पहले नोटिस फिर बैकफुट पर DEO

पहले नोटिस फिर बैकफुट पर DEO
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पहले नोटिस फिर बैकफुट पर DEO,

मेरठ/छावनी क्षेत्र के वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला नंबर 224 एमपीएस पब्लिक स्कूल, 233 एमपीएस गर्ल्स विंग, माल रोड बंगला नंबर 17 डीडीयूएमसी (दीनदयाल उपाध्याय मैनेजमेंट कालेज) समेत करीब दर्जन भर को पीपीई एक्ट-1971 के नोटिस देने के बाद डीईओ (रक्षा संपदा कार्यालय) कार्यालय फ्रंटफुट पर आकर एकाएक बैकफुट पर आ गया। जिनको नोटिस भेज गया था उनसे पूछा गया था कि किस हैसियत से यहां मौजूद हो, कितना निर्माण किया गया। क्या यह निर्माण कैंट प्रशासन की स्वीकृति से किया गया है। जिन्हें नोटिस के साथ लंबे चौडेÞ सवालों की सूची भेजी गयी उन सभी में हड़कंप मचा रहा। तमाम लोग डीईओ आफिस व बडेÞ साहव के करीबियों की परिक्रम करते नजर आए। कई तो आॅफ्टर आॅफिस वर्किंग टाइम डीईओ आॅफिस में देखे गए। इन मुलाकातों का नतीजा क्या निकला यह तो स्पष्ट नहीं, लेकिन बताया जाता है कि करीबियों के साथ मुलाकातें लंबी और लगातार चलीं। नोटिस प्रकरण के चलते जिन्हें नोटिस भेजे गए उनमें से कुछ मुलाकातों व करीबियों को बाईपास कर सीधे भाजपा के एक बडे सांसद के पास जा पहुंचे। दरअसल जिन्हें नोटिस दिए गए वो सभी पुराने भाजपाई हैं, कुछ संघ पृष्ठभूमि से आते हैं और इक्का दुक्का ऐसे थे जिनकी शुरूआत कांग्रेस पृष्ठ भूमि से हुई और बाद में वह बसपा के करीबी हो गए और अब उनका शुमार भाजपाइयो की महफिल में होता है। इन्होंने डीईओ आफिस के शिकायत शिकायतों का पूरा पुलिंदा सौंप भाजपा को थमा दिया। इस भाजपा नेता की रक्षा मंत्री से नजदीकियां जगजाहिर हैं। बगैर देरी किए मामले की जानकारी रक्षा मंत्रालय को भेज दी गयी। बस फिर क्या था कि फ्रंटफुट पर नजर आ रहे डीईओ आॅफिस को बैकफुट में आने में बिलकुल भी देरी नहीं लगी। इतना ही नहीं नोटिस भेजने वाले साहव ने सफाई दी। बाद में भाजपा के नेता भी डीईओ आॅफिस जा पहुंचे और प्रकरण का पटाक्षेप कर दिया गया। इसके बाद सवाल पूछा जा रहा है कि यदि कार्रवाई करनी ही नहीं थी तो फिर नोटिस क्यों दिए गए। इस संबंध में डीईओ से संपर्क का प्रयास किया उनसे बात नहीं हो सकी।

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