पांच मंजिला होटल यानि खतरा ही खतरा

पांच मंजिला होटल यानि खतरा ही खतरा
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पांच मंजिला होटल यानि खतरा ही खतरा,  मेरठ विकास प्राधिकरण के  जोन सी-टू में खडौली के समीप एक पांच मंजिला होटल बन गया, लोगों का कहना है कि इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा संभव है। हालांकि एमडीए के टाउन प्लान विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि नक्शा पास कर सोमित ने यह बनवाया है। हालांकि आरोप है कि   कुछ भ्रष्ट अफसरों से मिलकर पांच मंजिला  होटल बना डाला। ऐसा नहीं कि यह होटल रातों रात बन गया। अरसे से इसका काम चल रहा है। रात के अंधेरे में नहीं बल्कि दिन के उजाले में होटल का अवैध निर्माण कराया गया और  निर्माणों के खिलाफ ताल ठोकने का दम भरने वाले एमडीए के अफसरों को यह नजर नहीं आया। एमडीए के तमाम उच्च पदस्थ अफसर अक्सर दावा किया करते थे कि ड्रोन व सेटलाइट से अवैध निर्माणों पर नजर रखी जाएगी। ज्यादा वक्त नहीं बीता है जब एमडीए के तमाम जोन में अधिकारियों ने ड्रोन उड़वाए थे। उसके बाद सेटलाइट से नजर रखने का दावा किया गया था। उसके बाद भी यदि एनएच-58 पर पांच मंजिला अवैध होटल बना जाता है तो अफसरों की मंशा पर तो सवाल उठेगा ही। अवैध निर्माण कराकर जो होटल बनाया जा रहा है वो केवल अवैध ही नहीं है बल्कि वो खामियों का पुलिंदा भी है। इस प्रकार के निर्माण में जिस प्रकार की तकनीकि चीजें जरूरी मानी जाती हैं उन सभी की अनदेखी की गयी है। जिसके चलते यदि होटल ध्वस्त होने से कभी कोई बड़ा हादसा हो जाए तो हैरान होने की कोई जरूरत नहीं है। इतनी ऊंचाई पर होटल सरीखे किसी भवन के निर्माण के लिए जो तकनीक इस्तेमाल की जानी चाहिए थी, अवैध निर्माण कराने वालों ने उसका इस्तेमाल नहीं किया किया। पांच मंजिला इस होटल को बगैर कालम या जिसको सामान्य बोलचाल की भाषा में जोड़ी कहा के बगैर ही खड़ा कर दिया गया। इसको बगैर किसी स्ट्रेक्चरल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किए एमएस स्टील यानी माइल्ड स्टील के कालम का जुगाड़ लगाकर खड़ा किया है। इन दिनों इस होटल के बाहरी दीवारों पर रंगाई पुताई का काम चल रहा है ताकि यदि एमडीए के किसी अफसर की नींद टूट जाए और वह यहां की सुध ले ले तो साबित किया जा सके कि यह पुराना निर्माण है।
खेती की भूमि
जहां यह पांच मंजिला होटल बनाया गया है वहां कुछ समय पहले खेत थे। आसपास के लोगों ने बताया कि यहां सब्जियां उगायी जाती थीं, लेकिन होटल बनाने वालों ने साम-दाम-दंड़-भेद की नीति के चलते किसान पर प्रेशर डालकर उससे जमीन कब्जा ली। नियमानुसार जब भी इस प्रकार की जमीन पर व्यवसायिक गतिविधियां की जाती हैं तो उसका भू-उपयोग तहसील से तब्दील कराया जाता है , लेकिन आसपास के लोगों की मानें तो जहां जिन्होंने यह अवैध होटल बनाया है उन्होंने भू-उपयोग तक तब्दील कराए जाने की जरूरत तक नहीं समझी। यहां तक कि फायर एनओसी तथा अन्य विभागों की भी एनओसी नहीं लिए जाने की जानकारी आसपास के लोेगों ने दी। नाम न छापे जाने की शर्त पर एक शख्स ने बताया कि इसकी शिकायतें भी एमडीए अफसरों से की जा चुकी हैं, लेकिन लगता है कि भ्रष्टाचार के हमाम में सभी नंगे हैं।
अवैध खनन से भराई
लोगों ने बताया कि अवैध होटल बनाने वालों में खेत में लोहे का स्ट्रक्चर खड़ा करने से पहले कई दिन तक खेतों की मिट्टी से यहां भराव कराया गया। जो मिट्टी मंगाई गयी थी वह भी अवैध खनन कराकर मंगाई गई थी। लोगों की मानें तो रात के अंधेरे में यहां दर्जनों ट्रैक्टर-ट्रालियां लगाकर भराव कराया जाता रहा। जहां यह होटल बनाया गया है वो एनएच-58 का जटौली हाईवे है। इसलिए ऐसा भी नहीं माना जा सकता था अवैध खनन कराकर होटल के लिए खेत में भराव कराया जाता रहा है और संबंधित अफसरों की इसकी भनक तक नहीं लगी।
सीएम योगी की हिदायत को एमडीए अफसरों की ना
सूबे की सीएम योगी ने सख्त लहजे में हिदायत दी है कि सीयूजी नंबर पर जो भी कॉल आए उसको रिसीव किया जाए, यदि अफसर व्यस्त हैं तो पहली फुर्सत में सीयूजी नंबर पर आने वाली कॉल की रिप्लाई दी जाए, लेकिन लगता है कि एमडीए अफसरों के लिए सीएम योगी की हिदायत कोई मायने नहीं रखती। उक्त मामले में जानकारी को जब एमडीए के सचिव आनंद सिंह, जोनल अधिकारी अर्पित यादव और जेई पवन शर्मा से संपर्क का प्रयास किया तो कई बार कॉल किए जाने के बाद भी कॉल रिसीव नहीं की गयी। वीसी का नंबर आॅउट ऑफ रेंज जाता रहा।

वर्जन

एमडीए के टाउन प्लानर विजय सिंह का कहना है कि नक्शा पास करने के बाद ही यह निर्माण किया गया है। इससे कोई खतरा नहीं है।

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