कोर्ट के तीन सौ साल पुराने कुएं की खुदाई के आदेश

कोर्ट के तीन सौ साल पुराने कुएं की खुदाई के आदेश
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कोर्ट के तीन सौ साल पुराने कुएं की खुदाई के आदेश, बस्ती जिले के ग्रामसभा खझौला में एक 300 वर्ष से भी अधिक पुराने कुएं को अवैध रूप से कब्जा करके इसे 3 वर्ष पूर्व मिट्टी भर कर पाट दिया गया था, इलाहाबाद हाइकोर्ट ने बस्ती के मुख्य विकास अधिकारी और जिलाधिकारी को महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया है कि बस्ती जिला प्रशासन तत्काल कुएं की पूर्व स्थित बहाल करना सुनिश्चित करें | याचिकाकर्ता प्रोफेसर महेंद्र पाल चौधरी ग्रामसभा खझौला के ही मूल निवासी हैं, और इन्होंने अपनी प्राइमरी शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की थी । अक्सर देश के अन्य भागों में व विदेशों में रहते हैं | प्रोफेसर चौधरी ने इस मामले में उचित कार्यवाही हेतु शासन, प्रशासन से शिकायत किया लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई तब प्रोफेसर महेंद्र पाल चौधरी ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार को बहस के दौरान तथ्यों को अवगत कराया कराते हुए प्राकृतिक संसाधन संरक्षण की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए निर्देश को अवगत कराया। जिसपर बस्ती के मुख्य विकास अधिकारी और जिलाधिकारी को आवश्यक कार्रवाई हेतु निर्देश दि। प्रोफेसर एम.पी. चौधरी वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैथमेटिशियन (गणितज्ञ) एवं वैज्ञानिक है, किंतु आज भी उनका लगाव गांव की प्रति पहले जैसा है ।इस गांव से निकलकर प्रोफेसर चौधरी ने अपनी उच्च शिक्षा कई संस्थानों से प्राप्त की | वह अपने शिक्षा एवं शोध के संबंध में पृथ्वी पर स्थित चार महाद्वीपों एशिया, अफ्रीका, यूरोप एवं अमेरिका के विभिन्न देशों में स्थित अनेकों शैक्षणिक एवं शोध संस्थानों से संबन्धित रहे हैं | जिसमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, इंग्लैंड, यू.के. एवं पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय, यू.एस.ए. प्रमुख हैं | अभी हाल में ही अमेरिका स्थित स्‍टैनफोर्ड विश्वविद्यालय ने वर्ष 2023 के लिए दुनिया की सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों की सूची जारी की है, जिसमें प्रोफेसर चौधरी को भी स्थान दिया गया है | प्रोफेसर चौधरी भारत सरकार के विज्ञान और प्रोद्यागकी विभाग एवं परमाणु ऊर्जा विभाग में शोध वैज्ञानिक के रूप में संबंध रहे हैं । वर्ष 2003 में प्रोफेसर चौधरी द्वारा लिखी गई पुस्तक भारत में उच्च शिक्षा एवं समस्याओं को पूर्व राष्ट्रपति के. आर. नारायण ने अपना संदेश लिखकर सम्मानित किया था ।

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