जीते तो माननीय बन जाएंगे करीब 12 सौ जघन्य अपराधी

जीते तो माननीय बन जाएंगे करीब 12 सौ जघन्य अपराधी
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जीते तो माननीय बन जाएंगे करीब 12 सौ जघन्य अपराधी, लोसकभा चुनाव में ऐसे अपराधी भी मैदान में हैं जिनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमें दर्ज हैं. ये यदि चुनाव जीत गए तो संसद का स्वरूप कैसा होगा यह आसानी से सोचा समझा जा सकता है. अभी तक केवल अशिक्षित जनप्रतिनिधि चुनने की कीमत चुका रहे थे. जिनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमें हैं खासतौर से ऐसे जिन पर महिला अपराधों को लेकर मुकदमें हैं वो यदि जीता कर संसद में भेजे गए तो अशिक्षित व अपराधी जन प्रतिनिधियों का काकटेल क्या गुल खिलाएगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. वहीं, एडीआर की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि लोक सभा 2024 के कुल 8337 उम्मीदवारों में से 1644 पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इन में से 1,188 पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं, जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, महिलाओं के खिलाफ अपराध और हेट स्पीच से संबंधित आरोप भी शामिल हैं.

महिला को मौका यानि करनी कथनी का अंतर

देश में चुनावों और सियासी दलों पर नज़र रखने वाली संस्था एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स (एडीआर)  द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा लोकसभा चुनावों में महिला प्रत्याशियों की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम है. लोकसभा चुनाव 2024 के कुल 8,337 उम्मीदवारों में से केवल 797 महिलाएं हैं, जो सात चरणों में लड़ने वाले कुल उम्मीदवारों का मात्र 9.5 प्रतिशत है. सितंबर 2023 में लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र में नारी शक्ति वंदन विधेयक नाम से एक कानून बनाया था. कानून बनने के बाद से यह पहला आम चुनाव है. हालांकि, कानून अभी लागू नहीं हुआ.

-पहले चरण के चुनाव में 1,618 उम्मीदवारों में से केवल 135 महिलाएं थीं.  यह पैटर्न बाद के चरणों में भी जारी रहा, जिसमें महिला उम्मीदवारों की संख्या कुल प्रत्याशियों के मुकाबले काफी काम रही.

-दूसरे चरण में कुल उम्मीदवारों की संख्या 1192 थी, जिनमें से महिलाओं की संख्या 100 थी.

-तीसरे चरण में 1352 उम्मीदवार थे, जिनमें 123 महिला प्रत्याशी थीं.

-चौथे चरण में, 1710  उम्मीदवारों में से 170 महिलाएं थीं.

-वहीं सातवे और अंतिम चरण में 904 उम्मीदवार होंगे, जिनमें केवल 95 महिलाएं होंगी.

चिंता भी है आज जायज भी

लोकसभा चुनाव में अपराधियों को टिकट का दिया जाना. इसके अलावा महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व ना दिया जाना इन तमाम बातों पर ऐसा नहीं कि चिंता नहीं जतायी जा रही है। शिक्षाविद व सामाजिक कार्यकर्ता मनीष प्रताप ने चुनाव में इतने बड़े स्तर पर लैंगिक असंतुलन को लेकर तीखी  प्रतिक्रिया जाहिर की है.  उन्होंन ने सवाल उठाया है कि ‘राजनीतिक दल सक्रिय रूप से महिलाओं को टिकट देने के बजाय महिला आरक्षण विधेयक के लागू होने का इंतजार क्यों कर रहे हैं?’

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक व पीसीसी के पूर्व सचिव चौधरी यशपाल सिंह का कहना है कि  राजनीतिक दलों को महिलाओं की उम्मीदवारी को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक दलों को अधिक सक्रिय होना चाहिए था और अधिक महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारना चाहिए था.’

सीसीएसयू के पूर्व छात्र नेता अंकित चौधरी  ने कहा, ‘भारत के मतदाताओं में लगभग आधी महिलाएं हैं, लेकिन उम्मीदवारी में उनका कम प्रतिनिधित्व राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी में बाधा डालने वाली समस्याओं के बारे में सवाल उठाता है.’

शहर के वरिष्ठ सामाजिक चिंतक व कारोबारी संजय गोयल ग्लैक्सी ने  जोर देकर कहा, ‘राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के चयन में लैंगिक संतुलन को प्राथमिकता देनी चाहिए और महिला उम्मीदवारों को पर्याप्त समर्थन देना चाहिए.

वहीं, एडीआर की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि लोक सभा 2024 के कुल 8337 उम्मीदवारों में से 1644 पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इन में से 1,188 पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं, जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, महिलाओं के खिलाफ अपराध और हेट स्पीच से संबंधित आरोप भी शामिल हैं.

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