LLRM जटिल था फिर भी दिया अंजाम

LLRM जटिल था फिर भी दिया अंजाम
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LLRM जटिल था फिर भी दिया अंजाम, ये आपरेशन बेहद जटिल था, लेकिन इसके बावजूद एलएलआरएम मेडिकल के डाक्टरों ने इसको सफलता पूर्वक अंजाम देकर युवक को नई जिदंगी देने में कामयाबी हासिल की। बीते 27 मई को मेडिकल इमरजैंसी में  भोला की झाल, जनपद मेरठ निवासी नीरज को भर्ती कराया गया था। सड़क दुर्घटना में नीरज के पेट मे चोट लगी थी जिस कारण उनकी हालत गंभीर थी। सीटी स्कैन जांच करायी गयी। उसका अग्नाशय (पैंक्रियाज) का एक हिस्सा छतिग्रस्त हो गया है तथा अग्नाश्य की नली भी छतिग्रस्त हो गयी है। शल्यचिकित्सा एचओडी आचार्य डॉ सुधीर राठी ने मरीज को देखा।  आचार्य डॉ विशाल सक्सेना के नेतृत्व में तत्काल सर्जरी करने के लिए टीम का गठन किया। ऑपरेशन के दौरान मरीज के छतिग्रस्त अग्नाश्य को निकाल लिया गया तथा तिल्ली (स्प्लीन) को बचा लिया गया। अमूमन इस तरह की सर्जरी में अग्नाश्य के साथ तिल्ली को भी निकालना पड़ता है लेकिन टीम ने बहुत ही कुशलता से मरीज की तिल्ली को बचा लिया। ऑपरेशन के बाद मरीज के पेट का प्रेशर बढ़े हुए होने को कारण पेट को बंद करना एक चुनौती बन गया टीम ने बागोरा विधि द्वारा मरीज के पेट को बन्द कर दिया गया तथा मरीज को 3 दिन तक वेंटीलेटर पर रखा गया। 3 दिन बाद जब पेट का प्रेशर कम हो गया तब मरीज का दोबारा ऑपरेशन कर पेट को सफलतापूर्वक बन्द किया गया। मरीज अब खतरे से बाहर है। डॉ विपिन धामा तथा डॉ संगीता ने ऑपरेशन के दौरान तथा वेंटिलेटर पर मरीज का अच्छे से ध्यान रखा। महत्वपूर्ण बात यह है कि अग्नाश्य के चोट के मरीज यदि शीघ्र अस्पताल पहुच जायें तो ऑपरेशन कर जान बचायी जा सकती है। यदि मरीज देर से अस्पताल पहुचता है तो ऑपरेशन करना मुश्किल होता है तथा शरीर के कई अंगों के ख़राब होने खतरा बना रहता है। प्रधानाचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने डॉ विशाल सक्सेना उनकी टीम तथा सर्जरी विभाग को सफल ऑपरेशन के लिये बधाई व शुभकामनाएं दीं।

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