बाधा हटते ही रिज्यूम होगा एमपीएस,
मेरठ/वेस्ट एंड रोड स्थित एमपीएस गर्ल्स विंग को सेना कभी भी रिज्यूम कर सकती है। उस दशा में वहां पढ़ने वाली छात्राओं की छात्राओं की शिक्षा अधर में लटक जाएगी। जो वक्त रहते एमपीएस गर्ल्स विंग को छोड़कर दूसरे शिक्षण संस्थानों में चले जाएंगे उनका जीवन बर्बाद होने से बच जाएगा। इस प्रकार की आशंका इसलिए जतायी जा रही है क्योंकि वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला नंबर 233 जो जीएलआर में सईदाबानो बेगम के नाम से दर्ज है, में अवैध रूप से एमपीएस गर्ल्स विंग बनाए जाने पर साल 2003 में तत्कालीन डीईओ धनपत राम ने उसकी लीज खत्म कर दी। जानकारों का कहना है कि इस बंगले की लीज खत्म कर दिए जाने की वजह से कुछ कानूनी रूकवटों के हटते ही सेना यहां कब्जा कर लेगी। जैसा कि पूर्व में कैंट के कई बंगलों के मामले में सेना के स्तर से रिज्यूम की कार्रवाई की जा चुकी है।
इस वजह से लीज की खत्म
वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला 233 जिसमें एमपीएस गर्ल्स विंग संचालित किया जा रहा है, उसकी लीज खत्म करने की वजह इस बंगले में चेंज आॅफ परपज व अवैध निर्माण है। यह आवासीय बंगला है स्कूल में जिसको तब्दील कर उसका व्यवसायिक प्रयोग किया जा रहा है। कैंट एक्ट में यह कृत्य लीज खत्म करने के लिए पर्याप्त है और किया भी वैसा ही गया है।
एमपीएस मेन भी अवैध
वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला 223 में संचालित किया जा रहा एमपीएस मेन भी पूरी तरह से अवैध है। कैंट बोर्ड किसी भी वक्त इसको बुलडोज कर सकता है। दरअसल बंगला 223 में बडेÞ स्तर पर समय-समय पर अवैध निर्माण किए गए। इन सभी अवैध निर्माणों को लेकर कैंट बोर्ड का इंजीनियरिंग सेक्शन नोटिस की कार्रवाई करता रहा है। कैंट प्रशासन के लगातार नोटिसों के बाद भी एमपीएस मेन के संचालकों ने अवैध निर्माणों पर ना तो रोक लगायी और न ही उसको कंपाउंड कराने का प्रयास किया।
वहीं दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि एमपीएस गर्ल्स विंग और एमपीएस मेन में जो भी अवैध निर्माण किए गए हैं वो कंपाउंड नहीं कराए जा सकते। कंपाउंड उसी स्थिति में हो सकता है जब बंगले का मालिकाना हक हो। बताया जाता है कि बंगला नंबर 233 व 223 में से किसी का भी मालिकाना हक एमपीएस के संचालकों के पास नहीं है।
अवैध रूप से हैं काविज
वेस्ट एंड रोड स्थित बंगला 233 व 223 में केवल अवैध निर्माण व चेंज आॅफ परपज के अलावा बड़ा आरोप स्कूल संचालक का इन दोनों बंगलों पर अवैध कब्जा है। विधि विशेषज्ञों की राय में ऐसे मामलों में यदि सक्षम अधिकारी कार्रवाई पर उतर आएं तो मुकदमा दर्ज कराकर अवैध रूप से कविज होने वालों को जेल तक भेज सकता है। इसके अलावा अवैध निर्माण व चेंज आॅफ परपज के मामलों में किसी भी प्रकार की राहत तभी मिलती है जब बंगले का मालिक जिसका नाम जीएलआर में भी दर्ज हो, स्वयं उपस्थित होकर कैंट प्रशासन के समक्ष अपील करे, लेकिन जितने बडेÞ स्तर पर उक्त दोनों बंगलों में अवैध निर्माण व चेंज आॅफ परपज के मामले बन गए हैं, आमतौर पर ऐसे मामलों में कैंट अफसर रियायत का जोखिम मोल नहीं लेना चाहते।
नो रिप्लाई
एमपीएस गर्ल्स विंग व एमपीएस मेन को लेकर जिस प्रकार की कार्रवाई की आशंका जतायी जा रही है उसको लेकर जब संचालक विक्रम शास्त्री से संपर्क का प्रयास किया तो उनसे संपर्क नहीं हो सका, जिसकी वजह से इस मामल में उनका पक्ष नहीं दिया जा सका है।
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संचालक डीईओ के दरबार में हुए थे पेश
मेरठ। एमपीएस के संचालक पिछले दिनों नोटिस थमाए जाने पर डीईओ के दरबार में हाजरी लगाने पहुंचे थे। दरअसल नोटिस में पूछा गया था कि जिन बंगलों में एमपीएस संचालित हैं उनमें वह किस हैसियत से काविज हैं। क्यों ना इसको लेकर कार्रवाई की जाए। एमपीएस समेत कुल 21 को इस प्रकार के नोटिस भेजे गए थे। डीईओ कार्यालय से इन नोटिसों को भेजे जाने के बाद जिन्हें नोटिस भेजे गए थे उनमें हड़कंप मच गया था। डीईओ कार्यालय में इन दिनों सक्रिय कुछ पूर्व कर्मियों की मार्फत डीईओ कार्यालय से तालमेल बैठाया गया। ऐसे मामलों में तालमेल बैठाने के लिए जो हथकंडे अपनाए जाते हैं वो सभी अपनाए गए ऐसा भी सुनने में आया है,माना जा रहा है कि उसके बाद ही डीईओ आॅफिस को इस महत्वपूर्ण मामले में बैकफुट पर आना पड़ गया था।