जमीन सौदे में कैंट अफसरों पर सवाल, मेरठ कैँट के अफसर केंद्र के बहुउद्देशीय रैपिड रेल प्रोजेक्ट के जमीन सौदे को लेकर सवालों के घेरे में हैं। आरोप है कि करीब तीन सौ करोड़ का फटका भारत सरकार को लगा दिया गया है। इस संबंध में कुछ लोगों ने सोमवार को मेरठ पहुंचे प्रधान निदेशक मध्य कमान लखनऊ से भी शिकायत की है। हालांकि इस शिकायत पर रक्षा मंत्रालय के अफसर कितने गंभीर है, यह कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन खासी चर्चा है कि रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए मेरठ में कैंट की जो जमीन प्रोजेक्ट के लिए दी गयी है उसमें कैंट क्षेत्र से बाहर का सर्किल रेट यानि STR का आठ गुना बनता है। तो कैंट के इंजीनियरिंग सेक्शन ने सेना की जो जमीन रैपिड प्रोजेक्ट के लिए दी गयी है उसका कैलकुलेशन इतना कम क्यों किया कि तीन सौ करोड़ बताया जा रहा है, नुकसान भारत सरकार को पहुंचा है। हालांकि विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जितनी रकम बतायी जा रही है इसको लेकिन किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। गणना में कुछ इधर उधर हो सकता है। दरअसल यह जमीन की नाप तोल से जुड़ा मामला है। जितनी जगह मेरठ में सेना की रेपिड रेल के लिए दी गयी है, उसी के हिसाब से रकम तय होती है। यहां सवाल रकम कितनी है यह नहीं है बल्कि मुख्य मुददा सर्किल रेट का आठ गुना होना है। जब रोडवेज व अन्य विभाग जिनकी जमीन इस प्रोजेक्ट के लिए ली गयी है उन्होंने सर्किल रेट से आठ गुना क्लेम किया है तो फिर मेरठ के कैंट अफसरों ने क्यों सिंगल बताया जा रहा जैसा की कुछ लोगों ने पीडी मध्य कमान को भी अवगत करते हुए जांच की मांग की है, क्या तय किया है। इस खेल में केवल कैंट बोर्ड ही कसूरवार नहीं बल्कि डीईओ कार्यालय की भूमिका की भी जांच की मांग प्रधान निदेशक मध्य कमान लखनऊ से शिकायत करने वालों ने की है। उनका कहना है कि सच सामने जांच से आएगा।