मुकदमा लिखें बजाए शिकायत के इंतजार के, नफरती भाषणों यानि हेट स्पीच को देश की सबसे बड़ी अदालत में गंभीर अपराध मानते हुए ताकिद की है कि ऐसे मामलों में बगैर शिकायत का इंतजार किए अपनी ओर से मुकदमा दर्ज किया जाए. देश की बड़ी अदालत जहां नफरती भाषणों के साइड इफैक्ट को लेकर गंभीर है,वहीं दूसरी ओर लोकसभा चुनाव में नेताओं की भाषणों में आग उगलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसी सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नफरती भाषण (हेट स्पीच) को एक ऐसा गंभीर अपराध करार दिया जो देश के धर्मनिरपेक्षी ताने-बाने को प्रभावित करने में सक्षम है और राज्यों को निर्देश दिया कि वे ऐसे अपराधों में भले ही कोई शिकायत दर्ज न हो, फिर भी मामला दर्ज करें.यह टिप्पणी हेट स्पीच की घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई करने में राज्यों की निष्क्रियता को लेकर दायर याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई के दौरान की गई. अदालत ने कहा कि इस तरह के मामले दर्ज करने में देरी को कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. इससे पहले जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा था कि नफरत भरे भाषण (हेट स्पीच) दिए जा रहे हैं, यह तब रुकेगा, जिस क्षण राजनीति और धर्म अलग कर दिए जाएंगे.
पीठ ने आदेश में कहा, ‘प्रतिवादी यह सुनिश्चित करेंगे कि जब भी कोई भाषण या ऐसी घटना होती है जो आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 295ए और 506 आदि जैसे अपराधों के तहत आती है, तो शिकायत दर्ज कराए जाने के बिना ही मामले को दर्ज करने और कानून के अनुसार अपराधियों के खिलाफ कार्यवाही स्वत: संज्ञान लेकर की जाएगी.’ यह आदेश एडवोकेट निजाम पाशा (याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला के लिए) द्वारा दायर एक याचिका में पारित किया गया था, जिसमें नफरत फैलाने वाले भाषणों पर अंकुश लगाने के लिए निर्देश मांगे गए थे. उनकी याचिका में यह निर्देश देने का सुझाव दिया गया था कि प्रत्येक राज्य में नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए, जो हेट स्पीच पर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार हो. आदेश में कहा था, ‘भारत का संविधान इसे एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र और बंधुत्व के रूप में देखता है, व्यक्ति की गरिमा को सुनिश्चित करता है और देश की एकता और अखंडता प्रस्तावना में निहित मार्गदर्शक सिद्धांत हैं. जब तक विभिन्न धर्मों या जातियों के समुदाय के सदस्य सद्भाव से रहने में सक्षम नहीं होंगे, तब तक बंधुत्व नहीं हो सकता है.’
सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षाविद मनीष प्रताप व चौ. यशपाल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि तमाम राजनीतिक दलों को आदेश का अनुसरण करना चाहिए ताकि समाज में कटुता न आए. देश सबका है और सभी लोग देश के हैं. भारत एक गुलदस्ता है और गुलदस्ता तभी सजता है जब भांति-भांति के फूल हो. यह बात सभी को याद रखनी चाहिए.