हल्ला बोल चुप हो गया शोर, प्रभावशाली बिल्डरों की अवैध कालोनियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर मेरठ विकास प्राधिकारण में बैठक। बैठक में आस्तीन चढ़ाने के अंदाज में भूमाफियाओं की अवैध कालोनियों के खिलाफ यलगार। एमडीए के चारों जानों में अवैध कालोनियों के खिलाफ एक साथ हल्ला बोल, लेकिन लगता है कि एक दिनी अभियान में लूटी गयी वाह-वाही के बाद चुप हो गया शोर। जहां तक वाह-वाही की बात है तो उसका दावा भी एमडीए के इस अभियान में शामिल रहे जोनल व अवर अभियंता ही कर रहे हैं, ऐसा कुछ नजर नहीं आता जिसको लेकर पीठ थपथपाने सरीखा कुछ कहा जा सके। एक दिनी जो अभियान चलाया गया है उसमें किसी कदावर भूमाफिया के गिरेबान तक यानी उसकी अवैध कालोनी को छेड़ा गया हो, ऐसा कुछ फिलहाल तो नजर नहीं आता। गरज बरस के साथ चलाए गए एक दिनी अभियान का लबुलुआब यह है कि पूरे अभियान की समीक्षा से पता चलता है कि साफ्ट टारेगै पहले ही तय कर लिए गए थे। मेरठ में ब्रांड बन चुके भूमाफियाओं की अवैध कालोनियां जिन रास्तों पर माैजूद हैं, उस ओर एमडीए की जेसीबी जाने से किनारा करते दिखाई दी। ऐसा नहीं कि अभियान फ्लाप शो बनकर रह गया हो। अनेक अवैध कालोनियाें पर कार्रवाई भी की गयी है, लेकिन जैसी गुर्जना बैठक रूम से बाहर निकल कर जोनल व अवर अभियंता कर रहे थे, वैसा कुछ नजर नहीं आया।
बड़े भूमाफियाओं पर कब लगेगी लगाम:
एमडीए के ध्वस्तीकरण अभियान के बाद अब सवाल पूछा जा रहा है कि अवैध कालोनियां काटने वाले बड़े भूमाफिया जो बाकायदा सिंडिकेट बनाकर काम कर रहे हैं उन पर कब लगाम लगायी जाएगी। या फिर यह मान लिया जाए कि सिंडिकट को छेड़ना नहीं और साफ्ट टारगेट को छोड़ना नहीं की नीति पर फिलहाल काम चल रहा है, बाकि भविष्य में क्या एक्शन मोड होगा, उसका अनुमान अभी लगाना मुनासिब नहीं। लेकिन इतना जरूर है कि जो बड़े नाम रियल एस्टेट के कारोबार में आमतौर पर लिए जाते हैं वो पूरी तरह से निश्चिंत दिखई देते हैं। कुछ का तो आलम यह है कि एक ओर जब कुछ ही दूरी पर एक दिनी अभियान के दौरान एमडीए की जेसीबी गरज रही थी तो उनकी अवैध कालोनी की साइट पर लगातार काम जारी था। एमडीए के ध्वस्तीकरण अभियान से बखौफ ऐसे भूमाफियाओं ने अपनी साइट पर काम जारी रखा। लावड रोड पर काटी गयी अवैध कालोनियां इसका पुख्ता सबूत हैं।
इन्हें रियायत किस के इशारे पर:
सिंडिकेट बनाकर अवैध कालोनियां काटने वाले भूमाफियाओं पर कार्रवाई कब की जाएगी यह भविष्यवाणी तो इस संवाददाता के बूते से बाहर की बात है, लेकिन ऐसी तमाम कालोनिया हैं जिनका ध्वस्तीकरण कब किया जाएगा यह सवाल जरूर पूछा जा सकता है। ऐसी भूमाफियाओं मे दिल्ली रोड मैट्रो प्लाजा पर भोजनालय चलाने वाले भाजपा के एक नेता की परतापुर क्षेत्र के मोहद्दीनपुर के समीप अवैध कालोनी। बागपत रोड पर खुद को भाजपा का नेता बताने वाले किसी प्रजापति की कालोनी। इसी तर्ज पर भोला रोड पर खुद को रोहटा भाजप मंडल का पदाधिाकरी बताने वाले एक और भूमाफिया की अवैध कालोनी। अवैध कालोनियों के धंधे में एक बड़ा नाम बन चुका दौराला के भूमाफिया का सोफीपुर में अवैध रामा कुंज मार्केट व उदयसिटी के भीतर काटी गयी अवैध कालोनी, एमडीए के किला रोड जोन पर भाजपा के एक और नेता की अवैध कालोनी। यह वही नेता है जिसने गंगानगर स्थित एक कांप्लैक्स पर लगायी गयी एमडीए की सील को तोड़ने की हिमाकत दिखाई। इसी क्षेत्र में करीब आठ से दस अवैध कालोनियां काटी गयी हैं। अवैध कालोनियों की यदि बात की जाए तो लावड रोड व किला रोड पर एक ही तर्ज पर अवैध कालोनियाें का काम चल रहा है। न कोइ कहने वाला न कोई रोकने वाला। इतने बड़े स्तर पर अवैध कालोनियां काटने वाले भूमाफियाओं पर शिकंजा कसे बगैर एमडीए का अभियान चाहे वो ड्रोन उड़ाने का रहा हो चाहे वो बीते सप्ताह चलाया गया एक दिनी ध्वस्तीकरण अभियान हो अधूरा ही माना जाएगा। जिस तर्ज पर एक दिनी अभियान चलावाया गया, उसका कोई असर फिलहाल सिंडिकेट वाले भूमाफियाओं पर हो रहा हो, ऐसा नजर तो नहीं आ रहा है। जो हालात बने हैं उसके चलते तो यही लगता है कि मेरठ स्मार्ट सिटी का सपना देखना महज मुगालता पालने से ज्यादा कुछ नहीं। क्योंकि जिस तरह से पूरे महानगर में अवैध कालोनियों का जाल बिछा दिया गया है, उसके बाद मेरठ स्मार्ट सिटी का दावा मुगालता पालने सरीखा लगता है।