सीबीआई जांच: मुटेशन बने हैं गले की फांस

हाउस टैक्स या लूट की खुली छूट
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सीबीआई जांच: मुटेशन बने हैं गले की फांस, मुटेशन मामलों में बरती गयी गंभीर अनियमितताओं के चलते  सीबीआई जांच में फंसे कैंट बोर्ड मेरठ के पूर्व सीईओ प्रसाद चव्हाण, इंजीनियर सेक्शन के हेड एई पीयूष गौतम व जेई अवधेष यादव के लिए मुश्किलों की बात से उनके करीबी इंकार नहीं कर रहे हैं। हालांकि सीबीई जांच पूरी होने तक किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगा। दरअसल मुटेशन के करीब दो सौ से ज्यादा मामले और डोर टू डोर ठेका गले की फांस बना हुआ है। आरोप है कि तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर दौ से ज्यादा मुटेशन कर दिए गए हैं। इन सभी में कैंट एक्ट का गंभीर उल्लंघन व अनदेखी संबंधित अफसरों के स्तर से की गयी है। मुटेशन के अलावा जो दूसरा मसला सीबीआई की जांच में गले की फांस बना हुआ है वो है डोर टू डोर का तीन साल के लिए दिया गया ठेका। इस ठेके में कैंट बोर्ड मेरठ के अफसरों की कारगुजारी के चलते भारत सरकार को करीब 36 लाख का चूना लगा दिया गया। यह सीधे सीधे राजस्व हानि का मामला बनता है। जानकारों का कहना है कि सरकारी नौकरी में किसी भी कर्मचारी के लिए सरकार को राजस्व हानि पहुंंचाने का आरोप बेहद गंभीर व नौकरी की लिहाज से सर्विस बुक में यदि एंट्री हो जाए तो वो पदोन्नति व अन्य नौकरी संबंधित लाभों पर असर डाल सकता है। सूत्रों की मानें तो डोर टू डोर ठेके में सीबीआई जांच का सामना कर रहे कैंट बोर्ड मेरठ के अफसरों पर इसको लेकर गंभीर आरोप हैं।

ना खाता ना बही जो साहब ने किया वो सही

मुटेशन के जिन मामलों की सीबीआई जांच कर रही है, उसको समझने के लिए एक पुरानी कहावत को समझना काफी होगा। वो यह कि ना खाता ना बही जो साहब करें वो सही। कुछ इसी तर्ज पर मुटेशन के केस कर दिए गए। सूत्रों की मानें तो जिन मामलों की सीबीआई के टीम जांच कर रही है उनमें कई ऐसे मामले हैं जिनमें सब डिविजन ऑफ साइट तो कुछ में चेंज ऑफ परपज तो कुछ मामले अवैध निर्माणों के हैं। यदि संपत्ति में चेंज आफ परपज, सब डिविजन आफ साइट या अवैध निर्माण किया गया है तो उसका मुटेशन नहीं किया जा सकता, लेकिन इस नियम को मुटेशन के नाम पर कथित रूप से भ्रष्टाचार करने वाले कैंट बोर्ड के अफसरों ने ताक पर रख कर मुटेशन कर डाले। अब उन्हें अपनी कारगुजारियों की कीमत गाजियाबाद स्थित सीबीआई दफ्तर की परिक्रमा कर चुकानी पड़ रही है। बीते पूरे दो सप्ताह इसी में निकल गए। यह गारंटी नहीं कि आगे नहीं बुलाया जाएगा। ये सभी मामले साल  2019-20 के दौरान के हैं। मुटेशन में किस कदर भ्रष्टाचार किया गया था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व  में तत्कालीन सीईओ प्रसाद चव्हाण के दौरा किए गए ये मुटेशन बाद में सीईओ नवेन्द्र नाथ द्वारा बोर्ड में रख कर निरस्त करा दिए गए।

डोर टू डोर ठेका

घर-घर से कूडा उठाने के कार्य के लिए आगरा की अग्रवाल कंपनी को ठेका दिया गया था। यह ठेका 15.60 लाख प्रतिमाह की दर से दिया गया था। आरोप है कि तत्कालीन सीईओ नावेन्द्र नाथ ने कुछ निहितार्थ के चलते इस ठेके की रकम को बढ़ाकर 18.57 लाख प्रति माह कर दिया। इस कारगुजारी के चलते डोर टू डोर ठेके के नाम पर अनावश्यक रूप से ठेकेदार को साल भर में करीब 36 लाख का लाभ पहुंचा गया, लेकिन इतनी ही रकम का नुकसान सरकारी खजाने को पहुंचा दिया गया। साल 2019 में यह ठेको तत्कालीन सीईओ ने तीन साल के लिए छोड़ा था। आरोप है कि ठेकेदार ने काम के दौरान अनुबंध की शर्तों का गंभीर उल्लंघन किया। ठेके की शर्तों व मानकों के अनुसार वाहन व अन्य उपकरण तथा कर्मचारी नहीं लगाए गए।

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