सिर पर हर वक्त मंडराती मौत,
अफसरों की जेब भरी एनएचएआई के नियम कायदे हल्के
अवैध कब्जों पर कार्रवाई के बजाए अफसरों की हफ्ता वूसली
हाइवे की सरकारी जमीन पर विवाह मंडपों व होटलों की पार्किंग
मेरठ/एनएच-5/.8 हाइवे पर परतापुर से लेकर सिवाय टोल तक एनएचएआई अफसरों की हफ्ता वूसली की आदत के चलते यहां से गुजरने वालों के सिर पर हर वक्त मौत मंडराती है। हाइवे पर फर्राटा भर रही गाड़ी के आगे कब कौन कहां से मौत बनकर अचानक सामने आ जाए और अगले ही पल गाड़ी में बैठे लोगों का काम तमाम, कहा नहीं जा सकता। इस हाइवे पर एनएचएआई स्टाफ की हफ्ता वसूली की बुरी आदत ने यहां से होकर तय होने वाले से सफर को खतरनाक बना दिया है। एनएचएआई की कारगुजारियों के चलते एनएच-58 हाइवे का परतापुर से लेकर मोदीपुरम फ्लाई ओवर के इलाके को अब डेंजर जोन कहा जाने लगा। यहां हर वक्त मौत के साए मंडराते हैं।
हफ्ते के लिए करा दिए कब्जे
एनएच-58 पर जगह-जगह लगता है कि अफसरों ने हफ्ता वसूली के लिए ही एनएचएआई की जमीन को बेच डाला है। नियम यह है कि हाइवे पर कहीं भी एक निश्चित दूरी पर किसी प्रकार की अवरोध नहीं होना चाहिए, लेकिन इस हाइवे की यदि बात की जाए तो यहां की हाइवे किराने अवैध कब्जों की बाढ़ आयी हुई है। सर्विस रोड को बेच दिया लगता है। वहां अवैध दुकानें सजने लगी हैं। बागपत रोड फ्लाई ओवर के दोनों ओर सर्विस रोड है। यहां दोनों ओर फल व खाने आदि का सामान बेचने वाले ठेले लगाकर खडे होते हैं। सबसे ज्यादा बुरा हाल तो रोहटा रोड फ्लाई ओवर की सर्विस रोड का है, वहां और भी ज्यादा बुरा हाल है। वहां तो एक कालोनाइजर ने ही एनएचएआई की जमीन पर कब्जा कर वहां कालोनी के लिए रोड बना डाली। हालांकि इस मामले को लेकर अब एनजीटी यानि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नोटिस भेजकर जवाब मांग लिया है। एनजीटी ने यह कार्रवाई सामाजिक कार्यकर्ता दुष्यंत रोहटा की शिकायत पर की है।
हाइवे किनारे अवैध पार्किंग
एनएच-58 देश के प्रमुख हाइवे में शुमार किया जाता है। यहां से देश भर का हैवी टैÑफिक गुजरता है। देश के तमाम राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं की गाड़ियां जिन्हें हरिद्वार या ऋषिकेश स्नाने के लिए जाना होता है वो सभी इसी हाइवे से होकर गुजरते हैं। वेस्ट यूपी को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने वाला यह मुख्य हाइवे है। इसी वजह यहां से होकर हैवी ट्रैफिक गुजरता है। लेकिन इस हैवी ट्रैफिक पर उस वक्त ब्रेक लग जाता है जब हाइवे बनवा दिए गए अवैध होटलों, विवाह मंडपों व होटलों में आने वाले तमाम वाहन हाइवे किनारे पार्क करा दिए जाते हैं। हाइवे पर जितने भी विवाह मंडप हैं उनमें जो भी आयोजन होते हैं उनमें आमतौर पर एक अनुमान के मुताबिक एक हजार से ज्यादा गाड़ियां होती है। हाइवे के जो विवाह मंडप हैं उनसे से किसी एक के भी पास विवाह मंडपों के भीतर गाड़ियों को पार्क करने का इंतजाम नहीं हैं। वहां यदि गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था कराई जाएगी तो फिर बाकि आयोजन के लिए स्पेस नहीं रहे जाएगा, इसलिए जिनने भी अवैध होटल, विवाह मंडप रिसोर्ट हाइवे पर मेरठ विकास प्राधिकरण अफसरों ने ऊपरी कमाई के चक्कर में बन दिए हैं उन सभी की पार्किंग के लिए सरकारी जमीन खासतौर से ग्रीन बैल्ट को कब्जा लिया गया है। वहां हाइवे के किनारें पार्किंग बना दी गयी है जहां समारोह में आने वालों की गाड़ियां खड़ी करायी जाती हैं। कई बार तो हालत यह होती है कि हाइवे पर दोनों ओर गाड़ियां खड़ी होती हैं। जबकि ऐसा होना चाहिए। हाइवे पर जब भी जाम लगता है, अफसरों और भूमाफियाओं की इसी प्रकार की कारगुजारी से लगता है।
कारगुजारी मेडा की मुसीबत पुलिस की
हाइवे पर प्राधिकरण अफसरों की कारगुजारियों या कहें ऊपरी कमाई के चस्के के चलते बनवा दिए गए अवैध रिसोर्ट, विवाह मंडपों, होटलों व ढावों और सबसे ज्यादा और खासतौर से खडौली के मुस्लिम होटलों की वजह से लगाने वाला जाम पुलिव वालों के लिए मुसीबत साबित होता है। कुछ दिन पहले इतना जबरदस्त जाम खड़ौली के अवैध मुस्लिम होटलों की वजह से लग गया था कि खुद एसपी टैÑफिक समेत पुलिस के यातायात महकमे के पूरे अमले को हालात संभालने के लिए पड़ा था। करीब पांच घंटे एनएच-58 पर गाड़ियों के पहिए या तो थम गए थे या फिर गाड़ियां रेंग रही थीं। ऐसा महीने में कई बार होता है। लेकिन इसके बाद भी मेडा प्रशासन अवैध होटलों व विवाह मंडपों की पार्किंग को लेकर संजिदा नहीं। हालांकि एसपी ट्रैफिक राघवेन्द्र कुमार मिश्रा ने बताया कि अवैध होटलों की वजह से लगाने वाले जाम को देखते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए प्राधिकरण अफसरों से कार्रवाई का आग्रह किया है। यदि हाइवे के होटल व ढावे तथा अवैध पार्किंग हटवा दी जाए तो यहां से होकर किया जाने वाले सफर को लोग फिर डेंजर जोन में शुमार नहीं किया करेंगे।
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