गजब! प्रमोशन सूची जारी होने के बाद पात्रता की जांच,
-बिजिलेंस जांच व एफआईआर के बाद भी सुधरने को तैयार नहीं पावर अफसर
-कोरम पूरा करने के लिए अपात्र भी कर लिए गए शामिल, अब जांच की नौटंकी
शेखर शर्मा
टीजी-टू से अवर अभियंता यानि जेई बनने वालों के प्रमोशन की सूची जारी किए जाने के नाम पर किए गए खेल में गर्दन फंसने की आशंका से डरे यूपी पावर कारपोरेशन के अफसर प्रमोशन सूची जारी किए जाने के बाद अब पात्रता की जांच कर रहे हैं। इसके लिए मेरठ स्थित पीवीवीएनएल समेत प्रदेश भर के सभी डिस्कॉम को पत्र भेजकर जिनके नाम प्रमोशन सूची में शामिल हैं उनकी पात्रता को लेकर ब्योरा तलब किया गया है। सबसे बड़ा सवाल यहां यही उठता है कि जो काम प्रमोशन से पहले यानि पात्रता की जांच का किया जाना था वह प्रमोशन सूची जारी करने के बाद किस कारण से किया जा रहा है या फिर यह मान लिया जाए कि साल 2004 की तर्ज पर बिजिलेंस सरीखी किसी जांच या जांच के बाद एफआईआर की आशंका से प्रमोशन करने वाले अफसर ग्रसित हो गए हैं।
यह है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में टीजी-टू का प्रमोशन किया जाना था। इसके लिए पीवीवीएनएल के मेरठ स्थित मुख्यालय समेत प्रदेश भर के डिस्कॉम से पात्र टीजी-टू की सूची तलब की गयी थी। इस सूची को भेजने के नाम पर जो खेल किया गया था, उसकाे इस सबसे पहले इस संवाददाता ने ही उजागर किया था। खेल उजागर होने के बाद काफी हाय तौबा मची थी। दरअसल अपने चहेतों कुछ टीजी-टू को जेई का प्रमोशन दिए जाने के लिए ऐसे नाम भेज दिए गए जो इस दुनिया में ही नहीं हैं या फिर जो मुद्दत से डयूटी पर नहीं है और जिन्होंने प्रमोशन लेने से मना कर दिया है। प्रमोशन लेने से मना करने वालों में ऐसे टीजी-टू बताए जाते हैं जो टीजी-टू के तौरी पर अपनी तीसरा टर्म पूरा कर रहे हैं इसके चलते उनकी सेलरी पैकेज जेई सरीखा है। ऐसे में प्रमोशन होने पर वह किसी दूसरे दूरदराज के डिस्कॉम में जाना क्यों पसंद करेंगे। लेकिन इसके बाद भी उनके नाम भेजे गए। जब मामले का भंड़ाफोड़ कर दिया गया तो हायतौबा मची अफसरों ने भूल में सुधार की बात कही।
463 के सापेक्ष महज 302 का प्रमोशन
प्रदेश भर में कुल 463 टीजी-टू को जेई का प्रमोशन दिया जाना था, लेकिन जब दो तीन दिन पहले सूची जारी की गयी तो उसमें महज 302 नाम ही शामिल थे, मसल कुल 302 को प्रमोशन दिया गया। जो प्रमोशन का इंतजार कर रहे थे या फिर प्रमोशन प्रक्रिया के नाम पर कथित खेल पर लगातार नजर बनाए हुए थे, सूत्रों ने जानकारी दी है कि जब उनके स्तर पर पड़ताल की गयी तो चौंकाने वाली चीजें सामने आयीं। पहली तो यह कि 1353 का कोरम पूरा करने के नाम पर जितने भी नाम भेजे गए थे, उन सभी को कंसीडर कर लिया गया। इसमें ऐसे भी नाम शामिल कर लिए गए जो पहले ही प्रमोशन लेने से इंकार कर चुके थे, लेकिन इस खेल में लगे अफसरों को काेरम पूरा करना था, इसलिए उनका नाम भी शामिल कर लिया गया। लेकिन इसके बाद भी 643 टीजी-टू को प्रमोशन देने के बजाए महज 302 के नाम ही प्रमोशन सूची में शामिल किए गए।
पहले प्रमोशन फिर पात्रता की जांच
सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि प्रमोशन सूची जारी किए जाने के बाद अब जिनके नाम प्रमोशन लिस्ट में शामिल किए गए हैं, उनकी पात्रता की जांच की जा रही है। शायद ही किसी विभाग में प्रमोशन से जुड़े अफसरों का इस प्रकार का कृत्य देखने या सुनने में आया हो, लेकिन यूपी पावर कारपोरेशन में इन दिनों कुछ ऐसा ही चल रहा है। प्रमोशन के नाम पर जमकर खेल खेला गया है। जो डिजर्व करते हैं, जिस प्रकार की आशंका शुरू से ही जतायी जा रही थीं, वैसा सामने आया है काबिल को ड्रॉप कर दिया गया। यहां तक आरोप है कि पात्रता की जांच में आईटीआई, हाईस्कूल व अनुभव के पैमाने की भी अनदेखी की गयी। यहां तक कहा जा रहा है कि यदि सही पारदर्शिता से काम किया गया होता तो आईटीआई होल्डर ही मैरिट से ऊपर चले जाते। विभाग की जो पदोन्नति की नियमावली है उसको तार-तार कर दिया गया है।
जांच की मांग
टीजी-टू से जेई के प्रमोशनल प्रक्रिया की अब जांच की मांग पुरजोर तरीके से उठायी जा रही है यहां तक भी सुनने में आया है कि प्रमोशन प्रक्रिया को लेकर कुछ लोग हाईकोर्ट के दरवाजे को खटखटा सकते हैं। हाईकोर्ट की मार्फत प्रमोशन प्रक्रिया की बिजिलेंस जांच कराए जाने की भी सुगबुगाहट सुनाई दे रही है, यदि ये तमाम आशंकाएं सही साबित हो गयीं तो कुछ अफसरों का मुसीबत में फंसना तय माना जा रहा है।