मां के लिए संजय जैन की पंक्ति अद्भुत, संजय जैन (गोयल) किसी परिचय का मोहताज नहीं यह नाम। मेरठ की व्यापारी राजनीति हो या फिर सामाजिक सरोकारा अथवा सत्ताधारी भाजपा तमाम मंचों यह नाम जाना पहचाना या कहें पूरी तरह से स्थापित। मदर डे पर संजय जैन ने मां के प्रति जो उद्गार व्यक्त किए हैं वो वाकई अद्भुत हैं। यह उद्गार संजय जैन ही व्यक्त कर सकते हैं। उन्होंने मां को ईश्वर तुल्य माना है। जन्म देने वाली जननी के प्रति जो उद्गार व्यक्त किए हैं उनसे सभी को रूबरू होना चाहिए।
::-मांग लूं यह मन्नत, फिर यही जहां मिले,
फिर यही गोद मिले, फिर यही माॅ मिले
प्यार लुटाना तो मॉ का असूल है-दुनिया की मोहबत फिजूल है। मॉ की हर दुआ कबूल है, मॉ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है, मां के कदमों की तो मिट्टी भी जन्नत के फूल हैं। जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, मॉ दुआ करती मेरे ख्वाब में आ जाती है।।
मदर्स डे पर तमाम लोगों ने अपनी माता को लेकर बेहद अच्छे उद्गार व्यक्त किए हैं। सभी के उद्गार एक से बढ़कर एक हैं। किसी के भी मां को समर्पित उनके उदगारों को कमतर नहीं आंका जा सकता है। क्योंकि मां को लेकर या कहें मां के सम्मान में यदि कुछ भी कहा जाता है तो वो कमतर तो हो ही नहीं सकता। यदि कुछ बयानी में कुछ कमी भी रह जाए तो परमात्मा उस कमी को खुद पूरा कर देते हैं, क्योंकि मां का दर्जा तो परमात्मा से भी ऊंचा है। तभी शायद के बोल है ऐ मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी, जिसको नहीं देखा हमने कभी। जिन्होंने भी मदर्स डे पर मॉ को लेकर अभिव्यक्ति को शब्दों मे पिरोया है उन सभी को ह्दय से नमन। वो वाइक तारीफ के काबिल हैं जो मां के प्रति इतनी अगाध श्रद्धा रखते हैं।