीब अस्सी लाख से एक करोड़ आंकी जा रही है। जानकारों का मानना है कि मेरठ विकास प्राधिकरण से नक्शा पास कराकर विधिवत तरीके से काम किया जाता तो सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती, लेकिन यह हो न सका। इसके लिए अवैध कांप्लैक्स बनाने वालों की दबंगई जिम्मेदार है या फिर इस जोन के अफसरों की ओर से पूरी छूट मिली हुई थी, यह तो जांच का विषय है, लेकिन उससे बड़ी बड़ी बात यह कि जब तक अवैध बताया जा रहा कांप्लैक्स पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हो गया। उस शटर आदि नहीं लग गए, तब तक एमडीए ने भी इस अवैध अवैध कांप्लेक्स का संज्ञान नहीं लिया। जितना बड़ा यह कांप्लैक्स है, इतना तो तय है कि यह दो चार या दस बीस दिन में नहीं बन गया होगा। इसको बनने में कई महीने लगे हैं। जब यह बन रहा था मसलन जब इसका अवैध निर्माण शुरू ही किया गया था तभी क्यों नहीं एमडीए प्रशासन ने इस पर सील लगा दी। ऐसा क्यों नहीं किया गया, इसका उत्तर तो मांगना बनता है। क्योंकि जितने भी अवैध निर्माण हो रहे हैं, आमतौर पर हो यह रहा है कि एमडीए की टीम ज्यादातर पर तब तक सील नहीं लगाती है, जब तक उनका निर्माण पूरा नहीं कर लिया जाता है। अवैध निर्माण पूरा होते ही एमडीए के अफसरों को एकाएक कार्रवाई के नाम पर सील लगाए जाने की याद आती है। एमडीए की सील का अस्तित्व भी खतरे में:- पीएम शर्मा रोड पर किंग बेकरी के बताए जा रहे अवैध कांप्लेक्स की तर्ज पर एमडीए की ओर से जितनी भी स्रील लगायी जा रही हैं, उन सब का वजूद खतरे में हैं। एमडीए की लगाई सील को अवैध निर्माण करने वाले तमाम बिल्डर या अन्य लोग चंद घंटे बाद ही तोड़कर वहां अवैध निर्माण शुरू कर देते हैं। ऐसे ही कुछ मामलों में लिसाडीगेट पिलोखड़ी रोड पर फलक पैलेस के सामने बन रहा कांप्लैक्स, एसके रोड पर किसी पवित्र मित्रा नाम के बिल्डर का कांप्लैक्स ऐसे एक दो नहीं बल्कि दर्जनों मामले हैं जिनमें एमडीए की लगायी गयी सील को तोड़ दिया गया और दोबारा वहां निर्माण शुरू कर दिया गया। कई तो ऐसे भी मामले हैं जिनमें एक लैंटर के बाद सील लगायी गयी, लेकिन अगला लैंटर डालने के लिए सील को ही तोड़ दिया गया। कुछ मामलों में एफआईआर भी करायी जाती है, लेकिन तहरीर देने के बाद उसकी पैरवी के नाम पर दो कदम आगे और चार कदम पीछे होते हैं। इसकी बड़ी मिसाल बिल्डर पवित्र मित्रा है। वहीं दूसरी ओर जब किंग बेकरी की सील तोड़े जाने को लेकर जोन डी-वन के अवर अभियंता से एमडीए का पक्ष जानने का प्रयास किया तो उन्होंने काल ही रिसीव नहीं की।