नाराज सपा नेता उड़ा रहे थे पतंग, सपा-रालाद गठबंधन प्रत्याशी को जब चुनाव लड़ाने का वक्त था तो मेरठ में संगठन के बड़े नेता घरों से नहीं निकले, जब मतदान का दिन आए तो बजाए मतदान कराने के पूरे दिन पतंग उड़ाते रहे. मेरठ नगर निगम महापौर के चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी का जो हश्र हुआ है उसके लिए कोई और नहीं बल्कि मेरठ के वो तमाम बड़े सपा नेता जिम्मेदार हैं, जो यदि सरधना विधायक अतुल प्रधान से कथित निजी खुनस को भूलाकर यदि ईमानदारी से चुनाव में लगे होते तो कोई कारण नहीं था कि मेरठ में साइकिल रफ्तार न पकड़ती, हालात कितनी शोचनीय थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेरठ में संगठन एक दिन भी गठबंधन प्रत्याशी के चुनाव में नजर नहीं आया. मेरठ नगर निगम क्षेत्र की यदि बात की जाए तो यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब तीन लाख है, बल्कि यूं कहें कि तीन लाख से ऊपर ही होगी. महापौर के चुनाव की यदि बात की जाए तो इसमें पूरा शहर विधानसभा क्षेत्र, दक्षिण विधानसभा और कुछ हिस्सा कैंट विधानसभा का आता है, शहर विधानसभा में सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं, दक्षिण में भी इनकी संख्या ठीक-ठाक है और कैंट विधानसभा में भी थापर नगर से सटे मुस्लिम इलाकों के अलावा कुछ अन्य ऐसे इलाके हैं, जहां मुस्लिमों की संख्या को देखते हुए यदि सपा संगठन पर कब्जा करने वालों ने पसीना बहाया होता तो शायद परिणाम अखिलेश यादव को खुश करने सरीखा नजर आता, लेकिन यहां संगठन ने ऐसा कुछ नहीं किया, सपा के तमाम बड़े नेता केवल अतुल प्रधान द्वारा सम्मान न दिए जाने का उल्लाहना देते रहे और इसी को बात की गांठ बांध कर गठबंधन प्रत्याशी से दूरी बनाकर बैठ गए. नतीजा सबके सामने हैं, शुरूआत में तमाम प्रत्याशियों से आगे माने जा वाली सीमा प्रधान किसी अन्य नहीं बल्कि सपाइयों की कारगुजारी के चलते चुनाव हार बैठीं. ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट काे यदि सही माने तो सपा के तमाम बड़े नेताओं ने केवल खुद को चुनाव से दूर ही नहीं रखा बल्कि मतदान से दो दिन पहले मेरठ आए अखिलेश यादव के चुनावी कार्यक्रम को वो रंग नहीं दे सके जो आमतौर पर दिया जाना चाहिए था, वो भी मेरठ जैसे मुस्लिम बाहुल्य इलाके में. यह भी कहा जा सकता है कि अखिलेश यादव का मेरठ दौरा अतुल प्रधान से नाराज सपा नेताओं को नहीं मना सका. इसको जिन्हें नाराज बताया जा रहा है उनमें अखिलेश यादव के प्रति कितना सम्मान है, इस रूप में भी देखा जा सकता है. अतुल प्रधान से कथित नाराजगी के चलते चुनाव से दूरी बनाए रखी, यह बात समझ में आती है, लेकिन मतदान के दौरान सपा के तमाम नेताओं ने खासतौर से शहर और दक्षिण विधानसभा के मुस्लिम नेताओं ने साइकिल चलाने के बजाए पूरे दिन पतंग उड़ाई है, उसके बाद कार्यकर्ता तमाम तरह के सवाल उठा रहे हैं. वहीं चुनाव से पहले संगठन में किए गए बदलाव को भी आत्मघाती माना जा रहा है. जो कुछ हुआ उसका पुख्ता सबूत बसपा-एआईएमआईएम व गठबंधन प्रत्याशी को मिले वोटों का कुल टोटल है. अब कार्यकर्ता यह भी पूछ रहे हैं कि जिन्होंने मतदान के दौरान पंतग उड़ाई क्या वो तमाम नेता अखिलेश यादव के कोप से खुद को बचा सकेंगे.
कार्यकर्ताओं ने मांगे इस्तीफे: मेरठ नगर निगम समाजवादी पार्टी के पूर्व पार्षद अफजाल सैफी ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा कि भाजपा की जीत के लिए समाजवादी पार्टी का संगठन और यहां के जनप्रतिनिधि जिम्मेदार है इसलिए इनको नैतिकता के आधार पर तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए या इनको भाजपा में शामिल होना चाहिए जो भाजपा के मददगार हैं. मेरठ नगर निगम में समाजवादी पार्टी की दुर्दशा के लिए और समाजवादी पार्टी के महापौर प्रत्याशी का विरोध करने वाले उन तथाकथित समाजवादियों को भाजपा में शामिल हो जाना चाहिए. जो भाजपा की पीछे से मदद कर रहे हैं और जिन की मदद से भाजपा के मददगार ओवैसी की पतंग को प्रचारित और प्रसारित करने का काम तथाकथित समाजवादी द्वारा किया गया है. उसके लिए मुलायम सिंह यादव और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया कभी माफ नहीं करेंगे, इसलिए उनको नैतिकता के आधार पर अपने अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए. इससे भी ज्यादा कुछ कार्यकर्ता तो मेरठ के ऐसे तमाम बड़े सपा नेताओ को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित करने की मांग कर रहे हैं जिन्होंने मतदान के दौरान पंतग उड़ाई.