दिल में ये जज्बात रहें या ना रहें…, मेरठ। हिंदी पखवाड़े के अवसर आईआईएमटी विश्वविद्यालय में मीडिया, फिल्म एवं टेलीविजन स्टडीज विभाग में कवि सम्मेलन का आयोजन कराया गया। जिसमें मोहम्मद हमजा और हुजैफा संयुक्त रूप से पहले स्थान पर रहे। बृहस्पतिवार को काव्य सम्मेलन और स्वरचित कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया। कवि योगेश समदर्शी ने छात्रों को भावों और कंटेंट पर काम करने की जरुरत जताई। वरिष्ठ कवि रामगोपाल भारतीय ने दोटूक कहा कि प्रेम चंद और भगत सिंह का उदाहरण देते हुए छात्रों को समझाया कि पत्रकार और साहित्यकार अलग नहीं होते। ‘रिश्तों में वो पहली सी मुहब्बत नहीं रही, मेहमान नवाजी की भी आदत नहीं रही.. लौटा दिया था एक दिन घर से फकीर को, उस दिन से किसी चीज में बरकत नहीं रही’ सरीखी रचनाओं के साथ उन्होंने छात्र-छात्राओं को तालियां और वाहवाही के लिए मजबूर कर दिया। प्रतियोगिता में पत्रकारिता विभाग के मोहम्मद हमजा ने दोस्ती के ऊपर एक शानदार नज्म पेश की वहीं कॉमर्स ऑनर्स के छात्र हुजैफा ने बेवफा लड़की शीर्षक से अपनी गजल सुनाकर वाहवाही बटोरी। दोनों छात्रों को पहले स्थान पर रखा गया। गौर तलब है कि दोनों ही छात्र प्रथम वर्ष के छात्र हैं। ‘होना और ना होना’ कविता सुनाकर पत्रकारिता विभाग के चेतन चौहान कविता सुनाकर दूसरे स्थान पर रहे। इसी विभाग की पूर्णिमा की कविताओं के लिए उन्हें तीसरे स्थान पर चुना गया। खास तौर पर कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए गाजियाबाद से पहुंचे पत्रकारिता के शिक्षक संजीव कुमार मिश्र ने भी अपनी कविता मै पत्रकार बनाता हूं के साथ छात्रों और आमंत्रित कवियों को भाव विह्वल कर दिया। वहीं आईआईएमटी एफएम के आरजे हुसैन ने अपने शेरों पर जबरदस्त तालियां बटोरी। प्रतियोगिता का संचालन पत्रकारिता के छात्र अर्चित कौशिक और डॉ विवेक ने किया। विभाग के वरिष्ठ शिक्षक डॉ नरेंद्र कुमार मिश्र ने आगन्तुक कवियों का आभार जताया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विभागाध्यक्ष विशाल शर्मा, डॉ पृथ्वी सेंगर, विभोर गौड़ और अमित राय ने सहयोग किया।