2 से हो गए 40-अफसर बताएं कैसे,
मेरठ²/ तीन-तीन जिलाधिकारियों के आदेश के बाद भी जीआईसी (राजकीय इंटर कालेज) के बाहर किए गए अवैध कब्जे हटाए नहीं जा सके। करीब डेढ़ दशक पहले यहां केवल दो खोखे हुआ करते थे, लेकिन आज यह संख्या बढ़कर चालिस जा पहुंची है। हर माह होने वाली उद्योगबंधु की बैठक में विपुल सिंहल व विष्णुदत्त पराशन सरीखे व्यापारी नेताओं ने जीआईसी के बाहर करोड़ों रुपए कीमत की सरकारी जमीन पर कराए जा रहे कब्जों का मामला उठाया है। जिलाधिकारी दीपक मीणा ने उद्योग बंधु की बैठक में ही जीआईसी के बाहर किए गए अवैध कब्जे हटाने के आदेश नगरायुक्त को दिए थे। नगर निगम के वर्तमान नगरायुक्त को भी आदेश दिए गए और इनसे पूर्ववर्ती नगरायुक्तों को भी जीआईसी के बाहर किए गए अवैध कब्जों को हटाने के लिए अनेकों बार आदेश दिए जा चुके हैं। जब डीएम जैसे जिले के सबसे बड़े अधिकारी के आदेश के बाद भी मेन रोड पर सरकारी जमीनों पर किए जा रहे अवैध कब्जों का संबंधित अधिकारी और विभाग संज्ञान नहीं ले रहे हैं तो फिर शहर के दूसरे अंदरूनी इलाकों में सरकारी जमीन पर किए जा रहे अवैध कब्जों पर कार्रवाई की बात सोचना ही बेमाने होगी।
नाला बना तो हो गए पक्के
जीआईसी के बाहर जब नगर निगम ने गंगा प्लाजा से बच्चापार्क तक के लिए नाले का निर्माण शुरू कराया था तो उम्मीद की जा रही थी कि नाले के लिए जब खुदाई करायी जाएगी तो निगम प्रशासन की जेसीबी से खुदाई करायी जाएगी तो इन कब्जों को हटा दिया जाएगा, लेकिन हुआ इसका एकदम उलटा। जीआईसी के बाहर बनाए गए नाले के बाद तो इन अवैध कब्जों को अब वैध माने जाने की कवायद की जा रही है। यह बात अलग है कि इसके लिए अवैध कब्जा करने वालों से मोटी रकम वसूली गयी है। नाला बनने के बाद तय किया गया था जितने भी अवैध कब्जे हैं वो सभी नाले से पीछे रहेंगे। जीआईसी की दीवार तक की नाले के दोनों ओर की जमीन को पक्का सीमेंटेड कर दिया गया, लेकिन अवैध कब्जे करने वाले नाले से पीछे होने के बजाए नाले पर कब्जा करने के साथ ही सड़क की ओर आगे तक काविज हो गए हैं। नाले को कवर कर वहां भी कब्जा कर लिया गया है। यदि प्रशासन खासतौर से निगम प्रशासन का इनको लेकर इसी प्रकार कर रवैया बना रहा तो अवैध कब्जे करने वाले नाले के ऊपर पक्के स्लेप डाल लेंगे फिर ना तो इनको हटाया जा सकेगा और ना ही नाले की सफाई आसान होगी।
सबको मिले हफ्ता तो कौन करे कार्रवाई
जीआईसी के बाहर करोड़ों कीमत की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों पर जब कार्रवाई की बात उठाई जाती है तो इनको यहां से हटाने की मांग करने वाले लगे हाथों उद्योगबंधु की बैठक में अफसरों को आइना दिखा देते हैं कि जब सभी हफ्ता वसूली में लगे हो तो कार्रवाई कौन करे। विष्णु दत्त पराशर ने आरोप लगाया कि निगम स्टाफ और इलाके के थाने का स्टाफ का हफ्ता बंधा हुआ है। अवैधे कब्जे को लेकर इनके हाथों ही कार्रवाई की जानी होती है जब हफ्ता मिल रहा हो तो फिर कार्रवाई की बात कौन सोचता है।
2 से हो गए 40
व्यापारी नेता विष्णुदत्त पराशन ने बताया कि करीब डेढ दशक पहले महज दो खोखे यहां हुआ करते थे, लेकिन आज इनकी संख्या चालिस पर जा पहुंची है। विपुल सिंहल बताते हैं कि जीआईजी के बाहर सरकारी जमीन पर कब्जे करने वाले जब दो थे तब नहीं हटे तो अब तो संख्या चालिस पर पहुंचने के बाद ये वैसे भी बहुमत में हो गए हैं। इन पर कार्रवाई की उम्मीद रखना भी बेमाने होगा। लेकिन जो हालात हैं उसके लिए सिर्फ और सिर्फ सिस्टम और पुलिस व निगम स्टाफ की हफ्ता वसूली जिम्मेदार है।
2 से हो गए 40-अफसर बताएं कैसे
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