22B बोर्ड अफसरों की मंशा पर सवाल, मेरठ छावनी बाउंड्री रोड स्थित बंगला 22B के ध्वस्तीकरण व सील सरीखी कार्रवाई के लेकर पूर्व में दिए गए आदेशों को लेकर मेरठ कैंट बोर्ड प्रशासन सवालों के घेरे में है। साल 2912-13 में बंगला 22B अवैध निर्माण शुरू हुआ। तत्कालीन सीईओ पुरूषोत्म लाल ने ध्वस्तीकरण के आदेश दिए। अवैध निर्माण मामलों में जीओसी इन चीफ लखनऊ की कोर्ट में सात अपीलें अवैध निर्माण के कसूरवारों ने दाखिल कीं। सातों अपीलें जीओसी ने खारिज कर दीं। बिल्डिंग को सील के आदेश दे दिए। आरोपी पक्ष हाईकोर्ट जा पहुंचा। हाईकोर्ट ने पंकज जौली की सभी पिटिशन खारिज कर दीं। इतना ही नहीं कैंट बोर्ड प्रशासन के सील व ध्वस्तीकरण के आदेश को सही मानते हुए कार्रवाई को कह दिया। साल 2015 में कैंट बोर्ड प्रशासन ने पंकज जौली के खिलाफ थाना लालकुर्ती मेंं सील तोड़ने के आरोपों के चलते एफआईआर करा दी। दुस्साहस देखिए कि इतना कुछ होते हुए भी आरोपी ने जिला प्रशासन की मार्फत बार का लाइसेंस एप्लाई कर दिया। जिला प्रशासन ने कैंट बोर्ड से एनओसी मांगी जिसको ना कह दिया गया। इस बीच तमाम घटनाक्रमों के चलते आरोपी ने जितनी भी रिट पिटिशन दायर की थीं, वो सभी हाईकोर्ट से वापस ले ली गयीं। बस यहीं से सेटिंग गेटिंग का खेल शुरू हो गया। सुनने में आया है कि कैंट बोर्ड प्रशासन के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों से भारी भरकम लेनदेन कर अवैध निर्माण के आरोपी ने साल 2019 में बंगला 22B सील तोड़कर वहां अवैध रूप से बनाए गए होटल व रैस्टोरेंट तथा बार में कारोबार शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई जब सब एरिया के जिन फौजी अफसरों ने वहां तमाम रैंक के अफसरों के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगाया था, वह बोर्ड भी बंगला 22B के होटल से हटवा दिया जाता है, सब एरिया प्रशासन कुछ नहीं करता। उल्टे बंगला 22B में होने वाली पार्टियों के लिए अस्थायी शराब लाइसेंस जारी किए जाते हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट संदीप पहल का कहना है कि गुनाह में सभी शामिल हैं।