जर्जर खंभे दे रहे हादसों को दावत, पूरे महानगर में सैकड़ों की संख्या में बिजली के खंबे गिराऊ अवस्था में, जनपद में पीवीवीएनएल के बिजली के सैकड़ों खंभे गिराऊ अवस्था में हैं। वो कभी भी गिर कसते हैं। कुछ तो हादसों को दावत देते नजर आ रहे है। वैसे बीते दो दिन के भीतर बिजली के खंभे गिरने की तीन बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इन घटनाओं के बावजूद पीवीवीएनल अफसर अभी नींद में नजर आते हैं। लगता है कि उन्हें भावनपुर के राली चौहान सरीखे हादसे का इंतजार है जिसमें छह कांवडियाओं की मौत हो गयी थी।
केस एक
हाईटेंशन लाइन पर हाईमास्ट का खंभा गिरा –
मवाना रोड पर कसेरू बक्सर के पास हाईमास्ट लाइट का खंभा एचटी लाइन पर गिर गया। इसके चलते कसेरू बक्सर, गंगानगर बी-ब्लॉक, तिलकुपरम, पंचवटी कॉलोनी और सूर्या अस्पताल के पास की बिजली आपूर्ति बाधित हो गई। दोपहर डेढ़ बजे से शाम साढ़े चार बजे तक बिजली गुल रही।
केस दो
बीते सोमवार शहर में एक स्थान पर दोपहर अचानक तेज हवा से हाईमास्ट लाइट का खंभा पास से गुजर रही एचटी लाइन पर गिर गया। तेज धमाके के साथ ही बिजली गुल हो गई। सूचना पर विद्युत कर्मचारियों ने खंभे को हटाया और बिजली आपूर्ति को सुचारु कराया।
केस तीन
खंभा गिरने से सफाई कर्मचारी घायल: रशीद नगर में सोमवार को नगर निगम का सफाई कर्मचारी मनोज कार्य कर रहा था। इसी दौरान बिजली का खंभा गिरने से वह घायल हो गया।
केस चार
20 मार्च 2023 को मेरठ के हापुड़ रोड स्थित जाकिर कॉलोनी पुलिस चौकी के पास सोमवार दोपहर हाईटेंशन लाइन का जर्जर विद्युत तार टूटकर एक युवक नदीम के सीने पर गिरा। हादसे में वह बुरी तरह झुलस गया। गनीमत रही कि कुछ लोगों ने जान पर खेलकर लकड़ी से तार हटाया और उसे निजी अस्पताल भिजवाया। यह युवक तीन महिलाओं और एक बच्चे के साथ ई-रिक्शा का इंतजार कर रहा था। हादसे में महिलाएं और बच्चा तो बच गए, जबकि यह युवक चपेट में आ गया। तार उसके सीने से चिपक गया।
केस पास
15 जुलाई 2023 को हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से 6 कांवड़ियों की करंट लगने से मौके पर मौत हो गई है. वहीं 10 से ज्यादा कांवड़िए घायल हैं, जिनका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है. हादसे से आक्रोशित कांवड़ियों ने जाम लगाकर जमकर हंगामा किया हुआ था। लेकिन हालात जस के तस बने हैं। यह हादसा मेरठ के थाना भावनपुर क्षेत्र के राली चौहान इलाके में हुआ। यहां हरिद्वार से जल लेकर बड़ी डीजे कावड़ मेरठ पहुंचा था। गांव में दाखिल होने से पहले हाई टेंशन लाइन बंद करने के लिए बिजली विभाग से कहा भी गया था। लेकिन हाई टेंशन लाइन चालू रही और डीजे कावड़ हाईटेंशन लाइन से टकरा गया।
बिजली के कमजोर खंभों पर कैबिल का बोझ
शहर में विद्युत निगम का एक भी पोल ऐसा नहीं है, जिस पर केबिल का जाल न हो। अब यह समस्या इतनी जटिल हो चुकी है कि इन तारों की वजह से बिजली सप्लाई में भी बाधा आ रही। जगह-जगह बिजली के खंभे टूटने लगे हैं। विभाग की ढील व लापरवाही के चलते बिजली के खंभों पर केबिल तारों को इस तरह से लाद दिया गया कि बिजली तारें भी झुक गईं। लेकिन, बिजली के खंभों पर लटके इन केबिल तारों को हटाने के लिए विद्युत विभाग अधिकारियों ने अब कमर कस ली है।
बिजली के खंभों पर केबल का भार
नियमानुसार बिजली के खंभों पर केबिल तार लगाना गैर कानूनी है। जिसमें भारी जुर्माने का भी प्रावधान है। लेकिन बिजली के ज्यादातर खंभे केबिल के वायर के बोझ से दबे जा रहे हैं। इसके अलावा कुछ क्षमता से ज्यादा कनेक्शन लाद दिए गए हैं और कुछ बहुत ज्यादा पुराने होने की वजह से गल गए हैं। वो किसी भी वक्त जमीदोज हाे सकते हैं।
बुरा हाल है शहर का
खासतौर पर पुराने शहर की संकरी गलियों में लगे बिजली के खंभों पर तो केबिल समेत अन्य निजी केबिल के तारों का जाल बिछा हुआ है। शायद ही कोई पोल बचा हो जिसपर यह स्थिति न बनी हो। सैकड़ों पोल तो ऐसे हैं जिन पर एक साथ तारों के पांच-छह गुच्छे बनाकर लटकाए गए हैं। बिजली खराब होने पर समझ नहीं पाता कि बिजली की तार कौन सी है। बिजली के खंभों पर उलझे तार हादसों का सबब बने हैं। पुराने शहर के घनी आबादी वाले इलाकों में तो संकरी गलियों में बिजली तारों का यह जाल नजर आता है। कहीं कनेक्शन बॉक्स खराब होकर लटके हैं तो कहीं पर बेतरतीब तरीके से फैले बिजली के तारों पर दौड़ता करंट मुसीबत बन गया है। मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री विजय आनंद अग्रवाल का कहना है कि सर्राफा बाजार आदि इलाकों में बिजली के तारे झूल रहे हैं। इस पर न तो बिजली के अधिकारी कुछ ध्यान दे रहे हैं तो न ही प्रशासनिक अधिकारी। खैरनगर के दवा कारोबारी और मेरठ डिस्ट्रिक ड्रग एसोसिएशन के महामंत्री रजनीश कौशल का कहना है कि हालत यह है कि कभी-कभी यहां पर भीषण हादसा हो सकता है। बेगमपुल व्यापार संघ के महामंत्री अमित शर्मा का कहना है कि आए दिन टूटे खंबों से हादसे हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को बेगमपुल पर बिजली का खंबा टूट गया था। उससे बड़ा हादसा हो सकता था। दैनिक जानवाणी ने उक्त समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित भी किया है। पीवीवीएनएल के अधिकारी दावे और वादे तो बहुत करते हैं लेकिन उतना काम नजर नहीं आता।
ये था पीवीवीएनएल प्रशासन का वादा
अक्तूबर 2022 में पीवीवीएनएल प्रशासन का दावा था कि अब सड़क पर लटकते तारों का जंजाल खत्म होगा। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अंतर्गत मेरठ समेत 14 जिलों के नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में अंडर ग्राउंड बिजली सप्लाई का सिस्टम विकसित किया जाएगा। प्रबंध निदेशक कार्यालय ने सभी जिलों से प्रस्ताव लेने का काम शुरू कर दिया है। प्रथम चरण में घनी आबादी और संकरे रास्ते वाले क्षेत्रों की एल,एचटी व 33 केवी लाइनों को हटाकर भूमिगत बिजली लाइन डाली जाएगी। ऐसे क्षेत्रों का सर्वे करके प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। 31 अक्टूबर तक एक समग्र प्रस्ताव शासन को बजट निर्धारित करने के लिए भेजा जाएगा। नए वित्तीय वर्ष में बजट के प्रविधान के बाद काम शुरू होगा।
सर्वे करके तैयार हो रहे प्रस्ताव
लगभग 1500 किमी. भूमिगत लाइन डलने का अनुमान पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड अंतर्गत मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, गाजियाबाद, नोएडा, मुरादाबाद, रामपुर,संभल, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, बिजनौर और अमरोहा आदि जिले आते हैं। पविविनिलि के उच्च अधिकारियों ने जिलो से आ रहे प्रस्तावों से एक अनुमान निकाला है कि मेरठ समेत सभी 14 जिलों में लगभग 1500 किमी. भूमिगत लाइन डालनी पड़ेगी। एलटी,एचटी और 33 केवी लाइनों को भूमिगत करने पर प्रति किमी खर्च लगभग 70 लाख से एक करोड़ तक आता है। इस तरह लगभग 1500 करोड़ धनराशि की आवश्यता होगी। फिलहाल 31 अक्टूबर तक सभी जगह से प्रस्ताव आने पर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगी।
भूमिगत केबल डालने से ये होगा फायदा
आंधी-तूफान या बारिश में बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होगी।-बिजली चोरी पर अंकुश लगेगा। लाइन लास में कमी आएगी। -जर्जर तारों में शार्ट सर्किट से होने वाले हादसे नहीं होंगे।
तीन तरह के पड़ेंगे भूमिगत केबल
लंबे समय तक टिकेंगे एलटी, एचटी और 33 केवी बिजली लाइनों को भूमिगत करने के लिए तीन तरह की मोटाई के भूमिगत केबल डाले जाते हैं। 185 एमएम, 240 एमएम और 300 एमएम मोटाई के भूमिगत केबल डाले जाएंगे। इनकी लाइफ 15 से 20 साल तक होती है। जबकि खुले तार पांच से आठ साल में खराब हो जाते हैं।
कम हो जाएगा मेंटीनेंस खर्च
ओवरहेड बिजली लाइनें आंधी तूफान, बारिश और भारी वाहनों की टक्कर से अधिक क्षतिग्रस्त होती हैं। जिससे ये लाइनें हमेशा मेंटीनेंस पर रहती हैं। इससे मेंटीनेंस खर्च अधिक होता है। जबकि अंडरग्राउंड बिजली लाइनों को केवल फाल्ट होने पर ही मेंटीनेंस करना पड़ता है। इससे इनका खर्च कभी-कभार होता है।
इनका कहना है…
सभी 14 जिलों के नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में अंडरग्राउंड बिजली लाइन डालने के लिए प्रस्ताव शासन से मांगा गया है। घनी आबादी, संकरे रास्ते वाले मोहल्लों का सर्वे करवाकर प्रस्ताव तैयार कराये जा रहे हैं। प्रस्तावों के आधार पर बजट का प्रविधान किया जाएगा।