गलियों के घरों में बन गए अवैध कांप्लैक्स,
टाउन की ये कैसी प्लानिंग-अवैध कांप्लैक्सों में तब्दील करा दिए गलियों के घर
मेरठ। मेडा ही नहीं किसी भी विकास प्राधिकरा के टाउन प्लानर का काम होता है कि शहर का खासतौर से शहर के उस इलाके का विकास सहूर से किया जाए जो पहले से ही भीड़भाड़ की चपेट में है। वहां कुछ ऐसा किया जाए जिससे रोजमर्राह की जिंदगी आसान हो, लेकिन शहर के कोतवाली व देहलीगेट के कुछ इलाकों की यदि बात करें तो गलता है कि मेडा के उच्च पदस्त अफसराें को उन इलाकों से कोई सरोकार ही नहीं रह गया। वहां की तंग गलियों में मकानों को तोड़कर अवैध कांप्लैक्स बना दिए गए। जिन गलियों से ई रिक्शा भी गुजरा मुसीबत भरा होता है उन गलियों में पुराने मकानों को तोड़तोड़ से सौ-सौ दुकानों के अवैध कांप्लैक्स बना दिए जाए तो फिर मेडा के बड़े अफसरों से क्यों ना यह सवाल पूछा जाए कि किस प्रकार के टाउन की प्लानिंग की जा रही है। क्या मेरठ कुछ हिस्सों को मुंबई के सलम एरिया की तर्ज पर सलम एरिया बनाने की मंशा है। इसमें मंशा जैसी बात ही नहीं है जिस प्रकार से इन इलाकों में अफसरों की मिलीभगत से अवैध कांप्लैक्स बना दिए गए हैं उससे साफ है कि इन इलाकों में मेडा अफसराें ने तबाही लाने के पूरे और पुख्ता इंतजाम किए हैं। यहां याद रहे कि जनवाणी ने अपने 28 जून को अंक में इसको लेकर प्रमुखा से समाचार प्रकाशित किया था। उस समाचार के आधार पर ही आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिस पर आज सुनवाई हो रही है। जो जनहित याचिका दायर की गयी उस पर पहले मेडा की ओर से जवाब दाखिल किया गया। आरटीआई एक्टिविस्ट ने बताया कि उनकी ओर मेडा के जवाब पर आज रिजाइंडर दाखिल किया गया है। इससे पूर्व चीफ जस्टिस द्वारा मेरठ विकास प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि अवैध निर्माणों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करें और आज तक क्या क्या कार्यवाही अवैध निर्माणों के खिलाफ की गई है प्राधिकरण द्वारा उसका ब्योरा दे। इसके बाद ही मेडा की ओर से जवाब दाखिल किया गया।
ये हैं वो इलाके जहां गलियों के घरों में अवैध कांप्लैक्स बना दिए गए हैं
पुराने मेरठ शहर जैसे शहर सर्राफा बाजार, कागजी बाजार, लाला का बाजार, नील की गली, खैरनगर, मोहल्ला पत्थरवालान, मोहल्ला ठठेरवाड़,मोहल्ला शीशमहल, श्री श्याम जी प्लाजा लाला का बाजार,मोहल्ला जट्टीवाड़ा इत्यादि की तंग गलियों में सौ सालों से भी अधिक पुराने आवासीय भवनों को पहले तोड़कर फिर उनके ऊपर अवैध तरीके से बनाए जा है कमर्शियल कॉम्प्लेक्स,दुकानें । ना कोई नक्शा पास, ना पार्किंग, सुरक्षा मानकों की अनदेखी, कानून का उल्लंघन इत्यादि और साथ में प्राधिकरण के साथ अवैध निर्माणकर्ताओं की मिलीभगत है।
कार्रवाई में मेडा अफसरों के कांप रहे हाथ
गलियों में अवैध कांप्लैक्स बनाने के जिम्मेदार मेडा अफसरों के अब कार्रवाई में हाथ कांप रहे हैं। शहर में भीड़ वाले इलाकों में अवैध निर्माणों से नाराज ओर तो हाईकोर्ट का चाबुक दूसरी ओर मुसीबत यह है कि जो अवैध निर्माण सैटिंग गेटिंग से कराए गए हैं उनको गिराए कैंसे। दूसरी यह कि तमाम अवैध निर्माण शहर के सफेदपोशों के हैं जिनके साथ मेडा अफसरों की चाय की प्यालियों की चुस्कियाें के साथ अवैध निर्माणों के अलावा तमाम मसलों पर गुफ्पगू होती है। उनके ऊंचे राजनीतिक कनेक्शन भी हैं।ऐसे में कार्रवाई के नाम पर कंपकपी का छूटना आसानी से समझ में आता है।