खुले घूूम रहे आरोपी अफसर, राशन कार्ड से यूनिट कट जाने के बावजूद खाद्यान उठान कर कालाबाजारी करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई में सिस्टम चलाने वालों के हाथ कांप रहे हैं। गरीबों के नाम पर उठाए गए खाद्यान की कालाबाजारी व घोटाले की जांच करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की फूड सेल की रिपोर्ट में इस घोटाले में मेरठ के डीएसओ कार्यालय के जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गयी है चार साल बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई की फुर्सत सिस्टम को नहीं मिली है। इसके इतर इस मामले में जिन करीब सत्तर कोटेदारों को खाद्यान की कालाबाजारी का दोषी पाया बताया गया है, उनके खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कर दी गयी। डीएसओ कार्यालय में बैठने वाले एक प्राइवेट आपरेटर शहजाद को जेल भेज दिया गया, लेकिन डीएसओ कार्यालय के जिन अफसरों को फूड सेल ने जांच में दोषी पाते हुए कार्रवाई की सिफारिश की उन अफसरों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। आईएएस दयानंद मिश्रा एसपी खाद्य प्रकोष्ठ ने खाद्यान की कालाबाजारी के मामले की जांच के उपरांत 23 दिसंबर 2019 को एक पत्र तत्कालीन आयुक्त खाद्य उत्तर प्रदेश शासन को भेजा था। पत्र में 2 अप्रैल 2018 के एक पत्र का संदर्भ ग्रहण करने का आग्रह करते हुए उक्त घोटाले की जांच रिपोर्ट व आरोपियों पर कार्रवाई की संस्तुति की। इसमें साल 2018 में मई माह से जुलाई माह के दरमियान राशन कार्डों की यूनिट कट जाने के बावजूद कटे हुए यूनिट को खाद्यान उठाकर कालाबाजारी किए जाने से अवगत कराते हुए जनपद के 63 कोटेदारों का आरोपित किया गया। इन सभी के खिलाफ धारा 409, 420, 457, 458, 471 आईपीसी व धारा 3/7 आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अभियोग पंजीकृत कराए जाने तथा उनकी दुकानों के अनुबंध निरस्त किए जाने के साथ ही यह भी बताया गया कि कुल 70 कोटेदारों की जांच की गयी, लेकिन आशंका है कि जनपद के सभी कोटेदारों द्वारा इस प्रकार का कृत्य किया गया है, जिसके चलते सभी राशन डीलरों व उनसे संबंधित अधिकारियों की जांच किए जाने की संस्तुति की गयी। डीएसओ के यह अफसर आरोपी: जांच रिपोर्ट में डीएसओ के जिन अफसरों को दोषी करार दिया गया उनमें रवीन्द्र कुमार तत्कालीन पूर्ति निरीक्षक तहसील सदर व मवाना तथा देवेन्द्र सिंह तत्कालीन पूर्ति निरीक्षक सदर, के खिलाफ 120बी, 420, 457, 458, 471 आईपीसी एवं धारा 13 (1) डी भ्रष्टाचार अधिनियम के अंतर्गत अभियाग पंजीकृत कराकर जांच व विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गयी। तत्कालीन पूर्ति निरीक्षक आशा राम तहसील सरधना, इनके खिलाफ भी 120बी, 420, 457, 458, 471 आईपीसी एवं धारा 13 (1) डी भ्रष्टाचार अधिनियम के अंतर्गत अभियाग पंजीकृत कराकर जांच व विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गयी। तत्कालीन क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी नरेन्द्र सिंह के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गयी। रिपोर्ट में सबसे गंभीर संस्तुति तत्कालीन डीएसओ विकास गौतम को लेकर की गयी, जिन्हें जांच में दोषी बताते हुए उनके खिलाफ भी 120बी, 420, 457, 458, 471 आईपीसी एवं धारा 13 (1) डी भ्रष्टाचार अधिनियम के अंतर्गत अभियाग पंजीकृत कराकर जांच व विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गयी। जांच में दोषी पाए गए प्राइवेट आपरेटर शाहनवाज के विरूद्ध 120बी, 420, 457, 458, 471 आईपीसी अभियोग पंजीकृत कर कार्रवाई की संस्तुति की गयी। फूड सेल की रिपोट के आधार पर दोषी राशन डीलरों की दुकानें निरस्त कर दी गयी और शाहनवाज को जेल भेज दिया, लेकिन डीएसओ कार्यालय के तत्कालीन जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गयी थी उनमें से किसी के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी। अधिकारी दर अधिकारी: खाद्यान कालाबाजारी में फूड सेल की रिपोर्ट में दोषी गए डीएसओ कार्यालय के अफसरों पर बजाए सीधी कार्रवाई के उक्त मामले में अधिकारी दर अधिकारी केवल फाइल खिसकाने का काम भर किया गया। आयुक्त खाद्य एवं रसद विभाग उत्तर प्रदेश शासन ने फूड सेल की संस्तुति को 21 सितंबर 2020 को जिलाधिकारी मेरठ को भेज दिया। इसकी कापी एडीएम ई व डीएसओ को भी भेजी गयी। तत्कालीन जिलाधिकारी ने आवश्यक कार्रवाई का निर्देश देते हुए आयुक्त खाद्य का पत्र अपर जिलाधिकारी प्रशासन व तत्कालीन जिला आपूर्ति कार्यालय को भेज दिया गया। लेकिन जांच में दोषी बताए गए तत्कालीन डीएसओ या किसी अन्य अधिकारी के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की गयी।