मेडा अफसर शहर में जाम के कसूरवार

मेडा अफसर शहर में जाम के कसूरवार
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मेडा अफसर शहर में जाम के कसूरवार,

मेरठ / नासूर बन चुकी महानगर के जाम की समस्या के बीच बोने का काम मेरठ विकास प्राधिकरण यानि मेडा ने किया है। मेडा ही महानगर के जाम की समस्या का असली सूत्राधार भी है। मेडा के अफसर भले ही यह कड़वी सच्चाई ना स्वीकार करें, लेकिन जिस प्रकार से गली कूचों में मेडा की छत्रछाया में पुराने मकानों को तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर अवैध कांप्लैक्सों में बदल दिया है और हाईकोर्ट में उसको लेकर दायर की गयी जनहित याचिका की सुनवाई स्वयं हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कर रहे हैं, इस सच्चाई से मेडा के अफसर भाग नहीं सकते।
एनजीटी व सुप्रीमकोर्ट कें आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं
एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) व सुप्रीमकोर्ट ने ऐसे अवैध विवाह मंडपों व बरातघरों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं जिनके पास उनके यहां आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में आने वाले लोगों के लिए वाहनों के लिए खुद की पार्किग की व्यवस्था नहीं है। ऐसे तमाम बारातघर व विवाह मंडपों पर कार्रवाई की जानी थी। एनजीटी व सुप्रीमकोर्ट के आदेशों में तो यही कहा गया था, लेकिन यह बात अलग है कि मेडा के अफसरों ने इन आदेशों को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया।
कार्रवाई के नाम पर गड़बड़ झाला
सड़क पर वाहनों की पार्किंग कराने वाले विवाह मंडपों व बरातघरों पर कार्रवाई के नाम पर मेडा के अफसरों के गड़बड़ झाला के अलावा कुछ नहीं किया। दरअसल एनजीटी व कोर्ट के आदेशों के बाद शहर के तमाम ऐसे विवाह मंडपों व बरातघरों जिनकी पार्किंग नहीं है उन्हें नोटिस भेज दिए गए। मेडा के नोटिसों के बाद ही सेटिंग गेटिंग का असली खेल शुरू हुआ। नोटिस भेजने वाले मेडा के अफसरों ने ही ध्वस्तीकरण से बचाव का रास्ता सुझाना दिया। इसके लिए जिनको नोटिस भेजे गए थे उनसे दो-दो लाख के बांड इस शर्त पर भरवा लिए गए कि वो मानचित्र पास कराएंगे। दो-दो लाख के बांड के नाम पर अवैध विवाह मंडपों व बरातघरों के संचालकों को मानमानी यानि रोड पर पार्किंग की छूट दे दी गई। यह बात अलग है कि इस छूट की भारी भरकम कीमत भी वसूली गई। अवैध बताकर जिन विवाह मंडपों व बारातघर संचालकों को नोटिस दिए गए थे, उनमें से किसी ने मानचित्र जमा किया हो नाम न छापे जाने की शर्त पर मेडा के अफसर इससे साफ इंकार करते हैं। महज दो लाख खर्च कर महानगर के सभी अवैध विवाह मंडपों व बारातघर संचालकों को सड़कों का पार्किंग के लिए यूज करने का लाइसेंस मेडा के उच्च पदस्थ अफसरों ने थमा दिया।
बेच डाली ग्रीन बैल्ट
एनजीटी के सख्त आदेश है कि वाया मेरठ दिल्ली-देहरादून हाइवे पर ग्रीन वर्ज में कोई भी निर्माण न हो, इसको रोकने की जिम्मेदारी मेडा प्रशासन को दी गयी, लेकिन एनजीटी के आदेशों के एकदम उलट बजाए कार्रवाई के एनएच-58 हाईवे पर मेडा के अफसरों की कारगुजारी के चलते ग्रीन वर्ज में अवैध निर्माणों की बाढ़ आ गयी। ग्रीनवर्ज में मेडा की कारगुजारी के बडेÞ सबूत ग्रांडे-फाइव व दॉ फेरर हैं। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी में मेडा प्रशासन ने स्पष्ट किया कि हाइवे पर खड़ौली कट के समीप निर्माणाधीन मौत के मुजसमे दॉ फैरर का कोई मानचित्र पास नहीं किया गया। हैरानी तो इस बात की है कि हाइवे पर दॉ फेरर को मेडा अफसर अवैध मानतो रहे हैं, लेकिन मौत का मुजसमा माने जा रहे इस अवैध होटल को ध्वस्त नहीं किया जा रहा है। दॉ फेरर व ग्रांडे-फाइव में होने वाल समारोह में आने वाले हजारों वाहनों की पर्किंग रोड करायी जाती है। रोड पर जब हजार से ज्यादा वाहन एक ही अवैध विवाह मंडप या रिसोर्ट के सामने पार्क कर दिए जाएंगे तो फिर हाइवे पर जाम लगाना तो लाजमी है। और हो भी वैसा ही रहा है।
सील के बाद भी निर्माण और अवैध इमारत बनकर तैयार
महानगर को अवैध निर्माणों का शहर बनाने पर तुले मेडा के अफयर कार्रवाई के नाम पर इतना भर कर रहे हैं ताकि शासन या किसी अन्य ऐजेंसी की जांच में खुद की गर्दन फंसने से बची रही। शहर के वीआईपी इलाके सिविल लाइन के नेहरू रोड पर अवैध रूप से घर में बनाए गए होटल के मामले में ऐसा ही किया। इस अवैध होटल पर सील गई, लेकिन सील पर ग्रीन चादर डालन भीतर अवैध रूप से निर्माण की अनुमति दी दी गयी। इस होटल पर सील भी लगी है और उस सील पर पर्दा भी डाल दिया है और भीतर अवैध निर्माण जारी है। यदि इस प्रकार के निर्माण कायदे कानून के दायरे में रखकर करया जाता तो सरकार को भारी भरकम राजस्व की प्राप्ति होती है, लेकिन यदि सरकार को राजस्व दिलाते तो फिर मेडा के उन अफसरों की जेबें खाली रह जातीं जो इस प्रकार के अवैध निर्माण कराने के लाइसेंस बांट रहे हैं।
वर्जन
नेहरू रोड पर सील के बाद भी होटल में अवैधा निर्माण को लेकर मेडा के जोनल अधिकारी अर्पित कृष्ण यादव ने बताया कि यदि सील के बाद भी निर्माण कराया जा रहा है तो मौके पर टीम भेजकर जांच करायी जाएगी।
गली कूचों में मौत के कुंओं की तर्ज पर पुराने मकानों में अवैध कांप्लैक्सों के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले मिशन कंपाउंड थापर नगर के मनोज चौधरी का कहना है कि मेडा अफसर बडेÞ कसूरवार हैं।
रोड पर कांप्लैक्सों के सामने वाहन खडेÞ करने वालों के खिलाफ एसपी ट्रैफिक राघवेन्द्र कुमार मिश्रा ने मेरठ विकास प्राधिकरण को नोटिस भेजे जाने की जानकारी देते हुए बताया कि नोटिस में मेडा से कार्रवाई को कहा गया है।

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