एमडीए पर भारी बिल्डर ढावा संचालक, मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन सी-2 में ढावा संचालक से बिल्डर बने शख्स की अवैध कालोनी पर दो बार ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा चुकी है, लेकिन ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से बेखौफ यह शख्स अपनी अवैध कालोनी का काम रोकने को तैयार नहीं है। हैरानी तो इस बात की है कि जिस अवैध कालोनी को दो बार ध्वस्त किया जा चुका है, उस कालोनी में लगातार चल रहे काम के बाद अब खुद मेरठ विकास प्राधिकरण के उच्च पदस्थ अधिकारी कार्रवाई मसलन ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई को लेकर पूरी तरह से बैकफुट पर नजर आते हैं। यह शख्स प्राधिकरण प्रशासन पर भारी पड़ा रहा है। एमडीए के जोन सी-2 में जिस अवैध कालोनी की बात यहां की जा रही है वो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के मुख्य मार्ग यानि दिल्ली रोड मोहद्दीनपुर के समीप पड़ती है। और इस कालोनी का मालिक शहर के मैट्रो प्लाजा में एक बड़े नाम से ढावा नुमा भोजनालय चलाने वाला है। सत्ताधारी दल भाजपा से जुड़ा होने की वजह से ही अपने ठीकठाक कनेक्शन का रूआब भी यह शख्स अफसरों को देता बताया जाता है। भाजपा के महानगर संगठन जुड़े इस शख्स के बारे में लोगों का कहना है कि सत्ताधारी दल के जो भी बड़े नेता मेरठ में आते हैं यह दौड़कर स्वागत के नाम पर पहला काम उनके संग खड़ा हाेकर अपनी फोटो खींचवाने का करता है। उसके बाद उन फोटो को दिखाकर अफसरों पर रौब गालिब करता है। जिस कालोनी का यहां जिक्र किया जा रहा है जब उस अवैध कालोनी का काम शुरू किया गया तो करीब आठ माह पहले एमडीए की जेसीबी मशीनें वहां जाकर गरजी थीं, अवैध कालोनी को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। एमडीए की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के कुछ समय बाद तक तो यह शख्स शांत रहा, लेकिन उसके बाद मौका मिलते ही इसने दोबारा से अवैध कालोनी में काम शुरू करा दिया। लेकिन एमडीए ने हिम्मत दिखाते हुए करीब एक माह पूर्व दोबार वहां जेसीबी मशीनें भेजकर ध्वस्तीकरण कर दिया। दो बार ध्वस्तीकरण किए जाने के बाद माना जा रहा था कि शायद दिल्ली रोड मोहद्दीनपुर की कालोनी का काम अब रोक दिया जाएगा। कालोनी काटने वाला शख्स पहले मेरठ विकास प्राधिकरण में नक्शे का आवेदन करेगा। प्राधिकरण से एप्रुवड कालोनी में जो कुछ होना चाहिए वो तमाम मनकों को पूरा करेगा, उसके बाद ही कालोनी पर काम शुरू किया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। एक माह पूर्व जिस जगह को एमडीए की जेसीबी मशीनें रौंदकर आयी थीं, उस जगह पर इन दिनों कालोनी काटने का काम जोरशोर से शुरू कर दिया गया है। वहां सड़क बनायी जा रही हैं। उसके लिए पूरी कालोनी के ऐरिया में रोडी बिछा दी गयी है। किसी भी दिन वहां कोलतार या फिर डामर बिछ जाएगा। डामर बिछने का मतलब अवैध कालोनी में भूखंड बिकने को पूरी तरह से तैयार हैं। इसके साथ ही चार दीवारी और अवैध कालोन में बिजली के खंबों को इंस्टालेशन काम भी शुरू हो जाएगा। कुल मिलाकर यदि हालात की बात की जाए तो भोजनालय या कहें ढावा चलाने वाले इस शख्स की अवैध कालोनी पूरी तरह से स्वरूप लेने से अब चंद कदम की दूरी पर है।
रियल एस्टेट के नाम पर काटी जा रही अवैध कालोनियां:- मेरठ की यदि बात की जाए तो इन दिनों शहर के तमाम धन्नासेठ अपने पुश्तैनी कारोबार को छोड़कर रियल स्टेट के काम में हाथ आजमा रहे हैं या यूं कहें कि खुलकर हाथ आजमा रहे हैं। हालांकि रियल स्टेट के नाम पर मेरठ में केवल अवैध कालोनियां ही काटी जा रही हैं। अवैध कालोनी काटने वाले बाकायद संगठित गिरोह की तर्ज पर काम रहे हैं। इनके इस गिरोह में कुछ भ्रष्ट अफसर, अपराधिक पृष्ठ भूमि वाले कुछ माफिया, सत्ता व संगठन में अच्छी खासी दखल रखने वाले नेता और कुछ ऐसे बिल्डर जो अवैध कालोनी के धंधे में अपनी काली कमाई को लगाकर उसको सफेद करने की हरसत रखते हों। ऐसे ही संगठित गिरोह चलाने वाले इन दिनों मेरठ में अवैध कालोनी काटकर बिल्डर बनने का शौक पाले हैं।
एमडीए अफसर भी पस्त:- ऐसी अवैध कालोनियां काटने वालों के आगे अब मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसर भी पस्त नजर आते हैं। पहले ऐसा नहीं था। सूचना मिलते ही अवैध कालोनी को नेस्तनाबूत कर दिया जाता था, लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदले हुए हैं। जानकारों का कहना है कि इसका मुख्य कारण अवैध कालोनी के धंधे में उतरने से पहले एक संगठित गिरोह बनाना है। ऐसा गिरोह जिसमें अफसर, नेता, माफिया और बिल्डर शामिल होते हैं। इन सभी की अलग-अलग जिम्मेदारियां होती हैं। ये लोग एक साथ कई-कई साइट पर काम करते हैं। ऐसा नहीं है कि महज एक ही जगह कालोनी काटते हों। इनके काम कई जगह चलते हैं। अपने काम को अंजाम तक पहुंचने के लिए ऐसे लोग किसी भी हद तक जाने से गुरेज नहीं करते। इनका काम सिर्फ और सिर्फ महानगर में अवैध कालोनियों का जाल बिछान होता है और कुछ भी नहीं। और इस काम को ये लोग बखूबी अंजाम भी दे रहे हैं। लेकिन इनकी इस प्रकार की कारगुजारियों से सबसे बुरा असर संगठन व सरकार की छवि पर पड़ रहा है। ये लोग जो कुछ कर रहे हैं जानकारों का कहना है कि वह सरकार और संगठन के नाम पर ही कर रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यही कि मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसर कब अपनी डयूटी को अंजाम देंगे।