जो बच्ची कभी एडमिट ही नहीं हुई उसकी काट दी टीसी,
-गड़बड़ी में अपनी गर्दन बचाने को सभी हो गए खेल में शामिल
-कायदे कानून ताक पर कब्जा ली कम्पोजिट विद्यालय नंबर वन में अध्यक्ष की कुर्सी
मेरठ। जो खुद गउ़बड़ी और घोटालों में फंसे हैं शिक्षा के नाम पर वो बच्चों को क्या संदेश दे रहे हैं इसका अंदाजा मेरठ के शिक्षा विभाग की परत दर परत यदि उधेड़ी शुरू कर दी जाए तो इसका खुलासा आसानी से हो जाएगा। हैरानी तो इस बात की है जिन जिन अफसरों पर मेरठ में शिक्षा विभाग की नैय्या पार लगाने की जिम्मेदारी है वहीं नैय्या को डूबोने में लगे हैं। ताजा मामला परतापुर के गगोल कम्पोजिट विद्यालय नंबर वन का है। इस विद्यालय में प्रबंध समिति अध्यक्ष सुभाष चंद की कुर्सी सलामत रखने के लिए स्कूल की इंचार्ज ने वो कारगुजारी दिखा डाली जो कल्पना से परे है। नियम है कि कंपोजिट विद्यालय की प्रबंध समिति में वो ही लोग रह सकते हैं जिनके बच्चे विद्यालय में पढ़ते हों, लेकिन जो शख्स विद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष की कुर्सी पर काविज है, उसके बच्चे तो कभी इस स्कूल में पढ़ना तो दूर की बात आकर भी नहीं झांका। लेकिन विद्यालय की इंचार्ज/प्रधानाचार्य मेडम प्रीति ने सुभाष चंद की बेटी स्वानी की टीसी काट दी। ऐसा इसलिए किया ताकि सुभाष चंद ने विद्यालय के प्रबंध समिति के अध्यक्ष की कुर्सी पर काविज होने के लिए जो खेल किया उस पर पर्दा पड़ा रहे। यदि पर्दा नहीं डालते तो खुद की भी गर्दन देर सबेर फंस जाती।
ऐसे हुआ खेल का खुलासा
इस पूरे खेल का खुलासा करने का काम किया आरटीआई एक्टिविस्ट व सामाजिक कार्यकर्ता संदीप कुमार ने किया। उन्होंने इस मामले की शिकायत खण्ड शिक्षा अधिकारी से लेकर बीएसए और बाद में सीएम के संज्ञान में लाने के लिए आईजीआरए पोर्टल तक पर की। संदीप का कहना है कि प्रबंध समिति के अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर जो खेल खेला गया, उसमें गर्दन फंसती देखकर वो भी खेल का किरदार बन गए, जिन्हें इस खेल के उजागर कर दिए जाने के बाद आरोपी व उसके मददगारों पर कानूनी कार्रवाई करनी थी।
किस्सा कुर्सी का
कंपोजिट विद्यालय नंबर वन की प्रबंध समिति के अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जे को लेकर जो खेल किया गया उसकी शुरूआत साल 2020 में किया गया। उस वक्त विद्यालय की इंचार्ज/प्रिंसिपल चंचल मेडम थी। उसी दौरान तमाम कायदे कानूनों खासकर प्रबंध समिति में कोई तभी आ सकता है जब उसका बच्चा विद्यालय में पढ़ता हो, इस नियम को ताक पर रखकर सुभाष को विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष की कुर्सी पर काविज करा दिया। लेकिन किस्सा कुर्सी के नाम पर जो खेल हुआ उस पर ज्यादा दिन पर्दा नहीं पड़ा रह सका। इस मामले में सबसे चाैंकाने वाला तथ्य यह है कि जिस सुभाष चंद की बेटी जिसके नाम का सहारा लेकर अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा किया, मामले का खुलासा करने वाले संदीप कुमार की मानें तो वह बच्ची तो जीआईसी नूरनगर लिसाड़ीगेट में ही पढ़ी। लेकिन चंचल व सुभाष ने सेटिंग गेटिंग कर बच्ची का एडमिशन कंपोजिट विद्यालय नंबर वन गगोल में दिखा दिया। सुभाष ने बताया कि मामले के खुलासे के डर से बैक डेट में उस बच्ची की टीसी काट दी।
सीएम तक से शिकायत-मगर लीपापोती
आरोप लगाने वाले संदीप कुमार ने बताया कि जब उन्होंने किस्सा कुर्सी का की जानकारी हुई तो उन्हें तत्कालीन खण्ड शिक्षा अधिकारी व बेसिक शिक्षा अधिकारी से मामले की शिकायत की। जब यहां कोई कार्रवाई नहीं की गयी तो सीएम के आईजीआरएस पोर्टल पर इसकी शिकायत की गयी। पोर्टल पर शिकायत की गयी तो जवाब तलब कर लिया गया। आरोप है कि पोर्टल पर शिकायत के निस्तारण के नाम पर भी घपला कर दिया। शासन को गलत तथ्यों से अवगत कराते हुए शिकायत के निस्तारण की रिपोर्ट भेज दी। इस मामले की शिकायत मंडलायुक्त से भी किए जाने की जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट ने दी।
विद्यालय नहीं माई दंत का खेड़ा
आरटीआई एक्टिविस्ट ने बताया कि कंपोजिट विद्यालय में पढ़ाई से ज्यादा राजनीति होती है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंचार्ज/प्रिंसिपल एक बार मधु नाम की टीचर से स्कूल में ही बच्चों के सामने जमकर मारपीट हुई। इसके अलावा विद्यालय में मिड डे मील के नाम पर भी बड़ा घपला है। बगैर बांटे ही कागजों में मिड डे मील का ब्यारा चढ़ा दिया गया। इसकी वीडिया रिकार्डिंग किए जाने को लेकर ही जमकर मारपीट हुई थी।
यह कहना है सुभाष का
यह कहना है बीएसए का
यह कहना है आरटीआई एक्टिविस्ट का
यह कहना है विद्यालय की प्रधानाचार्या का