पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर भारी अफसरों की लाचारी

पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर भारी अफसरों की लाचारी
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पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर भारी अफसरों की लाचारी, -स्टेडियम की करोड़ों की जमीन पर अवैध कब्जे, 36 साल से अफसरों की नींद टूटने का इंतजार-   पीएम मोदी का के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल खेलो इंडिया खेलो-खेलेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया, लेकिन मेरठ की यदि बात करें तो ना इंडिया खेलेगा और नही बढ़ेगा। इंडिया के ना खेलने और ना बढ़ने की वजह मेरठ में खेल और खिलाड़ियों के लिए जो जगह है उस पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है। ऐसा नहीं कि इस कब्जे को हटाने में कोई बाधा हो या। बाधा नहीं जनाव हाईकोर्ट का आदेश है उनके खिलाफ जिन्होंने स्टेडियम की जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है। कब्जे हटाने में किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं है।

यह है पूरा मामला

साठ/सत्तर के दशक में  मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम की कुछ जगह थोडे़ समय  के लिए कुछ लोगों की प्रार्थना पर स्टेडियम प्रशासन के तत्कालीन अधिकािरयों ने इस्तेमाल के लिए दे दी थी। लेकिन मियाद बीत जाने के बाद भी उन लोगों ने वह जगह खाली नहीं की। उल्टे वो अवैध रूप से काविज हो गए। इसके खिलाफ स्टेडियम प्रशासन कोर्ट में चला गया और लंबी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने मेरठ के जिला प्रशासन और संभागीय परिवहन कार्यालय के आरटीओ को  को स्टेडियम की कब्जाई गई जगह खाली कराने के निर्देश दिए। 28 मई 1998 को हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद मवाना स्टैंड की बस यूनियनों तथा अन्य जो भी अवैध रूप से स्टेडियम की जमीन पर अवैध काविज हैं उनकी तलाम दलीलें व अपीलें खारिज कर दीं। दरअसल में उप निदेशक खेल क्षेत्रीय खेल कार्यालय द्वारा 19 सितंबर 1994 को स्टेडियम की उत्तर प्रदेश सरकार की खाली करने के लिए कथित अनाधिकृत रूप से काविज मेरठ-मवाना बस स्टैंड यूनियन, मेरठ किला परीक्षितगढ बस स्टैंड यूनियन एवं मेरठ सरधना बस स्टैंड यूनियन को नोटिस थमा दिए थे। उन नोटिसों के खिलाफ तमाम बस यूनियनें हाईकोर्ट चली गयीं। जहां 28 मई 1998 को सुनवाई के बाद उक्त सभी बस यूनियनों की अपील हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए उप निदेशक खेल क्षेत्रीय खेल कार्यालय के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए अवैध कब्जाई गई स्टेडियम की जगह खाली कराने का रास्ता साफ कर दिया था। हाईकोर्ट के इन आदेशों को आज 36 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। इस दौरान शासन-प्रशासन और खासतौर से संभागीय परिवहन कार्यालय में तमाम अधिकारी आए और चले गए, लेकिन किसी को इतनी फुर्सत नहीं मिली कि हाईकोर्ट के द्वारा स्टेडियम की कब्जायी गयी जमीन को खाली कराने के लिए सार्थक पहल कर सके। स्टेडियम के आरएसओ ने बताया कि उनके स्तर से अनेक बार इसकी पैरवी शासन प्रशासन और संभागीय परिवहन कार्यालय के अफसरों के समक्ष की जा चुकी है, लेकिन अभी उम्मीद की कोई किरन नजर नहीं आ रही है। हालांकि आरएसओ योगेन्द्र पाल व क्रिकेट कोच अपने स्तर से जितने बेहतर प्रयास किए जा सकते हैं वो कर रहे हैं।

डीएम दीपक मीणा से उम्मीद-आरटीओ हिमेश तिवारी बड़ी बाधा

पिछले दिनों परिवहन विभाग की एक बैठक मंडलायुक्त की अध्यक्षता मे हुई। इस बैठक में डीएम दीपक मीणा व आरटीओ हिमेश तिवरी भी मौजूद थे। बैठक के ऐजेंडा में स्टेडियम की जमीन पर अवैध कब्जों का प्रकरण भी शामिल था। डीएम ने इस मामले को लेकर आरटीओ से जब स्पष्टीकरण मांगा तो सूत्रों ने जानकारी दी है कि आरटीओ का रवैया काफी कुछ अवैध रूप से काविज बस यूनियन संचालकों के पक्ष में नजर आया। हालांकि उनकी तमाम दलिलें खारिज कर दी गयीं और दो टूक कहा गया कि स्टेडियम की जगह को हर दशा में खाली कराया जाए। वहां पर अवैध रूप से काविज बस यूनियन को हटाएं। वहीं दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि अवैध रूप से काविज यूनियनों को हटाने मे आरटीओ व फिर बस यूनियें बड़ी बाधा नहीं साबित होंगी। करना बस इतना है कि पैमाइश कराकर जमीन तय दी जाए। उसके बाद बाकि काम पुलिस व जेसीबी रखने वाले नगर निगम और मेडा सरीखे प्रवर्तन दल का रह जाएगा।

तैयार होगी खिलाड़ियों की नर्सरी

कैलाश प्रकाश स्टेडियम के आरएसओ योगेन्द्र पाल  व क्रिकेट कोच अहद ने बताया कि स्टेडियम की जगह से यदि अवैध कब्जे हटवा दिए तो यहां खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार की जा सकती है। स्टेडियन में आने वाले बच्चों में काफी दमखम है। मेरठ के इस स्टेडियम से कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी निकले हैं जिन स्टेडिय को फर्क है। उन्होने बताया कि उन्हें डीएम दीपक मीणा से बहुत उम्मीद है और विश्वास है कि पीएम मोदी के खेलो इंडिया जीतो इंडिया अभियान को गति देने के लिए स्टेडियम की अवैध रुप से कब्जाई गई जमीन को मुक्त कराने के लिए ठोस पहल अवश्य करेंगे ताकि मुक्त कराई गई जगह पर बच्चे के खेलों के लिए नई-नई चीजें बनवायी जा सकें। 

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