वो खुद को कैसे महसूस करे महफूज,
घर सबसे ज्यादा सुरक्षित समझा जाता है और वो वहां भी अगर महफूज नहीं तो फिर कहां। मां की कोख की बात करें तो वहां तो पहले ही बेटियों के नाम पर कत्ल ओ गारत मचा है। ऑफिस, वहां ना जाने किस-किस की निगाहों का सामना करना पड़ता है। क्या फांसी की सजा के बाद बेटियां रेप जैसी शर्मसार करने वाले वारदातों से महफूज हाे सकेंगे। वो कह सकेंगी अब कोई डर की बात नहीं।
नई दिल्ली- फांसी की सजा का प्रावधान किए जाने के बाद भी रेप के मामले क्यों नहीं रूक पा रहे हैं। क्या मौत की सजा भी कारगर साबित नहीं हो पा रही है। ऐसा क्या किया जाए जिससे बेटियां जहां भी हों उन्हें डर ना लगे। वो खुद को महफूज समझें। वो जगह उनका खुद का घर भी हो सकती है अनेक ऐसे मामले सामने आए हैं जहां रेप का आरोपी भाई या फिर पिता था। रेप मामलों में
ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर कम से कम 20 साल की जेल की सजा का प्रावदान है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. वहीं, धारा 65(2) के तहत, अगर किसी व्यक्ति को 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ रेप का दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम 20 साल की जेल होगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में रेप से जुड़े मामलों में मौत की सज़ा का प्रावधान है: लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षाविद मनीष प्रताप का कहना है कि किसी जहरीले पेड़ की पत्तियों को कितना ही काट लो जनाब जब तक उसकी जड़ पर वार नहीं करोगे पेड़ की जहरीली शाखें फैलती ही रहेंगी फैलती ही रहेंगी।
उन्नाव रेप कांड-डराने को काफी है
देश ही नहीं विदेशों में भी जिसको लेकर शर्मसार होना पड़ा था वो था उन्नाव रेप कांड़ जिसमें सिस्टम ने आरोपी को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वारदात का शिकार बेटी के इंसाफ को उठने वाली उसके परिवार की आवाज को कुचलने का काम सिस्टम ने किया। पूरा सिस्टम आरोपी के सामने नचनिया बना हुआ था, लेकिन अंतोगत्वा सुप्रीमकोर्ट ने कह दिया कि मैं हूं ना। ये तमाम बातें लिखने से पहले जरूरी है कि उन्नाव रेप पीड़िता के दर्द को करीब से महसूस किया जाए।
सत्ताधारी भाजपा का हिस्सा रहे उन्नाव इलाके में 2017 में नाबालिग लड़की का अपहरण करने और उसके साथ बलात्कार करने के मामले में निष्कासित भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। कुलदीप सिंह सेंगर को कोर्ट ने 13 मार्च 2020 को हिरासत में महिला के पिता की मौत के मामले में 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। कोर्ट ने मामले में कुलदीप के भाई अतुल सिंह सेंगर और पांच अन्य को 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी। काफी कुछ डराने वाला था
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में उन्नाव रेप केस को लेकर दर्ज सभी पांच मामलों को लखनऊ की अदालत से दिल्ली की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। इसमें दैनिक आधार पर सुनवाई करने और इसे 45 दिनों के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को रेप पीड़िता को अंतरिम मुआवजे के रूप में 25 लाख रुपये प्रदान करने का भी निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को सात दिनों के भीतर उस दुर्घटना की जांच पूरी करनी होगी, जिसमें पीड़िता और उसके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उसकी दो मौसियों की मौत हो गई थी। आरोप है कि यूपी पुलिस आरोपी के हाथों की कठपुतली बनी थी। पीड़िता के पिता को शस्त्र अधिनियम के तहत एक मामले में कुलदीप सिंह सेंगर के कहने पर गिरफ्तार किया गया था। 9 अप्रैल 2018 को हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई थी। कुलदीप सेंगर ने ट्रायल कोर्ट के दिसंबर 2019 के फैसले को रद्द करने की मांग की है, जिसमें उसे शेष जीवन के लिए कारावास की सजा सुनाई गई है। उनकी अपील दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है।
- अगर कोई व्यक्ति 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ रेप करता है, तो उसे उम्रकैद या 20 साल की जेल हो सकती है. साथ ही, मौत की सज़ा भी हो सकती है।
- गैंगरेप के मामले में दोषी को उम्रकैद या 20 साल की जेल हो सकती है. साथ ही, मौत की सज़ा भी हो सकती है।
- अगर रेप के मामले में महिला की मौत हो जाती है या वह कोमा में चली जाती है, तो दोषी को कम से कम 20 साल की सज़ा हो सकती है. इस सज़ा को बढ़ाकर उम्रकैद या मौत की सज़ा में भी बदला जा सकता है।
- अगर कोई व्यक्ति बार-बार रेप का दोषी पाया जाता है, तो उसे कम से कम उम्रकैद की सज़ा हो सकती है. साथ ही, मौत की सज़ा भी हो सकती है।
- शादी का वादा कर यदि कोई संबंध बनाकर मुकरता है तो उसको दस साल की सजा का प्रावधान हैं।
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