मेरठ के मौत के कुंओं पर सुनवाई आज,
मेरठ/शहर की घनी आबादी वाले कोतवाली व देहलीगेट में घरों को तोड़कर बनवा दिए गए अवैध कांप्लैक्सों के मामले को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की कोर्ट में कल (आज) सुनवाई होगी। याचिका दायर करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने बताया कि उक्त इलाकों में दो से डेढ़ सौ साल पुराने मकानों को मेडा प्रशासन के कुछ अफसरों से मिलीभगत कर भूमाफियाओं ने अवैध कांप्लैक्सों में तब्दील कर दिया है। ये सभी अवैध कांप्लैक्स तंग गलियों में बनवा दिए गए हैं। कई गलियां तो इनमें से ऐसी हैं जहां से होकर होकर ई रिक्शा भी नहीं गुजर सकती है। ना तो वहां पार्किंग है और ना ही आग सुरक्षा से बचाव के लिए कोई इंतजाम हैं। तमाम अवैध कांप्लैक्स मौत के कुंओं की मानिंद हैं।
हाईकोर्ट में दायर की गयी याचिका में लाला का बाजार, ठठेरवाड़ा, नील की गली, शहर सराफा बाजार, भाटवाड़ा आदि तमाम पुराने इलाकों में जहां पहले ही भारी भीड़ रहती है उन इलाकों में मकानों को अवैध कांप्लैक्सों में बदलने की बाात कही है। कुछ ऐसे इलाकों की जानकारी याचिका की मार्फत कोर्ट को दी गयी है जहां दो-दो फुट की तंग गलियों में सौ सौ दुकानों के अवैध कांप्लैक्स अफसरों की मिलीभगत से बनवा दिए गए हैं। याचिकाकर्ता ने इसके लिए मेडा अफसरों को कसूरवार ठहराया है। उनका आरोप है कि भूमाफिया प्रवृत्ति के कारोबारियों ने ये अवैध कांप्लैक्स बनाए हैं। तमाम पुराने मकान जो तंग गलियों में हैं वहां अवैध कांप्लैक्सों का जाल बिछा दिया गया। याचिका में कहा गया है कि मौत के कुंओं की मानिंद इन अवैध कांप्लैक्सों को लेकर उन्होंने मेरठ प्राधिकरण के अफसरों के अलावा जिला प्रशासन के तमाम उच्च पदस्थ अफसरों तक से इनकी शिकायत की है, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी। ये तमाम अवैध कांप्लैक्स बडेÞ हादसों को न्यौता देते नजर आते हैं। यदि इनमें कभी कोई आग सरीखा हादसा हो गया या कभी भगदड़ मच गयी तो वहां हताहत होने वालों की संख्या इतना ज्यादा होगी कि गिने भी नहीं जा सकेंगे। मनोज चौधरी का आरोप है कि किसी भी कांप्लैक्स में फायर एनओसी तक नहीं है। फायर एनओसी के बगैर तो कोई भी अवैध कांप्लैक्स बन नहीं सकता। इसके अलावा यहां सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की है। तमाम ऐसे अवैध कांप्लैक्स हैं जहां घरों को तोड़कर उन्हें कांप्लैक्स में बन दिया गया। सौ-सौ दुकानें बना दी गईं, लेकिन इन कांप्लैक्सों में आने वालों के वाहन कहां पार्क होंगे इसको लेकर सभी ने चुप्पी साध ली है।
सूचना के अधिकार का मखौल
अवैध निर्माणों व कथित शाहखर्ची पर मेडा प्रशासन से हिसाब किताब मांगने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी निवासी मिशन कंपाउंड का आरोप है कि मेडा प्रशासन ने सूचना के अधिकार का मजाक बनाकर रख दिया है। उन्होंने बताया कि मेडा प्रशासन से यह पूछा था कि ये जो पिछले साल से वर्तमान तक प्राधिकरण में रिनोवेशन चाल रहा है, इसमें अब तक कितना पैसा कहां-कहां खर्च किए गया है और कौन सी मद से ये पैसा खर्च किया जा रहा है, लेकिन उनके द्वारा दाखिल की गर्इं आरटीआई का कोई उत्तरनहीं दिया गया है। सूचना के अधिकार के उल्लंघन करने के उपरांत प्रथम अपीलीय अधिकारी, सचिव द्वारा प्रथम अपील की सुनवाई की गई और सुनवाई के उपरांत सचिव द्वारा सूचना देने से इंकार करते हुए कहा कि सूचना आयोग जाओ। मनोज चौधरी ने बतया कि उनके द्वारा 22 को राज्य सूचना आयोग में वाद दाखिल कर दिया गया है।