ऐ पुलिस तेरी बेबसी पे रोना आया, चड़ीगढ़। दो लोगों को जिंदा जलाए जाने के आरोपी मोनू मानेसर के खिलाफ बजाए बुलडोजर सरीखी कार्रवाई के बेबस नजर आ रही पुलिस को देखकर रोना आ रहा है। वहीं दूसरी ओर उसकी पैरवी में उतरे लोग पुलिस को ही धमकाने में लगे हैं। आरोपी बताए जा रहे माेनू के समर्थन में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने हरियाणा के मानेसर में ‘हिंदू महापंचायत’ बुलाई थी. पंचायत में राजस्थान पुलिस को मोनू मानेसर और मामले के अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने की चुनौती दी. पुलिस को आरोपियों को गिरफ्तार करने पर ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने की चेतावनी दी. एक अंग्रेजी दैनिक के अनुसार पटौदी के गोरक्षा दल के एक सदस्य नीलम इस महापंचायत में कहते दिखे, ‘अगर राजस्थान पुलिस मोनू को गिरफ्तार करने आई, तो अपने पैरों पर वापस नहीं जाएगी. अगर मोनू गिरफ्तार हुआ तो हम हाईवे जाम कर देंगे, गिरफ्तारियां देंगे, जेल छोटी पड़ जाएंगी. नूंह से कांग्रेस के विधायक आफताब अहमद ने विधानसभा में कहा कि इस घटना से हरियाणा सरकार अपना दामन छुड़ाने की कोशिश कर रही है. पुलिस प्रशासन पर भी इस घटनाक्रम में गलत भूमिका के सख्त व संगीन आरोप लग रहे हैं. मुख्यमंत्री को चाहिए कि इस घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए और दोषियों पर सख्त कानूनी कारवाई हो. वहीं इस मामले में , हरियाणा पुलिस द्वारा राजस्थान पुलिस के 30-40 कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. नूंह में दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि ’30-40 लोग राजस्थान पुलिस की वर्दी और सादे पोशाक में शिकायतकर्ता दुलारी के घर में घुस गए और घर की महिलाओं के साथ मारपीट की.’ उल्लेखनीय है कि राजस्थान के घाटमीका गांव के दो निवासी- जुनैद और नासिर 14 फरवरी की सुबह अपने एक रिश्तेदार से मिलने के लिए बोलेरो कार से घर से निकले थे और कभी नहीं लौटे. परिवारों ने आरोप लगाया कि बजरंग दल के सदस्यों ने जुनैद और नासिर की हत्या कर दी और पुलिस से संपर्क किया. हरियाणा के भिवानी में दोनों के जले हुए शव एक गाड़ी में मिले थे. मामले को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी. मृतकों के परिजनों ने अपनी शिकायत में कहा था कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दोनों का भरतपुर से अपहरण किया. इस मामले में पुलिस ने बजरंग दल और गोरक्षा दल के मोनू मानेसर समेत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एक हिंदू संगठन के नेता अधिवक्ता कुलभूषण भारद्वाज ने कहा, ‘गुड़गांव पुलिस को आश्वस्त करना चाहिए कि मोनू मानेसर के परिवार को छुआ नहीं जाएगा. बिना पूर्व सूचना के कोई भी पुलिस वाला उनके घर नहीं जाएगा, अन्यथा वे जीवित नहीं लौटेंगे.’