LLRM: पहली बार ए आई सी डी, मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल के चिकित्सकों ने दिल की बीमारी में एक बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है। मेडिकल कॉलेज के मीडिया प्रभारी डॉ वी डी पाण्डेय ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजी विभाग ने फिर से एक बार नया कीर्तिमान स्थापित किया है। कुछ महीने पहले प्रिंस नाम के 30 वर्षीय पुरूष निवासी मटौर, दौराला जनपद मेरठ कार्डियोलॉजी ओपीडी में बार-बार घबराहट की शिकायत लेकर आये। जांच से पता चला कि ” घबराहट” रोगी में संभावित घातक Ventricular Tachycardia (वीटी) के एपिसोड का परिणाम थी। आगे की जांच से पता चला कि मरीज कार्डिएक सारकॉइडोसिस नामक एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं – जिसमें वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया 40% मामलों में होने वाली एक ज्ञात जटिलता है। चिकित्सा उपचार के बावजूद, वह वीटी के कई एपिसोड से पीड़ित रहे, जिसके लिए उन्हें डीफिब्रिलेटेड (शॉक ट्रीटमेंट) भी देना पड़ा। रोगी में Sudden Cardiac Arrest/Death (SCA/SCD) के अत्यधिक जोखिम को देखते हुए कार्डियोलॉजी विभाग के सहायक आचार्य डॉ सी बी पाण्डेय एवम उनकी टीम के डॉ शशांक पाण्डेय ने जीवन रक्षक उपचार के रूप में एक Automatic Implantable Cardioverter Defibrillator (एआईसीडी) उपकरण को तत्काल प्रत्यारोपित करने का निर्णय लिया तथा बिना चीरा लगाये इम्प्लांट को सफलता पूर्वक आरोपित किया। मरीज अब पुर्ण रूप से स्वस्थ हैं कल उनकी छुट्टी कर दी जाएगी। प्रधानाचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ सी बी पाण्डेय एवम डॉ शशांक पाण्डेय को सफल आपरेशन करने पर बधाई दी। मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में डा. वीडी पांडेय ने बताया कि सडन कार्डिएक अरेस्ट (SCA) एक Life-threateningआपात स्थिति है जो तब होती है जब दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है। यह सभी उम्र के लोगों पर हमला करता है जो स्वस्थ प्रतीत हो सकते हैं, यहां तक कि बच्चे और किशोर भी। जब SCA होता है, तो व्यक्ति गिर जाता है और सामान्य रूप से प्रतिक्रिया या सांस नहीं लेता है। । अगर व्यक्ति को तुरंत मदद नहीं मिली तो SCA मिनटों में मौत की ओर ले जाता है। एईडी, या Automatic External Defibrillator, एक ऐसा उपकरण है जो स्वचालित रूप से दिल की लय का विश्लेषण करता है और ऑपरेटर को सलाह देता है कि यदि हृदय घातक हृदय गति में है तो उसे झटका दें। यह अप्रशिक्षित दर्शकों द्वारा उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। एईडी सुरक्षित हैं और पीड़ित को चोट नहीं पहुंचा सकते।