जब अफसर झांकने लगे बगलें, शहर को मिलावट के जहर से बचाने का बीड़ा उठाने वाले भाजपा का युवा जाट चेहरा अंकित चौधरी ने जब जिला प्रशासन के सामने फूड अफसरों की कलई खोलनी शुरू की तो फूड अफसर बगले झांकने लगे, लेकिन इस सबका सीधा फायदा शहर को लोगों को पहुंचा। शहर के लोग अब मिलावटी मिठाइयों के जहर से खुद को काफी हद तक बचा सकेंगे। दरअसल हुआ यूं की भाजपा नेता व सदस्य जेआरयूसीसी रेल मंत्रालय भारत सरकार, सदस्य एयरपोर्ट एडवाइजरी कमेटी नागर विमानन मंत्रालय तथा सदस्य एनवाईके युवा कार्यकर्ता खेल मंत्रालय अंकित चौधरी के पास अरसे से शहर में मिलावट के कारोबार के तेजी से पांव पसारने की शिकायतें मिल रही थीं। इन शिकायतों का संज्ञान लेकन भाजपा नेता शुक्रवार को डीएम से मिलने कलेक्ट्रेट मेरठ जा पहुंचे। उन्होंने वहां मौजूद एडीएम सिटी के सामने मिलावठ करने वालों तथा उनको संरक्षण देने वाले फूड महकमे के अफसरों की कलई खोलकर रख दी। एडीएम सिटी ने अंकित चौधरी की बातों को ध्यान से सुना और माना कि हालात गंभीर हैं। उन्होंने तत्काल एसीएम को काल कर बताया कि अंकित चौधरी उनसे मिलने आ रहे हैं तथा हर हाल में मिठाइयों में मिलावट करने वालों पर लगाम लगायी जाए। अंकित चौधरी का इंतजार कर रहे एसीएम के सामने जब मिठाई बनाने वालों की परते खुलने लगी और बताया कि किस प्रकार से फूड महकमे के आला अफसर इन्हें संरक्षण दे रहे हैं तो एसीएम ने अंकित चौधरी की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए फूड अफसरों को भी तलब कर लिया। अंकित चौधरी ने जब एसीएम के सामने ही फूड अफसरों के भ्रष्टाचार की परतें उधेड़नी शुरू कर दी तो वहां मौजूद फूड अफसर भाजपा नेता के किसी भी सवाल का उत्तर नहीं दे सके। वो बगलें झांकने लगे। अंकित ने गुस्से में कहा कि पीएम मोदी व सीएम योगी की मंशा के अनुसार फूड मेरठ में फूड महकमे के अफसर काम नहीं कर रहे हैं। चंद सिक्कों के लालच में मिलावठी मिठाई व अन्य खाद्यान्न बनाने वालों को खुली छूट दी हुई है। भाजपा नेता ने दो टूक कह दिया कि फूड महकमे के संरक्षण में फल फूल रहे मिलावठी मिठाई बेचने वालों को नहीं सहन किया जा सकता। शहर के लोगों के स्वास्थ्य से यह मसला जुड़ा है। अधिकारी खुद तय कर लें कि उन्हें पीएम मोदी व सीएम योगी की मंशा के अनुसार काम करना है या फिर मिलावठ खोरों के सिक्कों पर पलना है। अंकित चौधरी ने बता दिया कि मिलावटी मिठाई इस शहर में नहीं बिकने दी जाएगी। हालात की गंभीरता को देखते हुए तय किया गया कि फूड अफसर जितने भी छापे मारेंगे उनमें देहात में एसडीएम व शहर में एसीएम मौजूद रहें। इस दौरान फूड अफसर इस बात का ब्योरा नहीं दे सके कि शहर में कितने छापे मारे गए। यदि मारे गए तो उनकी क्या रिपोर्ट आयीं और रिपोर्ट के आधार पर कितने मिलावठ खोरों पर कार्रवाई की गयी।