हर्रा मदरसा में गवन-कोर्ट में सरकार तलब

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हर्रा मदरसा में गवन-कोर्ट में सरकार तलब, अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को पहले ही मिल चुकी है कोर्ट से राहत

41.60 लाख के छात्रवृत्ति गवन के आरोप के चलते शासन ने दिए हैं जांच के आदेश

मेरठ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के छात्रवृत्ति वितरण को लेकर 13 साल पहले हुए घोटाले में आरोपी वरिष्ठ सहायक संजय त्यागी की याचिका पर सरकार की ओर से उपस्थित अपर महाधिवक्ता पी के गिरी से एक सप्ताह में जवाब मांगा है और सुनवाई की अगली तिथि 22 मई नियत की है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की अदालत ने याची की ओर से दाखिल याचिका पर याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया. । याची संजय त्यागी ,तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम व गुडविन हर्ररा ,मेरठ के संचालक मोहम्मद ताहिर के खिलाफ छात्रवृति वितरण में 41 लाख साठ हजार रुपये का भ्रष्ट्राचार किये जाने की शिकायत वीरेंद्र यादव, अखिल भारत वर्षीय यादव महासभा के अध्यछ की ओर से की गई शिकायत में आरोप लगाया गया कि गुडविन पब्लिक स्कूल हररा में एक ही भवन में कई मदरशे की फर्जी मान्यता व फर्जी छात्र आनंकन दिखाने को लेकर छात्रवृत्ति के गबन, की शिकायत  मुख्यमंत्री से की गई थी शासन के निर्देश पर जांच पर किए जाने के पश्चात मुकदमा पंजीकृत कराया गया था जांच के दौरान शिकायतकर्ता ने बयान दिया कि किसी ने उसके लेटर का फर्जी तरीके से दुरुपयोग कर फर्जी हस्ताक्षर बनाकर शिकायत की है। बच्चों के बयान मय शपथपत्र, मैनेजमेंट के खातों में पैसे भेजे जाने की पुष्टि होने व अन्य सबूतों के आधार पर कोई अपराध न पाए जाने पर विवेचना अधिकारी ने मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट लगा दिया था अंतिम रिपोर्ट लंबित रहते हुए आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने 2017 में न्यायालय से अनुमति लेकर पुनः जांच में मुखबिर के द्वारा बताए जाने पर भ्रष्टाचार किए जाने की धारा लगाते हुए विवेचना अधिकारी ने याची संजय त्यागी ,अध्यापक दीन मोहम्मद, उम्मीद अली के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए जाने के विरुद्ध याचिका दाखिल कर न्यायालय के संज्ञान लिए जाने के आदेश को चुनौती दी है ।जबकि अन्य के खिलाफ जांच लंबित है। याची की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि अंतिम रिपोर्ट दाखिल होने के पश्चात बिना उस पर निर्णय लिए अग्रिम सुनवाई के आदेश पर आरोपपत्र दाखिल नही किया जा सकता ,याची के विरुद्ध बिना प्राधिकारी अधिकारी जिला विकाश अधिकारी की अनुमति के मुकदमा पंजीकृत कराया गया है और विभागीय जांच में आरोपी पर गबन का कोई आरोप साबित न होने पर उसे सवेतन बहाल कर दिया गया जबकि वर्ष 2005 में मुख्य सचिव के द्वारा कर्मचारियों / अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराए जाने से पूर्व विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर ही प्राधिकारी नियुक्त अधिकारी से अनुमति लेकर मुकदमा पंजीकृत कराने का आदेश था और वादी एस एन पांडेय जो कि वर्ष 2012 में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम के ट्रांसफर होने के बाद मेरठ में कार्यरत रहे और उन्ही की जांच पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ,शासन ने वसूली कराते हुए मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया था। जबकी वादी ने स्वयं उसी आरोपित मदरशा में 19 लाख रुपये छात्र कोर्स फीस व अध्यापकों को सैलरी हेतु मैनेजमेंट के खाते में पैसा भेजा और 1500 उत्तरपुस्तिकाएं भेजवा कर परीछा केंद्र भी बनाने का आदेश दिया था और आजतक कोई भी वसूली नही की गई ।

मामला मेरठ जिले का है वर्ष 2010-11 में सरकार द्वारा मदरशो के प्रबंधको के खाते में छात्रवृत्ति के चार करोड रुपए ट्रांसफर किए गए थे इसके वितरण में पाई गई अनियमिताओं के कारण तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी श्रीमती सुमन गौतम और कार्यालय के लिपिक संजय त्यागी समेत कई मदरसा संचालकों के खिलाफ 98 मुकदमे मेरठ जिले में दर्ज किए गए थे ।मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन मेरठ को सौंपी गई। इस चर्चित घोटाले में सह आरोपी वर्तमान बागपत जिले की अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम को झूठा फंसाये जाने पर पूर्व में हाइकोर्ट के द्वारा उनके खिलाफ किसी भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा चुकी है।

याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायालय को बताया कि दो बार विभागीय जांच और विजिलेंस जांच में आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन की जांच में स्वयं माना गया है कि शासकीय धन के गबन का आरोप प्रमाणित नहीं पाया गया एवं ई.ओ.डब्ल्यू के द्वारा भारत सरकार की किसी भी गाइडलाइन और नियमावली का उल्लेख नहीं किया गया है,जबकि 2014 में शासनादेश आया कि छात्रवृत्ति बच्चो के खातों में ट्रांसफर की जाएगी । इसके बावजूद जानबूझकर प्रशासन को गुमराह कर आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन के द्वारा याची के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल कर दिया।जबकि वादी तत्तकालीन जिलांअल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एस एन पांडेय के द्वारा साजिश के तहत याची के विरुद्ध 98 मुकदमे शासन को गुमराह कर दर्ज कराए गए ।जिनके विरुद्ध आय से अधिक सम्पति की जांच भी चल रही है ।

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