सस्पेंड हुए तो धोना पड़ेगा स्कूल से हाथ

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सस्पेंड हुए तो धोना पड़ेगा स्कूल से हाथ,  सालों से एक ही स्कूल में जमकर मठाधीश बने मास्टरों को सुधारने व उनकी नाक में नकेल डालने की तैयारी चल रही है। परिषदीय स्कूल के मास्टर यदि अब सस्पेंड होंगे तो उन्हें पुराना या जिसमें वह वर्तमान में पढ़ा रहे हैं वो स्कूल छोड़ना होगा। दरअसल मेरठ समेत प्रदेश भर में    परिषदीय स्कूल के मास्टरों  को अब निलंबन अवधि के बाद बहाल होने पर मूल तैनाती वाले स्कूल में वापसी नहीं कर सकेंगे। निलंबित मास्टर को बहाल करने का आदेश करते समय बेसिक शिक्षा अधिकारी उनका तबादला किसी भी दूसरे परिषदीय स्कूल में कर देंगे।परिषदीय स्कूल के शिक्षकों के मनमाने रवैये पर रोक लगाने के लिए शासन स्तर से लगातार नये- नये प्रयोग किए जा रहे हैं। इसी क्रम में शासन ने नया आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि कोई भी शिक्षक, शिक्षिका यदि किसी कारणवश निलंबित किया गया तो बहाल होने के बाद उन्हें अपने मूल स्कूल में दोबारा तैनाती नहीं मिलेगी। इसके लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी बहाल होने वाले शिक्षक को जिले के किसी शिक्षक विहीन अथवाएकल शिक्षक वाले स्कूल में नई तैनाती करेंगे।

आसानी से हो जाते थे बहाल

वर्तमान में परिषदीय स्कूल के शिक्षक निलंबन को गंभीरता से नहीं लेते। विभागीय सूत्रों के अनुसार, निलंबित होने के बाद जांच अधिकारी से मिलकर अपने पक्ष में रिपोर्ट लगवाकर आसानी से बहाल हो जाते हैं लेकिन शासन के नये आदेश से अब निलंबन जैसी कार्रवाई से शिक्षक बचेंगे। कारण उन्हें पता है कि निलंबित होने के बाद उनका मूल विद्यालय छूट जाएगा।

नकल की तो खैर नहीं, आन लाइन की जा रही है निगरानी

-नकल करने व कराने वालों पर नजर रखने के लिए इस बार यूपी बोर्ड परीक्षा की आनलाइन निगरानी सीधे स्टेट कंट्रोल रूम से

मेरठ : उत्तर प्रदेश में यदि बोर्ड परीक्षा देने जा रहे हैं और इरादा नकल से पास होना है तो गलतफैमी दिमाग से निकल दीजिए। इस बार यदि नकल करते या कराते पकडे़ गए तो फिर खैर नहीं और नहीं पकड़े जाओ ऐसा हो नहीं सकता और पकड़े गए तो लंबे गए। दरअसल इस बार  यूपी बोर्ड परीक्षा की आनलाइन निगरानी सीधे स्टेट कंट्रोल रूम से होगी। बोर्ड परीक्षा के लिए बनाए गए प्रत्येक परीक्षा केंद्र के हर कक्ष की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकार्डर तथा राउटर स्थापित किए गए हैं, जिसके माध्यम से परीक्षा की लाइव मानीटरिंग वेबकास्टिंग से की जाएगी।  22 फरवरी से नौ मार्च तक होने वाली हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के आनलाइन निगरानी के लिए राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम शुरू हो गया है। बोर्ड परीक्षाओं ई के लिए पूरे प्रदेश में 8265 परीक्षा • केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 275 परीक्षा द केंद्रों को अति संवेदनशील एवं 466 परीक्षा केंद्रों को संवेदनशील परीक्षा  केंद्र के रूप में चिह्नित किया गया न है। नकल विहीन परीक्षा के लिए संपूर्ण परीक्षा अवधि की लाइव मानीटरिंग वेबकास्टिंग के माध्यम से की जाएगी। वर्ष 2024 की बोर्ड परीक्षा में हाईस्कूल के 29,47,311 एवं इंटरमीडिएट के 25,77,997 (कुल 55,25,308) परीक्षार्थी सम्मिलित हो रहे हैं। परीक्षा के लिए 8265 केंद्र व्यवस्थापक, 8265 वाह्य केंद्र व्यवस्थापक, 8265 स्टैटिक मैजिस्ट्रेट, 1273 सेक्टर मैजिस्ट्रेट, 424 जोनल मैजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए हैं।

इसके अलावा 405 सचल दलों का गठन किया गया है। वहीं, शासन स्तर से प्रत्येक जिले के लिए 75 राज्य स्तरीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई है। आनलाइन निगरानी के लिए जिला स्तरीय कंट्रोल रूम की स्थापना भी की गई है। संवेदनशील एवं अति संवेदनशील परीक्षा केंद्रों की निगरानी के लिए एसटीएफ एवं स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआइयू) की भी मदद ली जाएगी। इस अवसर पर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) डा. महेंद्र देव सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

प्रथम पाली के समय में किया गया परिवर्तनः

छात्र-छाआओं की सुविधा के दृष्टिगत इस वर्ष प्रथम बार प्रथम पाली की परीक्षा का समय परिवर्तित किया गया है। पहली पाली की परीक्षा 8.00 से स 11.15 के स्थान पर इस वर्ष 8.30 से 11.45 तक होगी। वहीं, द्वितीय पाली का समय पूर्ववत दोपहर 2.00 से शाम 5.15 तक रहेगा। न नकलविहीन परीक्षा के आयोजन को लेकर इस वर्ष पहली बार परिषद कि के क्षेत्रीय कार्यालय (प्रयागराज, कि वाराणसी, मेरठ, बरेली व गोरखपुर) ि और मुख्यालय प्रयागराज में भी एक-एक कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया है।

टोल फ्री नंबर पर भी की जा सकेगी शिकायत

राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम में जनसामान्य के माध्यम से सुझाव, शिकायतें प्राप्त करने के लिए टोलफ्री नंबर, इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म (फेसबुक पेज, व्हाट्सएप, एक्स) की व्यवस्था भी की गई है। राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम लखनऊ का टोल फ्री नंबर-1800 180 6607 व 1800 180 6608 है। इसके अलावा माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज का टोलफ्री नंबर 1800180 53 10 व 1800 180 53 12 भी सक्रिय रहेगा। फैक्स नंबर- 0522-2237607, ईमेल आइडी upboardexams2024@ gmail.com, फेसबुक व upboardexams2024, वाट्सएप नंबर 923507 1514 एक्स (ट्विटर)@ upboardexam24 से संपर्क

कर शिकायत व सुझाव दिए जा सकेंगे।

भाषा मेंं कटा रहे नाक, गणित बचा रहा लाज

मेरठ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे भाषा के मामले में भले ही राष्ट्रीय औसत से नीचे हों, पर गणित में उनका प्रदर्शन बेहतर है। राष्ट्रीय अचीवमेंट सर्वे की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। यह अध्ययन देश के 5917 विकासखंडों के तीन लाख स्कूलों में पढ़ने वाले 80 लाख बच्चों पर किया गया है।

भाषा में अंग्रेजी व मातृभाषा को शामिल किया गया जिसमें मुख्य रूप से भाषा सुनने, शब्दों की पहचान और पढ़ने की क्षमता का आकलन किया गया। इसमें देखा गया कि राष्ट्रीय औसत के मुकाबले प्रदेश के बच्चों का प्रदर्शन कमजोर रहा। राष्ट्रीय स्तर पर सुनने में औसत नंबर 65, शब्द पहचान में 86 और पढ़ने की क्षमता में 59 अंक मिले। वहीं प्रदेश के मामले में क्रमशः 67, 84 और 58 अंक मिले। वहीं गणित के मामले में स्थिति अलग थी। राष्ट्रीय स्तर का औसत 66 नंबर रहा, वहीं प्रदेश के बच्चों ने इसमें कुल 68 अंक हासिल किए। गणित के भाग में जोड़ना, घटाना, भाग, गुणा, प्लेस वैल्यू, माप, ज्यामिती, मुद्रा, डाटा हैडलिंग और पैटर्न को शामिल किया गया। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राम प्रवेश ने बताया कि राष्ट्रीय औसत के मुकाबले भाषा में भी यहां के बच्चे ज्यादा पीछे नहीं हैं। हैं। इसे बढ़ाने के लिए योजना तैयार की जा रही है।

भाषा में ग्रामीण से बेहतर हैं शहरी बच्चे रिपोर्ट – ग्रामीण और शहरी आधार पर भी रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें देखा गया कि भाषा के मामले में राष्ट्रीय औसत से पिछड़ने की वजह ग्रामीण बच्चे रहे। शहरी बच्चों का प्रदर्शन भाषा में राष्ट्रीय स्तर सेअच्छा था। वहीं गणित में ग्रामीण और शहरी दोनों बच्चों का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर था।

एसटी वर्ग के बच्चों का प्रदर्शन सबसे खराब रिपोर्ट को सामाजिक समूह के आधार पर भी बांटा गया है। सामान्य तौर पर भाषा के मामले में सभी सामाजिक वर्ग के बच्चों का प्रदर्शन भाषा में राष्ट्रीय स्तर से कमजोर और गणित में राष्ट्रीय स्तर से बेहतर था। हालांकि उत्तर प्रदेश में जब इन सामाजिक समूह की आपस में तुलना की गई तो सबसे खराब प्रदर्शन एसटी वर्ग के बच्चों का था। इसके बाद एससी, फिर ओबीसी और सबसे बेहतर प्रदर्शन अन्य सामाजिक समूह का था।  दो-तीन साल पहले अचीवमेंट सर्वे में गणित में बच्चों का प्रदर्शन अच्छा नहीं था। इसके बाद कई प्रयास हुए।

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