ऑनेस्टी काे याद किए जाएंगे मनोज तिवारी, एमडीए का प्रवर्तन अनुभाग जिसमें पोस्टिंग पाने को तमाम हथकंड़े आमतौर पर अपनाए जाते हैं, लेकिन एमडीएम में ही एक शख्स ऐसा भी है जो प्रवर्तन को चिमटे से भी नहीं छूना चाहते हैं।। बात हो रही है, सहायक अभियंता श्री मनोज तिवारी की, जो ईमानदारी की मिसाल बने रहे और हमेशा उनकी ईमानदारी की चर्चा एमडीए में हुआ करेगी। मनोज तिवारी शुक्रवार को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। सेवानिवृत्ति के बाद क्या करना है, अक्सर लोग पहले से ही इसकी प्लानिंग कर लेते हैं ताकि जिंदगी उबाऊ न रहे मेरठ विकास प्राधिकरण से आज सेवानिवृत्त होने वाले सहायक अभियंता श्री मनोज तिवारी ने ऐसा कोई प्लान नहीं किया है। उनकी सोच कुछ अलग है, भारतीय संस्कारों में पले-बढ़े श्री तिवारी ऐसे सख्श हैं जो नौकरी में अपने सिद्धांतों को अहमियत देते रहे हैं। सेवानिवृत्ति से एक दिन पूर्व श्री तिवारी ने एक मुलाकात में बताया कि 40 साल की अपनी नौकरी में ऐसा कोई काम नहीं किया जिसे सोचकर आज आत्मग्लानि हो। अपनी जान में किसी का अहित नहीं किया और नियम कायदों से काम भी किया। कहते हैं कि यह मेरा सिद्धांत है कि जो स्वयं को अच्छा न लगे, वैसा व्यवहार किसी और के साथ भी न करें।श्री तिवारी ने प्राधिकरण की नौकरी 1983 में कानपुर से शुरू की। कानपुर में 16 साल रहे इसके बाद गाजियाबाद में 12 साल, लखनऊ में 3 साल तथा अब मेरठ में 9 साल सेवाएं दी। मेरठ के कार्यकाल को वह बहुत उत्तम बताते हैं। साथ ही यह भी कहते हैं कि मेरठ के लोग बहुत अच्छे हैं। यहां की सपाटबयानी उन्हें बहुत भायी। उन्होंने पैसा कमाना अपना ध्येय नहीं बनाया। इसलिए आज ज्यादा खुशी हो रही है। आज 30 जून को आप बतौर सहायक अभियंता मेरठ विकास प्राधिकरण से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। बातचीत में श्री तिवारी से जब पूछा गया कि सेवानिवृत्ति के बाद आप क्या करना चाहते हैं, कुछ सोचा है। कहते हैं कि मैं ईश्वर पर बहुत भरोसा करता हूं। करने वाला तो वहीं है। उसने जो तय कर रखा होगा, उसे करने को मैं तैयार हूं। मूलत: बलिया के निवासी श्री तिवारी बताते हैं कि पत्नी नहीं हैं। दो बेटी व एक बेटा है। सभी की शादी की जिम्मेदारियों से निवृत्त हो वह अब गाजियाबाद में रहते हैं। जैसे पतझड़ के बाद बसंत आता है, उसी तरह नौकरी के बाद सेवानिवृत्ति आती है। सेवानिवृत्ति एक नई जिंदगी देती है। अपने मनमुताबिक जीने की जिंदगी। अक्सर लोग इसकी प्लानिंग भी कर लेते हैं। कुछ लोग समाजसेवा में खुद को व्यस्त कर लेते हैं, यह सोचकर कि समाज से जो कुछ लिया है, उसे वापस करने का अवसर मिला है। वैसे हमारे देश में सेवानिवृत्ति की उम्र कोई अधिक नहीं है। भारत और जापान में यह साठ साल है। संयुक्त अरब अमीरात में 49 साल है। पोलैंड में पुरूषों के लिए 67 तथा महिलाओं के लिए 60 साल है। भारत में सेवानिवृत्ति की उम्र की बात करें तो यह ऐसी अवस्था है कि व्यक्ति काफी सक्रिय रहता है। भारत में एक बात और भी है कि सेवानिवृत्ति के बाद आदमी कुछ ज्यादा ही सकारात्मक हो जाता है, इससे उसके जीवन में खुशहाली के रास्ते अलग भी खुलने की संभावनाएं हमेशा मौजूद रहती हैं। सेवानिवृत्त अधिकारी के पास अपने क्षेत्र का अपार अनुभव रहता है जिसकी बदौलत वह समाज की सेवा के रूप में सभी का चहेता भी बन जाता है। इस उम्र में उसके पास इतनी क्षमता रहती है कि वह समाज में स्वयं को साबित कर सकता है। सेवानिवृत्ति के बाद खुद को व्यस्त रखकर एक नई जिंदगी की शुरूआत भी कर सकते हैं। श्री तिवारी ने अपना एक मूलमंत्र बताते हुए कहा कि सेवा में रहते हुए हर व्यक्ति को यह याद रखना चाहिए कि जैसे जीवन में मृत्यु का एक दिन मुकरर्रर है, वेसे ही सेवानिवृत्ति भी एक दिन मुकरर्रर है। सेवा के दौरान ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए कि समाज में वापस होने पर शर्मिंदा होना पड़े। यह याद रहेगा तो उसके सामने कोई संकट नहीं आने वाला। प्राधिकरण में भी श्री तिवारी एक ईमानदार अधिकारी माने जाते हैं। शुक्रवार को श्री तिवारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, इस अवसर पर उनको भावी जिंदगी के लिए बहुत सारी शुभकामनाएं। (जितेन्द्र शर्मा द्वारा)