मुनिश्री के आगे रोने लगे कैदी

मुनिश्री के आगे रोने लगे कैदी
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मुनिश्री के आगे रोने लगे कैदी, दिगंबर जैन मुनि परम पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञान भूषण जी मुनिराज ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार पहुंचकर कैदियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा की जो भी हम इस जन्म में प्राप्त करते हैं फिर वह अच्छा हो या खराब हैं वह हमारी पिछले कर्मों का फल होता है। क्रोध एक ऐसा कारण है जिसके कारण हम सब कुछ भुला देते हैं और क्रोध के वशीभूत होकर वह काम कर देते हैं जो हमें नहीं करना चाहिए। एक सांप जा रहा था रास्ते में कुल्हाड़ी से उसका शरीर टकरा गया जिसकी वजह से उसके शरीर पर चोट लग गई तो सांप को क्रोध आया और उसने सोचा कि इतने चोट पहुंचाई है और उसने उसे डसने की कोशिश की जब कुल्हाड़ी को डसने की कोशिश करी तो उसे चोट लगी तो उसने कुल्हाड़ी को अपने शरीर से जकड़ कर दबाकर मारने की कोशिश तो उसके स्वयं के टुकड़े टुकड़े हो गए।  इस तरह से मनुष्य जीवन क्रोध के वशीभूत होकर बहुत सारे गलत काम कर देता है कुछ निर्दोष व्यक्ति भी सजा भोग सकते हैं उसके लिए उन्होंने उदाहरण दिया कि भीष्म पितामह सरसैया पर थे तो भगवान कृष्ण से उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा क्या किया की मुझे मृत्यु के समय इतना कष्ट हो रहा है। तब भगवान कृष्ण ने उससे कहा कि अपना 101 वा जन्म याद करो। पूर्व जन्म में आपने किसी सांप को झाड़ी में फेंक दिया था जिसके कारण झाड़ी उसके शरीर में घुस गई और वह तड़प तड़प कर मर गया जिसके कारण आपको यह कष्ट भोगना पड़ा। अर्थात मनुष्य को अपने कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है।  जिला जज  रजत सिंह जैन ने अपने संबोधन में कहा कि जैन मुनि नग्न इसलिए रहते हैं क्योंकि उन्हें कुछ हासिल ही नहीं करना। आचार्य श्री के साथ ज्ञान गंगा माता जी एवं पूर्व मुनि संघ के साथ-साथ साकेत जैन समाज के अध्यक्ष  दिनेश जैन, संजय जैन,  विजय जैन,  विनोद जैन एडवोकेट,  विनीत जैन, अर्चना जैन, पारुल जैन, सुधीर जैन भी रहे।

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