जांच में फंसे एनएएस डिग्री कालेज के प्रिंसिपल, -दो-दो सलेरी रहे थे थे गटक, शिकायत पर शासन गंभीर-जाचं के आदेश, मेरठ शहर के प्रमुख एनएएस (नानकचंद इंटर कालेज ) के प्रिंसिपल सरकारी नियमों व कायदो कानूनों को ताक पर रखकर एक ही वक्त में खुद को दो-दो नौकरियों पर दर्शाकर दोनों ही सरकारी संस्थानों से सेलरी ले रहे थे। मामले की शिकायत की गयी तो मेरठ से लखनऊ तक हड़कंप मच गया। मामला वित्तीय अनियमितता का था तो शासन ने बगैर देरी किए जांच के आदेश दे दिए। माधव पुरम स्थित उच्च शिक्षा अधिकारी ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं।
ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं डीएम
एनएएस पीजी यानि डिग्री कालेज जिसके प्रधानाचार्य डा. मनोज अग्रवाल हैं, वह नानक चंद ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता है। एनएएस डिग्री कालेज के अलावा यह ट्रस्ट कई अन्य शिक्षण समेत दूसरे संस्थाओं का भी संचालन करता है। मामला का खुलासा करने वाले और शासन तक शिकायत करने वाले का कहना है कि नानक चंद्र ट्रक के अध्यक्ष मेरठ के जिलाधिकारी हैं। यह व्यवस्था की गयी है कि जो भी मेरठ के जिलाधिकारी होंगे वह नानक चंद ट्रस्ट के अध्यक्ष भी होंगे। दरअसल यह व्यवस्था पहले से ही बनायी हुई है।
यह है पूरा मामला
बकौल शिकायत कर्ता कुलदीप शर्मा सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गयी जानकारी में सीसीएसयू प्रशासन द्वारा विगत 14 मार्च 2023 को अवगत कराया गया था कि डा. मनोज अग्रवाल तत्कालीन एसोसिएट प्रोफेसर वाणिज्य विभाग मेरठ कालेज को चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग में समन्वयक पद पर साल 2917 में नियुक्त करते हुए इनका बीस हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय निर्धारित किया गया था। उक्त सूचना से यह स्पष्ट है कि डा. मनोज अग्रवाल द्वारा मेरठ कालेज मेरठ में कार्यरत रहने की अवधि में राज्य सरकार के कोष से दोहरा वेतन प्राप्त किया तथा चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय से भी प्रतिमाह बीस हजार रुपए का मानदेय प्रतिमाह प्राप्त किया।
डीएम को पत्र लिखकर जांच की मांग
एक व्यक्ति बतौर सरकारी सेवक क्या-दो-दो स्थानों पर सेवाएं देकर क्या मानदेय यानि वेतन प्राप्त कर सकता है जैसा की आरटीआई के तहत मांगी गयी सूचना में सीसीएसयू मेरठ ने डा. मनोज अग्रवाल के बारे में अवगत कराया है इसके नियम की जानकारी होने से शिकायकर्ता ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए इस संबंध में जिलाधिकारी/नानक चंद ट्रस्ट के अध्यक्ष को 21 अगस्त 2023 को पत्र लिखकर दोहरा मानदेय लेने के मामले की गहनता से जांच कराए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि दोहरे मानदेय को लेकर शासन को कोई नियम या उप नियम है तो उसकी जानकारी से भी अवगत कराया जाए। बकौल शिकायतकर्ता कहा गया है कि मेरी निजी जानकारी में यदि कोई व्यक्ति स्व-वित्त पोषित संस्थानों में इस तरह की नियुक्ति का कोई प्रावधान है तो मेरठ कालेज में सरकारी पद पर रहते हुए समन्वयक नियुक्त होने की स्थिति में प्रबंध तंत्र/अध्यक्ष से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी लिया जाना अनिवार्य है। अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया है या नहीं यह भी जांच का विषय है। इस मामले की जांच के साथ-साथ ही यदि कृत्य शासकीय नियमों के विरूद्ध है तो आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तथा रिकबरी कर शासन के कोष में मानदेय के रूप में ली गयी रकम जमा कराए जाने की डीएम मेरठ को प्रेषित पत्र में की है।
मेरठ कालेज व एनएएस कालेज सचिव को पत्र
इस मामले को लेकर शासन को भेजी गयी शिकायत, डीएम मेरठ को प्रेषित पत्र के संदर्भ में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डा. ज्ञान प्रकाश वर्मा ने जांच शुरू कर दी है। उन्होंने इस संबंध में एक पत्र सचिव मेरठ कालेज मेरठ व सचिव एनएएस कालेज मेरठ को भेजकर आख्या मांगी है। कुलदीप शर्मा ने बताया कि यह जानकारी उन्हें भी दी गयी है।