भंवर में अर्थ व्यवस्था का जहाज

भंवर में अर्थ व्यवस्था का जहाज
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भंवर में अर्थ व्यवस्था का जहाज, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलशेर राणा इंजीनियर मेरठ ने देश के आर्थिक हालात पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि भारतीय अर्थ व्यवस्था का जहाज कभी भी डूब सकता है। यदि तत्काल इसको बचाने के लिए खास उपाय नहीं किए गए तो हालात पड़ौसी मुल्क बंगलादेश से भी बदत्तर हो जाएंगे। इसके लिए गुलशेर राणा इंजीनियर तमाम आर्थिक विशेषज्ञों की ओर से जतायी जा रही चिंता का भी जिक्र करते हैं। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की कुछ टिप्पणियों का भी जिक्र किया है। गुलेशर राणा इंजीनियर का कहना हे कि  भारत की अर्थव्यवस्था सितंबर से भयानक मंदी में डूबने वाली है। हालत श्रीलंका से भी खराब होगी- यह तय मानिए। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल 600 बिलियन डॉलर के नीचे है। इसमें सितंबर तक खास बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। इसी सितंबर में देश को 256 बिलियन डॉलर का विदेशी क़र्ज़ चुकाना है। फिर बटुए में कितने बचेंगे- ये आप गिनती लगा लीजिए अगले साल मार्च तक देश का कुल क़र्ज़ 153 लाख करोड़ का हो जाएगा। 2014 में यह 53 लाख करोड़ था। भारत का व्यापार घाटा मार्च 2022 में 18.51 बिलियन था। निर्यात के मुकाबले देश का आयात 24% से ज़्यादा है।  देश के बैंकों ने 2014 के बाद से अमीरों का करीब 11 लाख करोड़ का लोन माफ किया है।  इस साल के आखिर तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ेंगे। यानी आयात लगातार महंगा ही होगा और बटुए से डॉलर निकलेंगे ज़्यादा, आएंगे कम। अब आप बताएं कि खीसे में सिर्फ़ 350 बिलियन डॉलर रखकर देश कितने दिन तक महंगा आयात बिल चुका सकेगा? ज़्यादा से ज़्यादा 3 महीने? उसके बाद? देश दिवालिया हो जाएगा? क्या सोना गिरवी रखेंगे? या फिर कुछ बेचेंगे? कुछ बचा भी है? कमर पर सीट बेल्ट बांध लें। प्लेन क्रैश होने वाला है। बचेंगे तो ही मस्जिद/मकबरे खोद पाएंगे। उन्होंने देश के लोगों से अपील की है की नींद से जागें और देश को बचाने का काम करें। देश को आर्थिक मोर्चे पर बर्बाद करने वालों की विदाई करें।

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